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- भारतीयों की सुरक्षा
Written by जनसत्ता: यूक्रेन में फंसे भारतीय नागरिकों की सुरक्षा गंभीर चिंता का विषय बन गई है। चिंता इसलिए भी बढ़ गई है कि दो दिन पहले यूक्रेन की राजधानी कीव में भारतीय दूतावास ने इस संकटग्रस्त देश में रह रहे सभी भारतीय नागरिकों, खासतौर से छात्रों को वहां से चले जाने का परामर्श जारी कर दिया था। जाहिर है, भारतीय दूतावास हालात की गंभीरता को समझ रहा है। उसे भी लग रहा है कि अगर रूस और यूक्रेन के बीच जंग छिड़ गई तो भारतीय नागरिकों को वहां से सुरक्षित निकाल पाना आसान नहीं होगा। दूतावास की सलाह से साफ है कि जब तक हालात शांत नहीं हो जाते, तब तक वहां रहना जान को जोखिम में डालना है।
हालांकि स्थितियां तो पहले से संकेत दे रही हैं कि यूक्रेन के लिए आने वाले दिन मुश्किल भरे होंगे। ऐसे में भारत सरकार पहले ही चेत जाती और इस दिशा में प्रयास शुरू कर देती तो अब तक अपने नागरिकों को सुरक्षित निकालने का काम शुरू हो भी जाता। हालांकि सरकार यूक्रेन के घटनाक्रम पर नजर बनाए हुए है। पर इस तनाव भरे माहौल में कौन जानता है कि ऊंट किस करवट बैठेगा। अगर अचानक हालात बेकाबू हो गए, तब हमारे लिए संकट कहीं ज्यादा गहरा जाएगा। लोग कहां जाएंगे, कैसे जान बचाएंगे, कितने दिनों तक घरों में कैद होना पड़ जाए, किसी को नहीं मालूम। इसलिए अब पहला काम यूक्रेन से अपने नागरिकों को सुरक्षित निकालने का होना चाहिए।
गौरतलब है कि अमेरिका और ब्रिटेन सहित कई देश अपने नागरिकों को यूक्रेन छोड़ देने के लिए पहले ही परामर्श जारी कर चुके थे। इन देशों का यह एहतियाती कदम इस बात का संकेत था कि अब हालात कभी भी बिगड़ सकते हैं। युद्ध छिड़ जाने की सूरत में तो नागरिकों को निकालने का काम बेहद मुश्किल हो जाता है। ऐसे में दूसरे देश में रहने वाले विदेशियों को किन संकटों से जूझना पड़ता है, यह किसी से छिपा नहीं है।
हालांकि ऐसे ही मुश्किल हालात में भारत ने पहले भी अपने लोगों को बचाया है। कुछ महीने पहले तालिबान के सत्ता हथियाने के बाद अफगानिस्तान में फंसे भारतीयों को सुरक्षित निकाला गया था। इराक में इस्लामिक स्टेट के हमलों के बाद वहां से भारतीय नागरिकों को बचाया गया था। तीन दशक पहले जब इराक ने कुवैत पर हमला कर दिया था, तब भी वहां फंसे भारतीय नागरिकों को सुरक्षित निकाल लिया था।
इसमें कोई संदेह नहीं कि संकटग्रस्त हालात में दूसरे देशों में फंसे अपने नागरिकों को बचाने में भारत सरकार के पास खासा तजुर्बा और संसाधन हैं। पर यूक्रेन के मामले में देरी ने उन सभी परिवारों की चिंता बढ़ा दी है जिनके बच्चे वहां पढ़ रहे हैं। परिजन केवल फोन के जरिए ही अपनों का हाल जान पा रहे हैं। ऐसे में यूक्रेन में फंसे हर भारतीय की चिंता अब यही है कि वह जल्द से जल्द अपने परिजनों के पास पहुंच जाए।
गौरतलब है कि यूक्रेन में अठारह हजार से ज्यादा भारतीय छात्र हैं। वहां रह रहे भारतीय नागरिकों की संख्या भी कम नहीं है। इसलिए संसद की स्थायी समिति ने भी वहां रह रहे अपने नागरिकों की सुरक्षा को लेकर भी चिंता जताई है। परिवहन, पर्यटन और संस्कृति मामलों से संबंधित संसद की स्थायी समिति ने यूक्रेन से भारतीय नागरिकों को निकालने का काम जल्द शुरू करने को कहा है। सरकार भारत और यूक्रेन के बीच उड़ानों के फेरे बढ़ाने के लिए विमानन कंपनियों से बात कर रही है। मगर अब तो समय तत्काल कदम उठाने का है।