सम्पादकीय

भारतीय : ग्रामीण अर्थव्यवस्था सुधार की दिशा में आगे बढ़ रही, चार वर्षों में किसानों की औसत आमदनी में इजाफा

Neha Dani
22 July 2022 1:41 AM GMT
भारतीय : ग्रामीण अर्थव्यवस्था सुधार की दिशा में आगे बढ़ रही, चार वर्षों में किसानों की औसत आमदनी में इजाफा
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यूरिया उत्पादन में वृद्धि शामिल है। देश में कृषि को मानसून का जुआ बनने से हरसंभव तरीके से बचाने की जरूरत है।

इसी जुलाई माह में प्रकाशित भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की किसानों की आमदनी बढ़ने और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के बुलेटिन में प्रकाशित ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार से संबंधित दो विभिन्न रिपोर्टों को गंभीरतापूर्वक पढ़ा जा रहा है। एसबीआई की देश में कृषि की स्थिति पर प्रस्तुत विशेष रिपोर्ट में कहा गया है कि जहां वित्त वर्ष 2017-18 से 2021-22 के चार वर्षों में किसानों की औसत आमदनी 1.3 से 1.7 गुना तक बढ़ी है, वहीं इसी अवधि के बीच कुछ राज्यों में कुछ फसलों से किसानों की आमदनी में जोरदार इजाफा हुआ है।




जैसे, महाराष्ट्र में सोयाबीन किसानों की औसत आय 1.89 लाख रुपये से बढ़ कर 3.8 लाख रुपये (दोगुनी) और कर्नाटक के कपास किसानों की औसत आय 2.6 लाख रुपये से बढ़कर 5.63 लाख रुपये (2.1 गुना) हो गई है। खासतौर पर जो किसान नगदी फसल उगाते हैं, उनकी आय परंपरागत अनाज उपजाने वाले किसानों की तुलना में ज्यादा तेजी से बढ़ी है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बाजार से जुड़े मूल्य के करीब पहुंच गया है, जिससे किसानों को बेहतर मूल्य सुनिश्चित हो सका है।


इसी तरह आरबीआई के जुलाई बुलेटिन में तीन विश्लेषकों के शोधपत्र पर आधारित रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2022 के मानसून में हुए सुधार से कृषि गतिविधियों के बेहतर रहने की उम्मीद है तथा इससे ग्रामीण मांग जल्द ही रफ्तार पकड़ सकती है। ऐसे में खाद्यान्न की अच्छी पैदावार से महंगाई घटाने में मदद मिल सकती है, तो बंपर पैदावार से ग्रामीण क्षेत्र के लोगों की आमदनी में इजाफा होगा। परिणामस्वरूप अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ेगी।

यकीनन इस समय किसानों की आमदनी में सुधार के लिए कई महत्वपूर्ण आधार उभरकर दिखाई दे रहे हैं। जन-धन योजना के माध्यम से छोटे किसानों और ग्रामीण गरीबों का सशक्तीकरण हुआ है। इसमें कोई दो मत नहीं कि जिस तरह केंद्र व राज्य सरकारों द्वारा ग्रामीण विकास, कृषि विकास और किसानों को सामर्थ्यवान बनाने के लिए लगातार जो कदम उठाए जा रहे हैं, उनसे ग्रामीणों की आमदनी बढ़ने के साथ-साथ खाद्यान्न उत्पादन व उत्पादकता बढ़ने का ग्राफ ऊंचाई प्राप्त करते हुए दिखाई दे रहा है।

विगत 31 मई को गरीब कल्याण सम्मेलन कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 10 करोड़ से अधिक लाभार्थी किसान परिवारों को 21,000 करोड़ रुपये से अधिक की सम्मान निधि राशि उनके बैंक खातों में हस्तांतरित की गई। इस किस्त के साथ ही केंद्र सरकार अब तक सीधे किसानों के बैंक अकाउंट में दो लाख करोड़ रुपये से अधिक की रकम हस्तांतरित कर चुकी है। यह बात भी महत्वपूर्ण है कि देश से लगातार खाद्यान्न का बढ़ता हुआ निर्यात विदेशी मुद्रा की कमाई का महत्वपूर्ण स्रोत बन गया है।

दुनिया में भारत जहां चावल का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक और सबसे बड़ा पहले क्रम का निर्यातक देश है, वहीं गेहूं का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक और छठा सबसे बड़ा निर्यातक देश है। इसी माह 14 जुलाई को आई2यू2 के चार सदस्य देशों-भारत, इस्राइल, संयुक्त अरब अमीरात और अमेरिका के शीर्ष नेताओं की बैठक में इस बात पर सहमति बनी है कि वैश्विक खाद्य संकट के समाधान हेतु भारत में करीब दो अरब डॉलर की लागत के फूड पार्क स्थापित किए जाएंगे।

ये फूड पार्क भारतीय किसानों की आमदनी दोगुनी करने के साथ ही भारत में खाद्यान्न उत्पादन बढ़ाने और खाड़ी देशों सहित दुनिया के अकालग्रस्त देशों में भूख की चुनौतियों का सामना कर रहे करोड़ों लोगों की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद करेंगे। निस्संदेह स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की नई रिपोर्टों के मुताबिक, जहां किसानों की आय में वृद्धि हुई है, वहीं ग्रामीण अर्थव्यवस्था में तेज सुधार की उम्मीदें बढ़ी हैं। लेकिन अभी देश में कृषि एवं ग्रामीण विकास की डगर लंबी है। इसमें कृषि का डिजिटलीकरण, यूरिया उत्पादन में वृद्धि शामिल है। देश में कृषि को मानसून का जुआ बनने से हरसंभव तरीके से बचाने की जरूरत है।

सोर्स: अमर उजाला


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