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- भारत का किसान महीने का...

रवीश कुमार। पता था कि लोगों की नज़र उन बैंकों के बहीखाते पर है जिनके यहां दो खरब डॉलर से अधिक NPA हो चुका था. इस कारण बैंकों को बुरी नज़र से देखा जाने लगा था. इसका समाधान निकाल लिया गया है. बैंकों के सारे बुरे लोन को निकाल कर एक दूसरे बैंक में जमा कर दिया जाएगा और उसका नाम बैड बैंक होगा. इससे होगा ये कि बाकी सारे बैंक गुड हो जाएंगे. बैड बैंक के लिए किस तरह दलीलें तैयार की जाती हैं, आप 2016-17 का आर्थिक सर्वेक्षण पढ़ सकते हैं. 5वीं सदी के किसी महापुरुष का कथन निकाल लाया जाता है और बैड बैंक को गुड बैंक बताने का प्रयास किया जाता है. किसान भी कर्ज़ में डूब कर आत्महत्या करता है, बर्बाद हो जाता है उसे कर्ज़े से मुक्ति दिलाने के लिए बैड बैंक नहीं है. कॉरपोरेट के लिए बैड बैंक है. उसी तरह सब्सिडी केवल किसानों को नहीं मिलती है बल्कि ऑटो और टेक्स्टाइल इंडस्ट्री को भी मिलती है ताकि वे तकनीकि सुधार करें. प्राइवेट सेक्टर तकनीकि में सुधार करे, इसके लिए सरकार पैसे दे रही है. सरकार से अगर आपको तरह-तरह से पैसे चाहिए तो कॉरपोरेट हो जाइये. कॉरपोरेट पर लाखों करोड़ों रुपये की मेहरबानी बरसाकर बाकी 80 करोड़ के लिए झोला सहित मुफ्त राशन तो मिल ही रहा है. इस तरह बैड बैंक वो बुरा बच्चा है जिसकी परवरिश अच्छी सरकार करेगी.
