- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- Indian Economy:...
x
ऐसे में, भारत को आर्थिक क्षेत्र में रणनीतिपूर्वक आगे बढ़ना होगा।
यकीनन वर्ष 2022 की शुरुआत कोविड महामारी से हुए नुकसान की भरपाई से जुड़ी उम्मीदों के सहारे हुई थी, लेकिन फरवरी के अंत में यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद दुनिया के साथ-साथ भारतीय अर्थव्यवस्था की मुश्किलें भी लगातार बढ़ती गईं। फिर भी वर्ष 2022 के अंतिम महीनों में भारतीय अर्थव्यवस्था जुझारू क्षमता और मजबूत आर्थिक बुनियाद के कारण विश्व की अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में बेहतर रूप में उभरकर सामने आई। इस वर्ष देश में प्रमुख रूप से महंगाई, बेरोजगारी, रुपये की कीमत में गिरावट, घटते विदेशी मुद्रा भंडार और बढ़ते व्यापार घाटे की चिंताएं अहम रही हैं।
रूस-यूक्रेन युद्ध, ओपेक द्वारा तेल उत्पादन में कटौती, वैश्विक खाद्यान्न उत्पादन में कमी और कच्चे तेल की कीमतों के बढ़ने से वर्ष भर महंगाई के मोर्चे पर मुश्किलें दिखाई दीं। लेकिन इस महीने महंगाई के मोर्चे पर सरकार को बड़ी कामयाबी मिली, जब खुदरा और थोक, दोनों महंगाई दर में भारी गिरावट दर्ज की गई। दिसंबर, 2022 में देश में बेरोजगारी दर आठ फीसदी से भी ज्यादा रही। इस वर्ष डॉलर की तुलना में रुपये की कीमत घटती गई और देश के विदेशी मुद्रा भंडार में भी लगातार गिरावट आई। चालू वित्त वर्ष में वैश्विक मंदी के कारण अप्रैल से दिसंबर तक आयात में तेज वृद्धि और पर्याप्त निर्यात न होने के कारण व्यापार घाटा बढ़ गया।
इन विभिन्न आर्थिक चुनौतियों के बीच भी इस साल भारतीय अर्थव्यवस्था का कई मोर्चों पर बेहतर प्रदर्शन रहा। वर्ष 2022 में लगभग प्रतिमाह बाजारों में उपभोक्ता मांग में तेजी, उद्योग-कारोबार गतिविधियों में बढ़ोतरी के कारण जीएसटी संग्रहण में वृद्धि हुई। फसल वर्ष 2021-22 के चौथे अग्रिम अनुमान के मुताबिक, देश में कुल खाद्यान्न उत्पादन रिकॉर्ड 31.57 करोड़ टन हुआ है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 49.8 लाख टन अधिक है। विश्व बैंक द्वारा जारी 'माइग्रेशन ऐंड डेवलमपेंट ब्रीफ' रिपोर्ट, 2022 के मुताबिक, विदेश में कमाई करके अपने देश में धन (रेमिटेंस) भेजने के मामले में इस वर्ष प्रवासी भारतीय दुनिया में सबसे आगे रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, प्रवासी भारतीयों ने करीब 100 अरब डॉलर की धनराशि स्वदेश भेजी है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 12 फीसदी अधिक है।
वर्ष 2022 में भारत मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) के जरिये विकास की डगर पर तेजी से आगे बढ़ते हुए दिखाई दिया है। भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच एफटीए को लागू किए जाने का निर्णय लिया गया। इसके पहले एक मई से संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के साथ हुए समग्र आर्थिक साझेदारी समझौता (सीपा) लागू हुआ। निवेश के लिहाज से वर्ष 2022 उतार-चढ़ाव वाला रहा है, लेकिन उन्नत अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों के मुकाबले भारत में इक्विटी और डेट, दोनों ही मामलों में बेहतर परिणाम रहे। दो सितंबर को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, भारत ब्रिटेन को पीछे छोड़ते हुए दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। छह दिसंबर को विश्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष 2022-23 के लिए भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि का अनुमान पहले के 6.5 फीसदी से बढ़ाकर 6.9 फीसदी कर दिया है। कहा गया कि भारत की विकास दर सबसे अधिक हैं। विश्व बैंक ने देश की अर्थव्यवस्था में बाहरी चुनौतियां झेलने की क्षमता और आर्थिक सुधारों को इसका कारण बताया है।
निश्चित रूप से नए वर्ष 2023 में भी दुनिया भर में आर्थिक अनिश्चितता हावी रहने की संभावना है। चीन में कोहराम मचा रहे कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रान बीएफ-7 की वजह से भारत सहित दुनिया में नई चिंताएं बढ़ी हैं। ऐसे में बाजार के विश्वास को बहाल करने वाला कोई भी कारण फिलहाल नहीं दिख रहा है। अमेरिका, चीन और यूरोपीय संघ में साल 2023 के दौरान मंदी की आशंका है, जो भारत को भी कई तरह से प्रभावित करेगी। ऐसे में, भारत को आर्थिक क्षेत्र में रणनीतिपूर्वक आगे बढ़ना होगा।
सोर्स: अमर उजाला
Neha Dani
Next Story