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चीन की विस्तारवादी सोच पर अंकुश एवं रोक तभी लग सकती है
चीन की विस्तारवादी सोच पर अंकुश एवं रोक तभी लग सकती है जब चीन की मंशा पर हर मंच पर चर्चा हो और खुले तौर पर इसकी भत्र्सना की जाए। इसके लिए जरूरी है कि प्रभावित देशों को इक_ा करके अमेरिका और जापान जैसे देश को अपने साथ लिया जाए। अगर विश्व के देशों की सामरिक एवं रणनीतिक दृष्टि को ध्यान में रखें तो यह जाहिर है कि जिस समूह में अमेरिका होगा, उसमें रूस नहीं हो सकता, जबकि जापान, फ्रांस और इंग्लैंड, जर्मनी को एक साथ लाया जा सकता है।
इन सब देशों को चीन के खिलाफ खड़ा करने की योजना को मौजूदा हालात में सिर्फ भारत ही अंजाम दे सकता है। इसके लिए भारत को कुछ बिंदुओं पर सामरिक और रणनीतिक दृष्टि से योजनाबद्ध तरीके से काम करना पड़ेगा। जैसे आज जब चीन तिब्बत में वहां की सांस्कृतिक विरासत तथा सींकयांग में मुसलमान जनता को और उनके धर्म को लगातार खत्म कर रहा है, उसके खिलाफ खुले मंच पर बोलना पड़ेगा। आज सींकयांग क्षेत्र में मुसलमानों पर हो रहे अत्याचारों पर विश्व के सभी मुस्लिम देशों की चुप्पी भी हैरानी की बात है, पर भारत को इस मौके का फायदा उठाते हुए चीन द्वारा किए जा रहे मुसलमानों पर अत्याचार को आधार बनाकर सारे मुस्लिम देशों को साथ लेना चाहिए और इसके लिए भारत के सभी राजनीतिक दलों को मात्र चुनाव जीतने के लिए अपने घर में हिंदू-मुस्लिम करने के बजाय दूरदर्शिता वाली सोच रख कर हिंदू-मुस्लिम भाईचारे की बात करके आगे बढऩा चाहिए। दूसरा भारत को चीन के बढ़ते व्यापारिक साम्राज्य को रोकने के लिए विश्व के बाकी देशों के साथ मिलकर ऐसी व्यापारिक योजनाएं या समूह बनाने चाहिए जिसमें चीन शामिल न हो, जिससे चीन की आर्थिक व्यवस्था पर चोट पहुंचे। इसके अलावा एक महत्वपूर्ण विषय जिसमें हमारे पड़ोसी देश जो अपनी गरीबी की वजह से चीन से कर्ज ले रहे हैं और नतीजतन उसकी हां में हां मिलाए जा रहे हैं, उनको यह बताना जरूरी होगा कि चीन उन्हें उधार के जाल मे फंसा कर उनको अपनी मनमानी पर सहमति के लिए बाधित कर रहा है, जो एशियाई देशों के लिए ठीक नहीं है।
आज चीन की स्पेस वारफेयर में बढ़ती क्षमता भी चिंताजनक है जिससे चीन ने आज तक इस क्षेत्र में रहे अमेरिका के एकछत्र दबदबे को चुनौती दी है। मेरा मानना है कि इन सब मुद्दों को आधार बनाकर चीन के खिलाफ एक मोर्चा खड़ा करके भारत अब तक सिर्फ भाषणों तथा व्हाट्सऐप पर विश्वगुरु बनने की चल रही अपनी बात को यथार्थ में सिद्ध कर सकता है।
वैसे भी मौजूदा हालात में लगभग विश्व के हर देश का मानना है कि कोरोना महामारी का जन्मदाता कोई और नहीं बल्कि चीन है और सबको यह भी विदित है कि चीन अपनी महत्वाकांक्षा के लिए इस तरह की और भी महामारी या बायोलॉजिकल वारफेयर का इस्तेमाल कर सकता है। तो इस माहौल में जब लोहा गरम है, तो भारत के पास एक सुनहरा मौका है कि वह सही ढंग से उस पर चोट मारे और विश्व का हर देश जो चीन की महत्वाकांक्षी विस्तारवादी सोच से प्रभावित है और इसे रोकना चाहता है, उन सबको इक_ा किया जाए और सामरिक दृष्टि से भविष्य में योजनाबद्ध तरीके से काम किया जाए, नहीं तो चीन जिस तरह से आगे बढ़ रहा है वह आने वाले समय में एशिया ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के लिए घातक सिद्ध होगा और उसमें सबसे ज्यादा नुकसान भारत का होगा। वैसे भी दो दिन पहले भारतीय सेना के सर्वोत्तम कमांडर सीडीएस जनरल बिपिन रावत की तमिलनाडु में एक दर्दनाक हादसे में हुई मौत से पूरा देश स्तब्ध है। इस घटना की जांच से बाहर आने वाले पहलू भी राष्ट्र सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण होंगे।
कर्नल (रि.) मनीष धीमान
स्वतंत्र लेखक
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