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- भारत-पाकिस्तान: LOC पर...
भारत और पाकिस्तान की सेनाओं की ओर से संयुक्त घोषणापत्र के रूप में गुरुवार को आई यह खबर एकबारगी सबको चौंका गई कि दोनों पक्ष एलओसी पर युद्धविराम समझौते का सख्ती से पालन करने पर सहमत हो गए हैं। दोनों देशों के बीच युद्धविराम का समझौता 2003 में ही हुआ था। कमोबेश इसका पालन भी हो रहा था। लेकिन फरवरी 2019 में पुलवामा हमले के बाद जो हालात बदले, तो फिर युद्धविराम समझौता मानो बेमानी ही हो गया। केंद्रीय गृहराज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने कुछ ही दिनों पहले लोकसभा में बताया था कि पिछले तीन वर्षों के दौरान एलओसी पर युद्धविराम उल्लंघन की 10752 घटनाएं दर्ज की गईं, जिनमें 72 सुरक्षाकर्मी और 70 आम नागरिक मारे गए। निश्चित रूप से सीमा पर लगातार तनाव की यह स्थिति दोनों पक्षों के लिए नुकसानदेह थी।
काफी समय से यह जरूरत महसूस की जा रही थी कि प्रत्यक्ष नहीं तो परोक्ष बातचीत के जरिए ही सही, पर सीमा पर तैनात दोनों देशों के सैनिकों में न्यूनतम विश्वास बहाल किया जाए, ताकि दोनों तरफ जान माल के अनावश्यक नुकसान से बचा जा सके।
हालांकि आधिकारिक तौर पर इस सहमति को डीजीएमओ (डायरेक्टर जनरल्स ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस) लेवल की बातचीत का ही नतीजा बताया गया है, लेकिन जानकारों के मुताबिक बैकडोर चैनल की महीनों चली बातचीत के बाद ही यह संभव हो पाया है। कहीं न कहीं यह इस तथ्य की भी भूमिका इसमें रही है कि दोनों ही देशों को अपनी दूसरी सीमाओं पर भी लगातार ध्यान देना जरूरी लग रहा था।