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वर्ष 2021 भारतीय रक्षा क्षेत्र के लिए विकास एवं उपलब्धियों वाला कहा जाएगा
डा. लक्ष्मी शंकर यादव। वर्ष 2021 भारतीय रक्षा क्षेत्र के लिए विकास एवं उपलब्धियों वाला कहा जाएगा, क्योंकि इस वर्ष सुरक्षा को मजबूती प्रदान करने वाले अनेक कार्य हुए और भारत रक्षा चुनौतियों से निपटने में सक्षम रहा। दुनिया में भारतीय सेना ने अपने पराक्रम से हमेशा सम्मान हासिल किया है। इस साल भी ऐसा ही हुआ। एलएसी पर चीन की नापाक हरकतों का मुहंतोड़ जवाब देते हुए देश ने अपनी रक्षा तैयारियों को और मजबूत किया।
दरअसल चीन की सीमा पर 2020 में जो तनाव शुरू हुआ था वह पूर्णतया समाप्त नहीं हुआ है। चीन ने अरुणाचल प्रदेश से लद्दाख तक, हिमाचल प्रदेश व उत्तराखंड से सटी अंतरराष्ट्रीय सीमा तक अपनी सैन्य तैयारी बढ़ा रखी है। साथ ही पाकिस्तान सीमा पर बढ़ती आतंकी घुसपैठ व गोलीबारी के कारण चुनौतियां बढ़ रही हैं। ऐसे में हमने चीन और पाकिस्तान की इन हरकतों से निपटने के लिए अपने जवानों को आक्रामक तौर पर मजबूती प्रदान की है। सैन्य ताकत बढ़ाने के उद्देश्य से सेना को 15 दिनों के गहन युद्ध के लिए हथियार और गोला बारूद एकत्र रखने की छूट दी गई।
पूर्वी लद्दाख में हाड़ जमा देने वाली ठंड में सेना के 50 हजार जवान तैनात हैं। इनकी रोजमर्रा की जरूरतों के लिए डीआरडीओ ने कई ऐसी चीजें विकसित की हैं जो सैनिकों को काफी सुविधाएं प्रदान कर रही हैं। सेना की आपूर्ति व्यवस्था में परेशानी न आए, इसके लिए सीमा पर सड़कों के निर्माण ने स्थिति को बेहतर बनाया है। इस वर्ष कई हथियारों का परीक्षण किया गया जिसके बाद उन्हें सेना को सौंप दिया गया। इनके मिलने के बाद सेना और मजबूत हुई।
वायु सेना : राफेल विमानों के आ जाने से भारतीय वायु सेना और मजबूत हो गई है। इन विमानों की तैनाती लद्दाख सीमा पर की गई जिससे चीन की किसी भी हरकत से निपटा जा सके। लंबी दूरी की मारक क्षमता वाली मिटियार मिसाइलों से लैस राफेल विमान चीन के लिए बेहद घातक सिद्ध होंगे। दो इंजनों वाला यह विमान एक साथ कई हथियारों को ले जा सकने में सक्षम है। इस विमान का राडार 100 किलोमीटर के दायरे में 40 लक्ष्यों की जानकारी एक साथ देता है जिससे शत्रु के लक्ष्यों को निशाना बनाना आसान होगा। हल्के तेजस विमान भी मिग-21 विमानों की जगह ले रहे हैं।
राफेल और तेजस के अलावा सुखोई-30 एमकेआइ विमान भी चीन से टक्कर लेने को तैयार हैं। मिग-29 मल्टी रोल एयरक्राफ्ट हर मौसम में लड़ाई के लिए तैयार हैं। ब्रह्मोस मिसाइलों से लैस सुखोई विमान लद्दाख सीमा पर तैनात हैं। भारतीय वायु सेना मिराज-2000 और जगुआर विमानों का भी इस्तेमाल करती है। ये अत्यंत तेज गति वाले विमान हैं। चीन से लगती सीमा के पास प्रमुख हवाई अड्डों पर दुनिया के सबसे हाइटेक मल्टीरोल हेलीकाप्टर अपाचे एवं चिनूक हर मोर्चे से निपटने के लिए तैनात किए गए हैं। इस तरह चीन और पाक से किसी भी स्थिति में निपटने को हमारी वायु सेना पूरी तरह से तैयार है।
नौसेना : हिंद महासागर क्षेत्र में हाल के घटनाक्रमों को देखते हुए नौसेना का मुख्य फोकस रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण जलमार्गो की निगरानी बढ़ाने पर हो गया है। हंिदू महासागर क्षेत्र में चीन की बढ़ती मौजूदगी का मुकाबला करने के लिए भारतीय नौसेना ने अपनी निगरानी क्षमता को बढ़ाने की योजना तैयार की है जिसके तहत आने वाले दिनों में नौसेना मानवरहित एरियल ड्रोन और अंडरवाटर सर्विलांस प्लेटफार्म्स की संख्या बढ़ाने की तैयारी में है। नौसेना की मारक क्षमता बढ़ाने के लिए विध्वंसक युद्धपोत विशाखापत्तनम उसे प्राप्त हो गया है।
यह पोत शत्रु की पनडुब्बियों, युद्धपोतों, एंटी सबमरीन मिसाइलों और युद्धक विमानों का मुकाबला करने की क्षमता रखता है। इस विध्वंसक युद्धपोत के सुपरसोनिक ब्रह्मोस एवं बराक मिसाइलों से लैस होने के कारण भारतीय नौसेना की सामरिक और रणनीतिक क्षमता में व्यापक बढ़ोतरी हुई है। यह सबसे लंबा विध्वंसक युद्धपोत है जो गहरे समुद्र में दुश्मन का संपूर्ण सफाया करने में पूरी तरह से सक्षम है। स्वदेशी विमानवाहक पोत आइएनएस विक्रांत का परीक्षण भी इस वर्ष किया गया। अगले वर्ष इसे नौसेना में शमिल कर लिया जाएगा। तब नौसेना की मारक क्षमता और बढ़ जाएगी।
एक्सप्रेसवे पर हवाई पट्टी : इस वर्ष देश में कई ऐसे हाइवे और एक्सप्रेसवे का निर्माण किया गया है जिनमें वायु सेना द्वारा आपातकालीन परिस्थितियों में उपयोग के लिए हवाई पट्टियों का निर्माण भी किया गया है। उत्तर प्रदेश और राजस्थान के अलावा कई अन्य राज्यों में इस साल ऐसी हवाई पट्टियां बनाई गई हैं जिनसे हमारी सामरिक ताकत बढ़ी है।
इस साल रक्षा क्षेत्र में स्वदेशीकरण और रक्षा निर्यात को अधिक बढ़ावा दिया गया। भारतीय नौसेना द्वारा दिए गए 41 जलपोतों के निर्माण के आर्डर में से 38 पोत भारत में ही बन रहे हैं। भारत ने विभिन्न प्रकार की मिसाइलों का सफल परीक्षण भी इस वर्ष किया। चीन व पाकिस्तान से मिलने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए रूस से एस-400 मिसाइल सुरक्षा सिस्टम प्राप्त हो गया है। हमारे लिए यह एक बड़ी उपलब्धि इसलिए भी रही, क्योंकि अमेरिका ने इसका विरोध किया था और ऐसा होने के बावजूद हमने इसे हासिल किया है। इस सिस्टम के मिलने से भारत एक साथ दो सुरक्षा मोर्चो पर लड़ने में सक्षम हो गया है। कुल मिलाकर इस वर्ष भारत ने रक्षा क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है।
(पूर्व प्राध्यापक, सैन्य विज्ञान विषय)
Gulabi
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