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- जी-7 का स्वाभाविक...
साल भर पहले की बात है, जब तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जी-7 समूह को पुराना पड़ चुका समूह करार देते हुए कहा था कि वह दुनिया के समकालीन ढांचे का उचित रूप से प्रतिनिधित्व नहीं करता। अमेरिका के साथ इसमें शामिल कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान और ब्रिटेन जैसे सात देशों के इस समूह को लेकर नए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन का रवैया अपने पूर्ववर्ती से इतर नजर आया। बाइडन ने इसे अपनी कूटनीतिक पहुंच को बढ़ाने का मंच बनाया है। राष्ट्रपति के रूप में अपने पहले बड़े विदेशी दौरे पर उन्होंने अपनी यही मंशा रेखांकित करने का प्रयास किया कि अमेरिका अपने मूल स्वरूप में लौट आया है और विश्व के समक्ष सबसे बड़ी चुनौतियों और भविष्य के लिहाज से महत्वपूर्ण मसलों से निपटने के मामले में दुनिया के लोकतांत्रिक देश एकजुट हैं। बाइडन के इस लंबे दौरे का पहला पड़ाव बना इंग्लैंड का कॉर्नवाल शहर, जहां ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के साथ उन्होंने द्विपक्षीय संबंधों की नई तान छेड़ी। ट्रंप काल की उथल पुथल और ब्रेक्जिट के बाद यह दोनों देशों के राष्ट्र प्रमुखों की पहली द्विपक्षीय बैठक रही। तथाकथित खास रिश्ते में नई जान फूंकने के लिए दोनों नेताओं ने अटलांटिक घोषणापत्र के नए प्रारूप पर हस्ताक्षर किए। इसके साथ ही वैश्विक चुनौतियों के समाधान और लोकतंत्र की रक्षा, सामूहिक सुरक्षा की महत्ता और एक उचित एवं सतत वैश्विक व्यापार तंत्र जैसे विभिन्न मुद्दों पर सहयोग बढ़ाने का संकल्प लिया। इसके अलावा दोनों देशों के बीच तमाम उलझे हुए पेच सुलझाने पर भी बात हुई।