सम्पादकीय

आर्थिक महाशक्ति बनने की ओर बढ़ता भारत, पर कुछ चुनौतियों से पार पाना है जरूरी

Rani Sahu
12 Aug 2022 8:24 AM GMT
आर्थिक महाशक्ति बनने की ओर बढ़ता भारत, पर कुछ चुनौतियों से पार पाना है जरूरी
x
आजादी का अमृत महोत्सव मनाने के अनेक कारणों में एक महत्वपूर्ण कारण यह भी है कि भारत तमाम उतार-चढ़ाव के बीच महाशक्ति बनने की ओर अग्रसर है
सोर्स- Jagran
डा. सुरजीत सिंह : आजादी का अमृत महोत्सव मनाने के अनेक कारणों में एक महत्वपूर्ण कारण यह भी है कि भारत तमाम उतार-चढ़ाव के बीच महाशक्ति बनने की ओर अग्रसर है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस लक्ष्य को 2050 तक हासिल किया जा सकता है। ऐसा मानने के अच्छे-भले कारण भी हैं। जैसे कि भारत विश्व की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। सैन्य शक्ति में चौथा सबसे बड़ा ताकतवर देश है। विश्व की सर्वाधिक युवा शक्ति वाला एक ऐसा देश है, जो विकास को तेजी से आगे ले जाने में सक्षम है। सटीक एवं कारगर कूटनीति के परिणामस्वरूप विश्व मंच पर भारत की स्थिति निरंतर मजबूत होती जा रही है।
कोरोना काल में विश्व ने भी भारत के फार्मास्युटिकल और आइटी उद्योग का लोहा माना है। विश्व के चौथे पायदान पर खड़ा भारत अंतरिक्ष क्षेत्र में अपनी धमक दिखा रहा है। तेजी से विस्तार लेती आधारभूत संरचना और प्रशिक्षित श्रमिकों की बढ़ती संख्या भारत को विनिर्माण हब के रूप में विकसित करने में सक्षम हैं। भारत की बढ़ती आर्थिक विकास की दर भी विश्व का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर रही है। बदलती आर्थिक स्थितियों में विदेशी निवेश की गति बढ़ रही है। विनिर्माण से सूचना तकनीक तक, केमिकल उद्योग से इलेक्ट्रानिक उद्योग तक, कृषि क्षेत्र से सेवा क्षेत्र तक सभी प्रतिरूपों में भारत विश्व मानचित्र में अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रहा है।
हाल में आस्ट्रेलिया के लोवी इंस्टीट्यूट द्वारा जारी 'एशिया पावर इंडेक्स-2021' के अनुसार भारत विश्व के ताकतवर देशों में अमेरिका, चीन और जापान के बाद चौथे स्थान पर है। भारतीय सैन्य क्षेत्र का तेजी से आधुनिकीकरण हो रहा है, जिससे न केवल रक्षा उपकरणों के निर्माण में बढ़ोतरी हो रही है, बल्कि विदेशी निवेश भी बहुत बढ़ रहा है। आज भारत की सेना किसी भी शक्ति को चुनौती देने में सक्षम है। अब समय की मांग है कि दक्षेस देशों के अतिरिक्त कंबोडिया, म्यांमार, फिलीपींस, थाइलैंड, वियतनाम, सिंगापुर, मलेशिया, इंडोनेशिया आदि एशियाई देशों के साथ मिलकर तकनीकी, आर्थिक और सामरिक संगठन बनाने में भारत को महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए।
चीन की दादागीरी से त्रस्त दक्षिण एशियाई देश भारत की सेना के साथ मिलकर एक बड़ा संगठन खड़ा कर सकते हैं। इससे न केवल भारतीय सेना की पहुंच बहुत दूर तक बढ़ जाएगी, बल्कि समुद्री क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को भी रोका जा सकेगा। इन देशों के साथ व्यापार से भारत को दो प्रमुख लाभ होंगे। पहला, व्यापार में अत्यधिक वृद्धि से भारत के विनिर्माण हब बनने के उद्देश्य को प्रोत्साहन मिलेगा। दूसरा, रुपये को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृति का दायरा बढ़ने से आर्थिक स्थिरता का आधार भी बढ़ेगा।
विश्व की बदलती परिस्थितियों में महाशक्ति बनने के लिए एक मजबूत अर्थव्यवस्था का होना अति आवश्यक है। किसी भी महाशक्ति देश की आर्थिक नीतियों की दिशाएं भी विदेश नीति से ही निर्धारित होती हैं। विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार 2050 तक विश्व की अर्थव्यवस्था में 60 प्रतिशत योगदान एशियाई देशों का होगा। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की जुलाई 2022 की रिपोर्ट के अनुसार 2021 में भारत की जीडीपी वृद्धि दर विश्व में सर्वाधिक रही और 2022 में भी सर्वाधिक रहने का अनुमान है। इसमें मेक इन इंडिया कार्यक्रम की प्रमुख भूमिका रही है जिसने औद्योगिक मजबूती के साथ-साथ जीडीपी को भी मजबूत किया है। आज विदेशी कंपनियां अपने प्लांट लगाने में भारत की ओर रुख कर रही हैं।
अनुमान है कि 2030 तक भारत जापान को पीछे छोड़कर विश्व की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। तब भारत की जीडीपी मौजूदा 2.7 ट्रिलियन (लाख करोड़) डालर से बढ़कर 8.4 ट्रिलियन डालर हो जाएगी। भारत में एक बड़े मध्यम वर्ग के कारण उपभोग वस्तुओं की मांग 2020 की तुलना में 2030 तक दोगुनी हो जाएगी। इससे बाजार का आकार भी 1.5 ट्रिलियन से बढ़कर तीन ट्रिलियन डालर तक हो जाएगा। भारत का बढ़ता उपभोक्ता बाजार निवेशकों के आकर्षण का केंद्र है। 4जी तकनीकी ने भारत में ई-कामर्स कंपनियों एवं स्टार्टअप को बहुत बढ़ावा दिया है। अब 5जी भारत के बाजार की संरचना को ही बदल कर रख देगा।
वास्तव में आने वाले समय में वही देश तेजी से महाशक्ति बनेगा, जिसके पास आधुनिक तकनीक होगी। तकनीकी में निवेश किए बिना कोई भी देश महाशक्ति बनने के बारे में सोच भी नहीं सकता है। भारत की तकनीक का ही कमाल था कि इसरो ने एक राकेट के जरिये 104 उपग्रह अंतरिक्ष में भेजकर विश्व का ध्यान अपनी ओर खींचा है। आज इसरो विश्व में सबसे सस्ते उपग्रह बनाने के लिए जाना जाने लगा है। विकासशील ही नहीं, विकसित देश भी अपने उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजने के लिए इसरो के साथ समझौता करने को उत्सुक हैं। अब भारत को आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, जेनेटिक इंजीनियरिंग, रोबाटिक जैसे क्षेत्रों में अनुसंधान और निवेश पर अधिक बल देना चाहिए।
आज भारत जिस तेजी से विकास की सीढ़ि‍यां चढ़ रहा है, उसे देखते हुए उम्मीद है कि देश जब अपनी स्वतंत्रता के 100 वर्ष पूरे कर रहा होगा तो अवश्य ही महाशक्ति बन चुका होगा। हालांकि इसके सामने कुछ चुनौतियां भी हैं। सर्वप्रथम देशवासियों के सोच को बदलना होगा। साथ ही भ्रष्टाचार, आंदोलन, धार्मिक गतिरोध, गरीबी, असमानता, अलगाववाद आदि समस्यायों से पार पाना होगा। विभिन्न राज्यों के कमजोर सामाजिक मानकों पर भी कार्य करना होगा। सेना को आधुनिक तकनीकी से लैस करना होगा। प्राकृतिक गैस और तेल पर निर्भरता को कम करने के लिए इलेक्ट्रिक वाहन और ग्रीन ऊर्जा की तरफ तेजी से बढ़ना होगा। युवा शक्ति की संभावनाओं का अधिकतम दोहन करना होगा।
Rani Sahu

Rani Sahu

    Next Story