

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन में 9 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में भारतीय लोकतंत्र से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण वास्तविकताओं पर प्रकाश डाला। चूंकि कुछ दिन बाद ही देश अपने गणतंत्र की वर्षगांठ मनाने जा रहा है तो इन तथ्यों की प्रासंगिकता और बढ़ जाती है। मोदी ने स्वतंत्रता के समय वाले उन बयानों का भी उल्लेख किया, जब तमाम लोगों ने संदेह व्यक्त किया था कि इतने गरीब और अशिक्षित देश में लोकतंत्र का टिके रहना असंभव होगा। इसके उलट सत्य यही है कि भारत आज भी एकजुट है और दुनिया में लोकतंत्र का सबसे सशक्त एवं जीवंत प्रमाण यदि कोई देश है तो वह भारत ही है। भारतीय नागरिक अपनी उस लोकतांत्रिक व्यवस्था पर उचित ही गर्व महसूस करते हैं, जो सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार पर आधारित है। इसमें अठारह वर्ष से अधिक के प्रत्येक भारतीय को मत देने का अधिकार प्राप्त है। स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव में भारतीय अपने प्रतिनिधियों का चुनाव कर सरकार को आकार देते हैं।