सम्पादकीय

चीन को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए एलएसी पर लाव-लश्कर के साथ तैयार है भारत

Gulabi
30 Jun 2021 2:29 PM GMT
चीन को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए एलएसी पर लाव-लश्कर के साथ तैयार है भारत
x
पैगोन्ग त्सो झील के उत्तरी तट से दोनों तरफ के सैनिक अपने हथियारों के साथ पीछे हटने लगे थे.

संयम श्रीवास्तव। बीते साल 1 मई 2020 को चीन (China) की रेड आर्मी और भारतीय सेना (Indian Army) के बीच पूर्वी लद्दाख के पैगोन्ग त्सो झील (Pangong Lake) के नॉर्थ बैंक में झड़प हुई थी, इस झड़प में दोनों ओर के कई सैनिक घायल हुए थे. इसके बाद 15 जून को गलवान घाटी में फिर एक बार दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़प हुई और इसमें दोनों तरफ के कई सैनिकों की शहादत हुई. इस भीषण झड़प के बाद दोनों देशों के प्रतिनिधियों के बीच कई दौर की बातचीत हुई, इसके बाद फरवरी 2021 में डिसइंगेजमेंट की प्रक्रिया शुरू कर दी गई. पैगोन्ग त्सो झील के उत्तरी तट से दोनों तरफ के सैनिक अपने हथियारों के साथ पीछे हटने लगे थे. लेकिन यह सब कुछ चीन का दिखावा था.


इसके कुछ दिनों बाद से ही चीन एलएसी (LAC) पर अपनी सेना को फिर से बढ़ाने लगा. पिछले 3 महीने में भारतीय सीमा (Indian Border) के आसपास चीन ने अपने तकरीबन 2 लाख सैनिक तैनात कर दिए हैं. यहां तक की चीन ने भारतीय सीमा के आसपास के इलाकों में अपने कई लड़ाकू विमान और स्क्वाडर्न भी तैनात किए हैं. हालांकि जब चीन ने अपने सैनिकों की तैनाती नहीं घटाई, बल्कि उसकी जगह और बढ़ा दी तो भारतीय सेना ने भी इसका मुंहतोड़ जवाब दिया और 1962 के युद्ध के बाद पहली बार ऐसा हुआ जब एलएसी पर भारतीय सैनिकों की संख्या तकरीबन दो लाख के करीब पहुंच गई है.


बीते कुछ दिनों में ही चीनी सीमा पर भारतीय सेना ने अपने 50,000 से ज्यादा जवान तैनात किए हैं जो चीन को सीधा संकेत है कि भारत किसी भी स्थिति से निपटने को तैयार है. यहां तक कि भारत ने घाटी में सैनिकों को एयरलिफ्ट करने के लिए ढेर सारे हेलीकॉप्टर तैनात किए हैं और इन हेलीकॉप्टरों से M777 हॉवित्जर तोप भी एयरलिफ्ट की जा रही है. इतनी भारी संख्या में दोनों देशों का एलएसी की सीमा पर अपने-अपने सैनिक तैनात करना और युद्ध स्तर पर इस्तेमाल होने वाले हथियारों की खेप सीमा पर पहुंचाना किसी बड़ी घटना की ओर इशारा कर रहा है. जिस तरह के हालात इस वक्त भारत और चीन की सीमा पर बन रहे हैं वह बिल्कुल ऐसे ही लग रहा है जैसे कि भारत और चीन फिर से जंग के मुहाने पर आकर खड़े हो गए हैं.

चीन ने युद्ध स्तर की तैयारी शुरू कर दी है
चीन ने एक रणनीति के तहत पिछले 3 महीने में भारतीय सीमा के आसपास अपने तकरीबन दो लाख सैनिक तैनात कर दिए हैं. इसके साथ ही वह सैन्य अभ्यास भी कर रहा है. चीन ने तिब्बत के विवादित सीमा पर नई रनवे, लड़ाकू विमान रखने के लिए बम रोधी बंकर और नए एयरफील्ड्स बनाने शुरू कर दिए हैं. इसके साथ ही वह भारत से लगी सीमा के पास लंबी दूरी तक मार करने वाली टैंक, रॉकेट रेजीमेंट तैनात कर रहा है. चीन ने इस इलाके में अपने दो इंजन वाले फाइटर जेट्स भी तैनात किए हैं. इसे देखकर साफ पता चल रहा है कि चीन पीछे हटने की बजाय लड़ने के मूड में है.

भारत भी चीन के इस गीदड़ भभकी का जवाब देने के लिए पूरी तरह से तैयार है. अभी हाल ही में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लेह से लौटकर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत और सेना के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ इस मुद्दे पर बैठक की. इसके साथ ही चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने मंगलवार को एलएसी के नजदीकी इलाकों का दौरा भी किया. प्रधानमंत्री मोदी भी इस पर पूरी नजर बनाए हुए हैं हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृहमंत्री अमित शाह और एनएसए अजीत डोभाल के साथ एक मीटिंग की.

चीनी सेना का अभी भी भारतीय क्षेत्रों पर कब्जा
एनडीटीवी में छपी एक खबर के मुताबिक कई दौर की बातचीत के बाद भी चीनी सेना ने अभी तक उन भारतीय क्षेत्रों से अपने सैनिकों की तैनाती नहीं हटाई है जिन पर उसने पिछले साल अप्रैल-मई में अवैध रूप से कब्जा कर लिया था. इनमें हॉट स्प्रिंग, गोगरा और देपांग जैसे इलाके शामिल हैं. हालांकि भारत ने भी पूर्वी लद्दाख के पैगोन्ग झील के उत्तरी किनारे को खाली करने से इंकार कर दिया है. क्योंकि भारतीय सेना ने कैलाश रेंज के ऊंचे इलाके में लेख के दक्षिणी छोर पर कब्जा कर लिया है. रणनीति के हिसाब से यह इलाका काफी ऊंचा है जिससे युद्ध के समय भारतीय सेना को इसका अच्छा फायदा मिलेगा.

चीन की सेना भारतीय सेना पर इस इलाके को खाली करने के लिए काफी दबाव बना रही है, लेकिन इसके बावजूद भी भारतीय सैनिकों ने इस इलाके को नहीं छोड़ा. हालांकि इन तल्खियों के बीच भी बातचीत का रास्ता अभी भी खुला है पिछले सप्ताह ही विदेश मंत्रालय ने बताया था कि दोनों पक्षों के बीच 12वें दौर की मिलिट्री कमांडर लेवल की बातचीत होगी जिससे सीमा पर तनाव को कम किया जा सके.

चीन को उसी की भाषा में जवाब देने को तैयार भारत
सीमा विवाद को लेकर भारत की रणनीति हमेशा से पाकिस्तान को लेकर ज्यादा मुखर रही क्योंकि हम उसके साथ कश्मीर मुद्दे पर फंसे थे. लेकिन हमने चीन से सटे अपने सीमा पर उतना ध्यान नहीं दिया. जबकि 1962 में हम दो बार चीन से युद्ध कर चुके थे. लेकिन जब 15 जून 2020 को पूर्वी लद्दाख के गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ भारतीय सैनिकों की भीषण झड़प हुई, उसके बाद से ही भारत चीनी सीमा पर पाकिस्तानी सीमा से ज्यादा सतर्क और मुस्तैद हो गया है.

भारत ने अपने सैनिकों की संख्या चीन से सटे इलाकों में लगातार बढ़ानी शुरू कर दी है. चीन जितनी ज्यादा मात्रा में भारत से सटे इलाकों में अपनी सेना और हथियार तैनात करता है, भारत उसके जवाब में उतनी ही फौज और हथियार तैनात करने लगा. इसे मिरर डेप्लॉयमेंट नीति कहते हैं. यानि दुश्मन को यह एहसास दिलाना कि जितनी ताकत का इस्तेमाल वह कर रहा है उतनी ही ताकत का इस्तेमाल आप भी कर रहे हैं. भारत ने अपनी रणनीति बदल कर साफ कर दिया है कि आज का भारत दुश्मन से आंख से आंख मिलाकर बात करता है और जरूरत पड़ने पर दुश्मन के घर में घुसकर मारता भी है.

सेना बढ़ाने से विवाद सुलझेगा या और बढ़ेगा
जिस तरह से चीन और भारत ने एलएसी के पास भारी संख्या में सैनिकों की तैनाती की है उसे देख कर तो ऐसा लग रहा है कि इससे विवाद सुलझेगा नहीं बल्कि और बड़ा हो जाएगा. जानकार मानते हैं कि किसी भी सीमा पर इतनी भारी संख्या में सैनिकों की तैनाती खतरनाक साबित हो सकती है. खासकर ऐसी सीमा पर जहां बॉर्डर मैनेजमेंट प्रोटोकॉल पूरी तरह से ध्वस्त हो चुका हो. जाहिर सी बात है जब इतनी संख्या में किसी एक सीमा पर सैनिक तैनात होंगे तो वहां पेट्रोलिंग बढ़ेगी और पेट्रोलिंग बढ़ते ही दोनों सेनाएं आक्रामकता से अपनी ताकत का प्रदर्शन करेंगी. समझने वाली बात यह है कि यहां होने वाली छोटी से छोटी झड़पें विकराल रूप ले सकती हैं जो दोनों देशों के बीच युद्ध का कारण भी बन सकती हैं.


Next Story