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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ल्ड इकॉनमिक फोरम के दावोस अजेंडा को वर्चुअली संबोधित करते हुए बताया कि आज की चुनौतियों को अवसर में बदलते हुए नए स्वर्णिम दौर की ओर कदम बढ़ाया जा सकता है
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ल्ड इकॉनमिक फोरम के दावोस अजेंडा को वर्चुअली संबोधित करते हुए बताया कि आज की चुनौतियों को अवसर में बदलते हुए नए स्वर्णिम दौर की ओर कदम बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने दुनिया से भारत में निवेश करने की अपील की। प्रधानमंत्री ने बताया कि भारत तेजी से आर्थिक सुधारों की राह पर आगे बढ़ रहा है, इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत बना रहा है और ओमिक्रॉन की एक नई लहर शुरू होने के बावजूद देश का मूड पॉजिटिव है। उन्होंने कहा कि यह भारत में पैसा लगाने का सबसे सही समय है।
इस सिलसिले में उनकी सरकार ने जो कदम उठाए हैं, प्रधानमंत्री ने उनका भी जिक्र किया। मोदी ने बताया कि कॉरपोरेट टैक्स में कटौती की गई है, पिछली तारीख से टैक्स लगाने को लेकर जो विवाद चले आ रहे थे, उन्हें खत्म किया गया और नियम-कानून भी आसान किए गए हैं। प्रधानमंत्री ने ये बातें ऐसे वक्त में कही हैं, जब पश्चिमी देश सप्लाई चेन में विविधता लाने की कोशिश कर रहे हैं। वे चीन पर अपनी निर्भरता घटा रहे हैं। कई मल्टिनैशनल कंपनियों ने अपनी फैक्ट्रियां दूसरे देशों में शिफ्ट की हैं। इनमें से सैकड़ों कंपनियां भारत को चीन के विकल्प के रूप में देख रही हैं। मोदी सरकार ने भी इसका फायदा उठाने के लिए उन्हें बेहद आकर्षक शर्तों पर निवेश का न्योता दिया। इसके साथ कई और बातें हैं, जिनसे चीन की तुलना में भारत निवेश का बेहतर ठिकाना हो सकता है।
पीएम की सुरक्षा में चूक: केंद्र बनाम राज्य
चीन में सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी निवेशकों और उद्यमियों के साथ मनमाना सलूक करती है। हाल में उसने अपने यहां की टेक्नलॉजी कंपनियों पर सख्ती की है। इसके कारण उन कंपनियों के निवेशकों को अरबों डॉलर का नुकसान हुआ है। दुनिया के दिग्गज कारोबारी समूहों में से एक अलीबाबा के संस्थापक जैक मा ने सरकारी नीतियों की आलोचना की तो उनकी एक कंपनी के प्रस्तावित आईपीओ की राह में बाधा खड़ी की गई। मा कुछ समय तक 'गायब' भी रहे। इसके साथ चीन के हाथ से सस्ते श्रम का लाभ भी निकल गया है। पिछले वर्षों में वहां मजदूरी बढ़ी है। दूसरी तरफ, भारत में लोकतंत्र है और सरकार निवेश के लिए लगातार माकूल माहौल बनाने की कोशिश कर रही है। यहां प्रतिभाओं की भी कमी नहीं है।
लोकतंत्र की चुनौतियां
इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमिकंडक्टर जैसे क्षेत्रों में निवेश बढ़ाने के लिए खास पहल हुई है। ब्रिटेन, यूरोपीय संघ, संयुक्त अरब अमीरात और ऑस्ट्रेलिया के साथ मुक्त व्यापार समझौते को लेकर बातचीत चल रही है। ऐसे में प्रधानमंत्री ने ठीक ही कहा कि भारत सिर्फ आज के लिए ही नहीं, अगले 25 वर्षों के लिए नीतियां बना रहा है। इसके साथ यह बात भी सही है कि भारत को बड़े पैमाने पर विदेशी निवेश जुटाने के लिए आर्थिक सुधार जारी रखने होंगे। इन्फ्रास्ट्रक्चर को और मजबूत बनाना होगा। निवेश के नियम और आसान करने होंगे। तभी दुनिया के लिए भारत, चीन का विकल्प बन पाएगा।
नवभारत टाइम्स
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