- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- सुरक्षा परिषद में
x
भाषण सदस्यता के मुद्दे पर भारत की गंभीरता को दर्शाता है.
भारत की आवाज को वैश्विक मंचों पर गंभीरता से सुना जाता है. उसकी आर्थिक ताकत को पूरी दुनिया स्वीकार करती है. उसकी लोकतंत्र में आस्था को आदर के साथ देखा जाता है, जो एक विशाल देश में मौजूद विभिन्नताओं के बावजूद अक्षुण्ण रही है. मगर, यह विडंबना है कि एक पुराने और प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय संगठन में भारत को वह पहचान नहीं मिल रही है, जिसकी वह योग्यता रखता है. भारत लंबे समय से सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता की मांग कर रहा है. रक्षामंत्री राजनाथ सिंह का संयुक्त राष्ट्र शांति सेना की 75वीं वर्षगांठ से संबंधित एक समारोह में दिया गया भाषण सदस्यता के मुद्दे पर भारत की गंभीरता को दर्शाता है.
संयुक्त राष्ट्र के प्रतिनिधि की मौजूदगी में राजनाथ सिंह का यह कथन संगठन के लिये एक कटु सत्य सरीखा है, कि दुनिया में सबसे ज्यादा आबादी वाले देश को यदि स्थायी सदस्यता नहीं मिलती तो इससे इस वैश्विक संस्था की नैतिक मान्यता कमजोर होती लगती है. वर्ष 1945 से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पांच स्थायी सदस्य हैं- चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका. इनके अलावा परिषद में दो-दो साल के लिये निर्वाचित दस निर्वाचित अस्थायी सदस्य भी होते हैं. भारत आठ बार अस्थायी सदस्य चुना जा चुका है. दुनिया में कहीं भी शांति के लिए, किसी भी खतरे के उत्पन्न होने पर परिषद की बैठक बुलायी जा सकती है. मगर, स्थायी सदस्यों के पास वीटो का अधिकार होता है. इसके जरिये वे किसी भी प्रस्ताव को पारित होने से रोक सकते हैं.
सुरक्षा परिषद में रूस ने कई बार कश्मीर मुद्दे पर लाये गये प्रस्तावों पर वीटो का इस्तेमाल कर भारत की मदद की है. वहीं चीन परिषद में पाकिस्तान के खिलाफ प्रस्ताव लाने की कोशिशों को वीटो कर नाकाम करता रहा है. सुरक्षा परिषद में सुधार की मांग केवल भारत ही नहीं कर रहा. जापान, ब्राजील और जर्मनी भी स्थायी सदस्यता चाहते हैं. अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और कैरीबियन देशों का भी परिषद में कोई प्रतिनिधित्व नहीं है. सुरक्षा परिषद के दो स्थायी सदस्य- ब्रिटेन और फ्रांस- भारत की मांग का समर्थन करते हैं. भारत की स्थायी सदस्यता हासिल करने की राह में सबसे बड़ी रुकावट चीन है. मगर, मौजूदा समय में अपने ताकतवर और विश्वसनीय रुतबे को देखते हुए भारत को अपने सहयोगी देशों के साथ मिल कर सुरक्षा परिषद के विस्तार के लिए और अधिक आक्रामकता के साथ प्रयास करना चाहिए.
CREDIT NEWS: prabhatkhabar
Tagsसुरक्षा परिषदभारतSecurity CouncilIndiaBig news of the dayrelationship with the publicbig news across the countrylatest newstoday's newstoday's important newsHindi newsbig newscountry-world newsstate-wise newsToday's newsnew newsdaily newsbrceaking newstoday's big newsToday's NewsBig NewsNew NewsDaily NewsBreaking News
Triveni
Next Story