सम्पादकीय

भारत-चीनः संकेत क्या हैं?

Gulabi Jagat
12 Sep 2022 4:29 AM GMT
भारत-चीनः संकेत क्या हैं?
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By NI Editorial
भारत और चीन के बीच 16वें दौर की वार्ता जुलाई के मध्य में हुई थी। अब बताया गया है कि उस वार्ता में सहमति के आधार पर पूर्वी लद्दाख के गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स में पेट्रोलिंग प्वाइंट (पीपी)-15 क्षेत्र में दोनों देशों की सेनाओं के बीच डिसएंगेजमेंट शुरू हो गया है। इसका इस बार क्या अर्थ है, यह नहीं बताया गया है। पहले जब डिसएंगेजमेंट हुआ था, तब दोनों देशों की तैनात सेनाओं के बीच बफर जोन बनाया गया था। कई रक्षा विशेषज्ञों का आरोप रहा है कि वो बफर जोन उस इलाके में जो बने, जो भारत के माने जाते थे। क्या इस बार फिर ऐसा ही हुआ है? दरअसल, अचानक आई डिएंगेजमेंट की खबर कौतुक पैदा करने वाली है। ये खबर आने के ठीक पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस की तरफ से आयोजित ईस्टर्न इकॉनमिक पार्टनरशिप सम्मेलन को ऑनलाइन माध्यम से संबोधित किया। इसमें उन्होंने रूस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन की खूब तारीफ की। उधर उसी समय खबर आई कि अमेरिका पाकिस्तान को एफ-16 विमानों के पुर्जे सप्लाई करेगा।
अब चर्चा है कि 15-16 सितंबर को उज्बेकिस्तान में होने वाले शंघाई सहयोग संगठन की शिखर बैठक के दौरान प्रधानमंत्री मोदी की चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से अनौपचारिक मुलाकात हो सकती है। तो क्या एशिया के समीकरणों में कोई बदलाव आ रहा है? फिलहाल, संभव है कि ऐसे निष्कर्ष निकालना जल्दबाजी हो। लेकिन इस बात के संकेत हैं कि रूस के साथ भारत के गहराते रिश्तों से पश्चिमी राजधानियों में व्यग्रता है। जिस समय दुनिया साफ तौर पर दो खेमों में बंट रही है, उस समय भारत के रुख पर दोनों खेमों की नजर है। दोनों अपने साथ भारत को जोड़ने का महत्त्व समझते हैँ। ऐसे में असहज रूप में भी अगर भारत चीन-रूस के करीब आता है, तो उसका भारत की विदेश नीति और विश्व के शक्ति समीकरणों के लिए दूरगामी असर होगा। इसीलिए लद्दाख से अचानक आई खबर ने सबका ध्यान खींचा है। जानकारों ने उचित ही कहा है कि चीनी सेना का पीछे हटना मई 2020 से चल रहे गतिरोध को खत्म करने की दिशा में एक खास कदम है।
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