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आदित्य चोपड़ा: अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में एक लोकप्रिय वाक्य है कि-हर देश का अपना हित सबसे प्यारा होता है। वैश्विक राजनीति में शक्तिशाली देश अपने-अपने गुट खड़े करना चाहते हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते ताकतवर देश भी ऐसा ही कर रहे हैं। अमेरिका अपना एक अलग ब्लाक के निर्माण में जुटा है। यूरोपीय देश उसके साथ खड़े हैं जबकि चीन अपने लिए अलग ब्लाक बना रहा है। अमेरिका और चीन दोनों ही भारत को लुभाने का प्रयास कर रहे हैं, ऐसे में भारत की भूमिका इन गुटों के बीच काफी अहम हो गई है। अमेरिका, आस्ट्रेलिया और जापान के साथ भारत क्वाड संगठन में शामिल है, जबकि भारत ब्रिक्स संगठन में भी शामिल है। ब्रिक्स को क्वाड का विरोधी माना जाता है।भारत दोनों संगठनों में शामिल होने के बाद भी अपनी अलग राय रखता है। यूक्रेन युद्ध पर जहां क्वाड के बाकी देशों की राय अलग थी, वहीं भारत ने रूस की आलोचना करने से साफ इंकार कर दिया था। ब्रिक्स भी जोरशोर से आगे बढ़ रहा है। जिसमें भारत के अलावा चीन, रूस, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका हैं। क्वाड की तुलना करने पर ब्रिक्स पूरी तरह एक आर्थिक मंच नजर आता है। क्वाड ग्रुप का गठन वर्ष 2007 में तत्कालीन जापानी प्रधानमंत्री श जो आबे ने किया था, जिसका मकसद ग्लोबल जियो पॉलिटिक्स को एक नया मंच प्रदान करना था।क्वाड में चारों देशों के बीच संयुक्त सैन्य अभ्यास और इंडो पैसिफिक में काउंटर करने के लिए संयुक्त नीति पर काम करना था। चीन क्वाड को अपने खिलाफ बनाया गया एक सैन्य संगठन मानता हैै। जबकि भारत इस मामले में भी तटस्थ रुख अपनाए हुए है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चीन की राजधानी बीजिंग में ब्रिक्स व्यापार मंच की बैठक को सम्बोधित करते हुए ब्रिक्स देशों के आपसी सहयोग पर बल दिया और कहा कि उभरी अर्थव्यवस्थाओं का समूह वैश्विक ग्रोथ के इंजन के रूप में उभर सकता है। ब्रिक्स देशों के सहयोग से पूरी दुनिया कोरोना के बाद नुक्सान की भरपाई करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। प्रधानमंत्री मोदी ने महामारी से उत्पन्न आर्थिक समस्याओं के निपटने के लिए रिफार्म, परफार्म और ट्रांस्फार्म का मंत्र भी दिया । उन्होंने ब्रिक्स देशों का ध्यान चार प्रमुख पहलुओं पर केन्द्रित करना चाहा जिसमें इकनोमिक रिक्वरी का प्रमुख स्तम्भ टैक्नॉलोजी के क्षेत्र में हो रही ग्रोथ है। स्पेस, ग्रीन, हाईड्रोजन, स्वच्छ ऊर्जा और ड्रोन जैसे कई क्षेत्रों में भारत ने इनोवेशन फ्रैंडली पॉलिसी बनाई है। प्रधानमंत्री ने सुझाव दिया कि ब्रिक्स हमारे स्टार्टअप के बीच नियमित आदान-प्रदान के लिए एक प्लेटफार्म विकसित करे। प्रधानमंत्री का सम्बोधन पूरी तरह से सकारात्मक रहा। यद्यपि ब्रिक्स सम्मेलन के बाद जारी घोषणा पत्र में कहा गया है कि वे पूर्ण विचार-विमर्श और आम सहमति के आधार पर पांच देशों के इस समूह में नए देशों को शामिल करने की सम्भावना पर चर्चा जारी रखेंगे। व्यापक सहयोग आम सहमति के आधार पर प्राथमिकताएं तय करते रहेंगे और अपनी रणनीतिक भागीदारी को अधिक प्रभावी, व्यावहारिक और नतीजे देने वाली बनाते रहेंगे। रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को नुक्सान पहुंचाने वाले देशों की जबर्दस्त आलोचना की। पुतिन का इशारा परोक्ष तौर पर अमेरिका और पश्चिम देशों की ओर था। वहीं चीन ने रूस के खिलाफ प्रतिबंध लगाए जाने पर अमेरिका और यूरोपीय संघ को जमकर निशाना बनाया। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने यूक्रेन संकट का हवाला देते हुए कहा कि इसने फिर से मानवता के लिए खतरे की घंटी बजा दी है और यदि कुछ देश अपनी ताकत पर अंधविश्वास रखते हैं या सैन्य गठबंधनों का विस्तार करते हैं और दूसरों की कीमत पर अपनी सुरक्षा की तलाश करते हैं तो वह निश्चित रूप से सुरक्षा कठिनाइयों में समाप्त हो जाएंगे। चीन का सीधा इशारा अमेरिका द्वारा अपना गुट बनाए जाने की तरफ था। उन्होंने रूस के खिलाफ आर्थिक प्रतिबंधों को दोधारी तलवार बताया, जिससे दूसरों का तो नुक्सान हो ही रहा है, बल्कि वे खुद को भी नुक्सान पहुंचा रहे हैं।संपादकीय :महाराष्ट्र का राजनीतिक संकटबुल्डोजरः कानून सम्मत कार्रवाईठाकरे का इस्तीफा जरूरीसियासी भूकम्प में फंसे उद्धवराष्ट्रपति भवन का सफररोज करो योग, कभी न पास आए रोग मन, आत्मा और शरीर का मिलन है योगदिया चीन आज के दौर में सबसे ज्यादा चावल भारत से खरीद रहा है। अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक ताकतवर यूरोपीय देशों के प्रभाव में है, इसलिए इनमें विकासशील देशों की बात कम ही सुनी जाती है जबकि ब्रिक्स में विकासशील देशों की आर्थिक जरूरतों पर सहानुभूतिपूर्वक सुना जाता है। ब्रिक्स देश एक-दूसरे की आर्थिक जरूरतों के मुताबिक सहयोग करते हैं। ब्रिक्स का विस्तार इसलिए भी जरूरी है कि आर्थिक तौर पर एक तरफा झुकी दिखती विश्व व्यवस्था को संतुलित किया जा सके। विशेषज्ञों का मानना है कि ब्रिक्स से भारत की उम्मीदें पूरी हो सकती हैं।अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में एक लोकप्रिय वाक्य है कि-हर देश का अपना हित सबसे प्यारा होता है। वैश्विक राजनीति में शक्तिशाली देश अपने-अपने गुट खड़े करना चाहते हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते ताकतवर देश भी ऐसा ही कर रहे हैं। अमेरिका अपना एक अलग ब्लाक के निर्माण में जुटा है। यूरोपीय देश उसके साथ खड़े हैं जबकि चीन अपने लिए अलग ब्लाक बना रहा है। अमेरिका और चीन दोनों ही भारत को लुभाने का प्रयास कर रहे हैं, ऐसे में भारत की भूमिका इन गुटों के बीच काफी अहम हो गई है। अमेरिका, आस्ट्रेलिया और जापान के साथ भारत क्वाड संगठन में शामिल है, जबकि भारत ब्रिक्स संगठन में भी शामिल है। ब्रिक्स को क्वाड का विरोधी माना जाता है।