सम्पादकीय

स्वतंत्र रहे विदेश नीति

Subhi
22 March 2022 3:53 AM GMT
स्वतंत्र रहे विदेश नीति
x
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने रविवार को एक पब्लिक रैली में भारतीय विदेश नीति की तारीफ करते हुए सबको चौंका दिया। उन्होंने कहा. ‘मैं आज हिंदुस्तान को दाद देता हूं।

नवभारत टाइम्स: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने रविवार को एक पब्लिक रैली में भारतीय विदेश नीति की तारीफ करते हुए सबको चौंका दिया। उन्होंने कहा. 'मैं आज हिंदुस्तान को दाद देता हूं। उसने हमेशा स्वतंत्र विदेश नीति का अनुसरण किया है।' हालांकि भारत को अपनी स्वतंत्र विदेश नीति के लिए किसी अन्य देश की सरकार से सर्टिफिकेट की दरकार नहीं है और न ही यह कोई आम रिवायत है कि पाकिस्तान का प्रधानमंत्री अपने यहां रैली में भारत की विदेश नीति का गुणगान करे। फिर भी चूंकि इमरान खान ने ऐसा किया है तो यहां दो बातें रेखांकित की जानी चाहिए।

एक तो यह कि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री की हर बात भले सही न होती हो, पर इस बार वह बिल्कुल सही फरमा रहे हैं। दूसरे, पड़ोसी देश भारत के रुख की सचाई उन्होंने ऐसे समय बताई है, जब वह खुद असामान्य चुनौतियों से घिरे हुए हैं, अविश्वास प्रस्ताव की तलवार उनके सिर पर मंडरा रही है। ऐसे में यह उक्ति भी याद आनी स्वाभाविक है कि अक्सर हमें सचाई का अहसास तब होता है, जब कुछ करने का मौका हाथ से निकल चुका होता है। हालांकि बहुत संभव है इमरान खान की सरकार अविश्वास प्रस्ताव की इस चुनौती से पार पा ले। यह भी मुमकिन है कि इस सप्ताह के अंत तक वहां नई सरकार गठित हो जाए।

दोनों ही स्थितियों में यह पाकिस्तान के हक में अच्छा होगा कि वहां के नीति-निर्माता इमरान खान की कही इस बात की गांठ बांध लें। इस कठिन दौर में भारत सरकार ने अपनी स्वतंत्र विदेश नीति को जारी रखते हुए कूटनीतिक मोर्चे पर संतुलन साधे रहने का अनुकरणीय उदाहरण पेश किया है। न केवल क्वाड देशों के बीच सही तालमेल बनाए रखते हुए उसने इस मंच को यूक्रेन युद्ध के प्रभाव में बहने से रोका बल्कि अमेरिका और रूस दोनों से अपने करीबी रिश्तों को अप्रभावित रखने में भी कामयाबी पाई। इसका सबसे बड़ा उदाहरण यह है कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कच्चे तेल की आपूर्ति पर मंडराते संकटों के बीच इंडियन ऑयल ने रूस से सस्ती कीमत पर तेल लेने का समझौता कर लिया और इसके बाद अमेरिका ने भी माना कि इस सौदे से उसके द्वारा रूस पर लगाई पाबंदियों का उल्लंघन नहीं हुआ है।

'हिंदुस्तान की विदेश नीति को सलाम करता हूं'

इसी बात का जिक्र इमरान खान ने भी अपने भाषण में किया। साथ ही उन्होंने यह भी याद किया कि अफगानिस्तान मामले में एक देश का पिट्ठू बनकर उनके देश ने न केवल अपने 80,000 लोग गंवाए बल्कि 100 अरब डॉलर का भी नुकसान झेला। बहरहाल, पाकिस्तान हो या कोई अन्य देश अपनी नीति तो वह खुद तय करेगा, मगर इस प्रकरण से यह बात एक बार फिर रेखांकित हो रही है कि अंतरराष्ट्रीय राजनीति में किसी महाशक्ति का पिट्ठू बनना आखिरकार घाटे का सौदा ही साबित होता है।


Next Story