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- भद्रलोक का अभद्र...
विकास सारस्वत: बंगाल चुनाव में मिले प्रचंड बहुमत के लिए यूं तो तृणमूल कांग्रेस बधाई की पात्र थी, परंतु चुनाव उपरांत हुई व्यापक हिंसा ने न सिर्फ इस दल को, बल्कि जनादेश को भी कलंकित कर दिया। विजयी तृणमूल द्वारा बड़े पैमाने पर हिंसा के जरिये विरोधियों के मन में भय पैदा करने का प्रयास ऐसे हुआ, मानो कोई मध्यकालीन विदेशी सेना विजित देश के नागरिकों में अपना खौफ जमा रही हो। लोकतंत्र का मतलब सिर्फ चुनावी हार-जीत से नहीं, बल्कि संस्थाओं की गरिमा और विरोध के लिए स्थान और सम्मान से भी होता है। बंगाल में हिंसा के नंगे नाच ने लोकतंत्र का गला घोंट दिया। विरोधियों को चिन्हित कर निशाना बनाया गया। धार्मिक और भाषाई पहचान के कारण लोग अब भी निशाने पर हैं। करीब 20 लोगों की हत्या हुई है और हजारों लोग अपने घरों से पलायन कर गए हैं। महिलाओं को सरेआम शर्मसार किया गया। इंटरनेट मीडिया पोस्ट छान-छानकर हमले किए गए। अविजीत सरकार की हत्या उनके उस फेसबुक लाइव के मात्र आधा घंटे बाद कर दी गई, जिसमें उन्होंने अपने घर में तृणमूल के गुंडों द्वारा पांच पिल्लों के मरने का जिक्र किया था। कई तृणमूल नेता स्वयं उग्र भीड़ का नेतृत्व करते दिखे। अविजीत ने भी ऐसे दो नेताओं का नाम लिया था।