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इशांत शर्मा साउथ अफ्रीका के दौरे पर जाने वाली भारतीय टीम में इकलौते ऐसे खिलाड़ी हैं
इशांत शर्मा साउथ अफ्रीका के दौरे पर जाने वाली भारतीय टीम (Indian Cricket Team) में इकलौते ऐसे खिलाड़ी हैं जिनके पास 100 से ज़्यादा टेस्ट मैचों में खेलने का अनुभव है. चेतेश्वर पुजारा (Cheteshwar Pujara) भी बहुत जल्दी 100 टेस्ट के क्लब में शामिल हो सकते हैं. इन दोनों के अलावा अजिंक्य रहाणे (Ajinkya Rahane) तीसरे ऐसे अनभवी खिलाड़ी हैं जो टीम इंडिया में अब सिर्फ लाल गेंद की क्रिकेट में दिखते हैं. यानि टेस्ट क्रिकेट में बेहतर खेल दिखाना इनके खुद के अस्तित्व को बनाए रखने के लए बेहद जरूरी है. टीम चयन से ठीक पहले सबसे ज़्यादा सवालों के घेरे में यही तीनों अनुभवी खिलाड़ी ही रहे. और अब दौरे पर इन तीनों को प्लेइंग इलेवन (Team India Playing XI) में शामिल करने पर कोच राहुल द्रविड़ और कप्तान विराट कोहली को काफी मुश्किल दौर से गुजरना पड़ सकता है.
ऐसे संघर्ष के दौर से इशांत कभी नहीं गुजरे
सबसे पहले बात इशांत शर्मा (Ishant Sharma) की ही कर ली जाए. पिछली 10 पारियों में से 6 मौके पर इशांत विकेट का खाता तक नहीं खोल पाए हैं. बाकि की चार पारियों में कुल मिलाकर वो दहाई तक आंकड़ा भी नहीं छू पाए हैं. यह दिखाता है कि इशांत किस तरह से अपनी लय से जूझ रहे हैं. "आपसे गुज़ारिश है कि आप सिर्फ कानपुर टेस्ट के खेल के आधार पर इशांत का आकलन ना करें. आपको पता है ना कि वो ना तो आईपीएल में खेले थे और ना ही पिछले कुछ सालों में वो कोरोना के चलते कोई भी फर्स्ट क्लास मैच भी नहीं खेल पाए हैं. ऐसे में अचानक टीम में आकर ज़बरदस्त खेल दिखाना मुमकिन नहीं है," ऐसा कहना है टीम इंडिया के पूर्व तेज़ गेंदबाज़ वीआरवी सिंह का जो पिछले साल चंडीगढ़ रणजी टीम के हेड कोच थे. वैसे इशांत से ज़्यादा साउथ अफ्रीका का दौरा तीन मौके पर किसी खिलाड़ी ने नहीं किया है. कोहली ने भी नहीं!
साउथ अफ्रीका की पिचें इशांत को रास नहीं आतीं
इशांत ने दक्षिण अफ्रीका (India vs South Africa) में खेली गई 13 पारियों में सिर्फ 20 विकेट चटकाए हैं और एक बार भी वो पारी में 5 विकेट लेने का कमाल नहीं दिखा पाए हैं. "मुझे ऐसा लगता है कि इशांत अब भी साउथ अफ्रीका में प्रभावशाली साबित हो सकते हैं. पिछले इंग्लैंड दौरे पर भले ही वो एक ही टेस्ट खेले लेकिन जब लॉर्ड्स में मेजबान को 64 ओवर के अंदर समेटने की चुनौती सामने आई तो ईशांत ने अनुभव का जलवा बिखेरा कि नहीं, " सवालिया अंदाज़ में वीआरवी कहते है जो खुद 2006 में द्रविड़ की कप्तानी में साउथ अफ्रीका के दौरे पर क्रिकेट खेल चुके हैं. लेकिन, हर कोई ईशांत के लिए इस तरह की सहानूभूति वाला नज़रिया नहीं रखता है. "मुझे ये समझ में नहीं आता है कि आखिर इंग्लैंड दौरे के बाद इशांत को फिर से एक मैच में खेलने का मौका कैसे मिल गया. जब आपके पास मोहमम्द सिराज जैसा गेंदबाज़ है तो आप उसे कैसे प्लेइंग इलेवन से बाहर रख सकते हैं," इंग्लैंड के पूर्व तेज़ गेंदबाज़ Steve Harmison ने कानपुर टेस्ट से पहले talkSPORT के साथ बातचीत में ये सवाल उठाया था.
प्लेइंग XI में कैसे आएंगे रहाणे?
साथी इशांत की ही तरह अजिंक्य रहाणे (Ajinkya Rahane) भी अपने स्थान को लेकर लगातार चर्चा में रहे हैं. "ईमानदारी से कहूं तो मुझे यकीन नहीं था कि रहाणे का चयन इस दौरे के लिए भी हो सकता है. लेकिन, उससे मुझे कोई आपत्ति नहीं है. बहरहाल, मैं उन्हें अपनी प्लेइंग इलेवन में तो जगह देने से रहा. कोहली ने अगर अपने चिर-परिचित अंदाज़ में 5 बल्लेबाज़, 5 गेंदबाज़ और 1 कीपर खिलाए तो रहाणे भला किसकी जगह खेलेंगे," ये सवाल टीम इंडिया के पूर्व ओपनर आकाश चोपड़ा करते हैं. वैसे, आपतो तो याद ही होगा कि पिछली बार 2018 के दौरे पर कोहली ने उन्हें ऐसे ही तर्कों का सहारा लेकर पहले 2 टेस्ट में बैठाया था और दोनों मैच में टीम इंडिया हारी. जब रहाणे को तीसरे मैच के लिए अनमने ढंग से टीम मैनेजमेंट ने जगह दी तो तो मुंबई के बल्लेबाज ने जोहानिसबर्ग की बेहद ख़राब पिच पर 48 रनों की एक ऐसी पारी खेल दी जिसने मैच जिता दिया.
शानदार रिकॉर्ड की दुहाई दे सकते है रहाणे
इसे विदेशी पिच पर किसी भारतीय की सबसे उम्दा खेली गई पारियों में से एक माना जाता है. रहाणे के चाहने वाले साउथ अफ्रीका में उनके शानदार रिकॉर्ड (266 रन सिर्फ 3 मैचों में और वो भी 53. 20 की औसत से) की दुहाई दे सकते हैं. साउथ अफ्रीका की सरज़मीं पर 50 से ज़्यादा का औसत रखने वाले भारतीय बल्लेबाज़ों की गिनती शुरु होने से पहले ही ख़त्म हो जाती है. लेकिन, रहाणे इस बार नाकाम होते है तो 79 मैचों का अनुभव भी अब उनके अंतत्तराष्ट्रीय करियर को बचाने के लिए काफी नहीं होगा. 2021 की शुरुआत में ब्रिसबेन में टीम इंडिया को कप्तान के तौर पर एक यादगार जीत दिलाने वाले रहाणे अभी कानपुर में भी कप्तान थे लेकिन अब वो साउथ अफ्रीका में उप-कप्तान तक नहीं होंगे.
पुजारा की स्थिति सिर्फ थोड़ी बेहतर है
रहाणे के मुकाबले पुजारा की स्थिति थोड़ी बेहतर हैं. लेकिन, रवींद्र जडेजा जैसे ऑलराउंडर का टीम में नहीं होना शायद पुजारा के लिए परेशानी पैदा कर सकती है क्योंकि कोहली-द्रविड़ पुजारा के बदले हनुमा विहारी के बारे में सोच सकते है जो कुछ ओवर की गेंदबाज़ी भी कर सकते हैं.
शतकों का सूखा पुजारा को परेशान कर सकता है
पिछली 42 पारियों में पुजारा के बल्ले से कोई भी शतक नहीं निकला है और साल 2020 में उनका औसत करीब 20 का और इस साल करीब 30 का है. आखिरी बार 2019 जनवरी में शतक लगाने वाले पुजारा के लिए टेस्ट शतक अगर तीन साल के अंतराल के बाद नहीं आता है तो समझ लीजिये कि इशांत और रहाणे की तरह अफ्रीकी दौरा उनके लिए भी कहीं क्रिकेट को अलविदा कहने वाला दौरा ना साबित हो जाय.
(डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं. लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है. इसके लिए जनता से रिश्ता किसी भी तरह से उत्तरदायी नहीं है)
विमल कुमार
न्यूज़18 इंडिया के पूर्व स्पोर्ट्स एडिटर विमल कुमार करीब 2 दशक से खेल पत्रकारिता में हैं. Social media(Twitter,Facebook,Instagram) पर @Vimalwa के तौर पर सक्रिय रहने वाले विमल 4 क्रिकेट वर्ल्ड कप और रियो ओलंपिक्स भी कवर कर चुके हैं.
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