सम्पादकीय

प्रदेश में अपराध की बढ़ती प्रवृत्ति और घटनाएं

Rani Sahu
31 July 2022 7:10 PM GMT
प्रदेश में अपराध की बढ़ती प्रवृत्ति और घटनाएं
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शांतिप्रिय कहे जाने वाले प्रदेश हिमाचल में नब्बे के दशक के बाद अपराध की घटनाएं बढ़ी हैं

शांतिप्रिय कहे जाने वाले प्रदेश हिमाचल में नब्बे के दशक के बाद अपराध की घटनाएं बढ़ी हैं। देवभूमि हिमाचल में चोरी चकारी की घटनाएं तो होती ही नहीं थीं। लोगों को आपसी विश्वास और दूसरे लोगों पर अत्यधिक भरोसा था। हिमाचल क्योंकि पहाड़ी राज्य है और देश-विदेश के पर्यटकों में काफी लोकप्रिय है, जऱा सी चौकसी में ढील किसी भी अराजक तत्त्व को हिमाचल में प्रवेश के द्वार खोल देती है। दूसरे राज्यों से लोगों का हिमाचल में मज़दूरी की तलाश में पलायन अपराध की शुरुआत करने के लिए काफी था जिनमें छोटी चोरियां शामिल थी। सत्तर और अस्सी के दशक में हिप्पीवाद ने देवभूमि को विदेशी पर्यटकों से भर दिया। मनाली, कुल्लू तथा दूसरी जगहों पर उनका आना-जाना, रहना तथा स्थानीय लोगों के बीच घुल मिल जाना उन्हें पहाड़ पर स्थापित करने के लिए काफी था। अपने रंग-रूप का फायदा उठाकर कई विदेशी पर्यटक हिमाचलियों से दिखने लगे, स्थानीय बोली बोलने लगे और हिमाचल में इन दुर्गम इलाकों में पहाड़ का हिस्सा बन गए। जिन्हें कुछ वर्षों के बाद पहचानना कठिन हो गया। स्थानीय लोगों में नशे की आदत लगवाने में इनकी अहम् भूमिका रही।

चरस, भांग, गांजा और दूसरे नशीले पदार्थों का सेवन बढऩे लगा। मलाणा की ओर सब लोग अपना रुख करने लगे। मनाली, मलाणा, जरी, कसोल, भुंतर, कुल्लू इत्यादि में इन लोगों ने स्थानीय लोगों की मदद से इन नशीले पदार्थों की तस्करी भी शुरू की। नशीले पदार्थों की तस्करी अब भी जारी है। पुलिस और स्थानीय लोगों की सतर्कता से बहुत से लोग पकड़े भी जाते हैं, लेकिन कुछ लोग पुलिस को चकमा देकर निकल जाते हैं। हिमाचल से निरंतर अपराध की घटनाओं की खबरों से दिल दहल जाता है। इनमें लूटपाट, हत्या शामिल हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के सितंबर 2021 में जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार हिमाचल प्रदेश में साल 2020 के कोविड महामारी वर्ष में हत्या के मामलों में 30 फीसदी की वृद्धि हुई। वहीं महिलाओं के प्रति अपराधों में 1.3 प्रतिशत की गिरावट आई। 99.3 फीसदी मामलों में अपराधी पीडि़तों के जान-पहचान के थे। 331 मामलों में से 51 में अपराधी परिवार के ही सदस्य थे। 159 मामलों में पारिवारिक मित्र, पड़ोसी या अन्य परिचित थे। 119 मामलों में वे दोस्त, ऑनलाइन दोस्त, लिव-इन पार्टनर या अलग हुए पति थे। केवल दो मामलों में अपराधी पीडि़तों के लिए अज्ञात थे। 2019 में दर्ज किए गए 1833 मामलों की तुलना में 2020 में राज्य में 1817 हिंसक अपराध दर्ज किए गए। कुल मिलाकर महिलाओं के खिलाफ अपराधों में 1.3 फीसदी की गिरावट आई है।
राज्य भर में महिलाओं के खिलाफ कुल 1614 अपराध दर्ज किए गए। 2018 में यह संख्या 1633 थी। हाल ही में मनाली के होटल में हुई गोलीबारी की घटना से लोगों में काफी दहशत फैल गई। कोरोना काल में पर्यटन लगभग ठप ही हो गया था। मनाली में अधिकतर होटल और रेस्तरां घाटे में जा रहे थे। जैसे-जैसे कोरोना की स्थिति में सुधार हुआ, पर्यटन भी धीरे-धीरे सामान्य होने लगा। बहुत से होटल मालिकों ने अपने होटल मैदानी इलाकों के व्यापारियों को लीज या अनुबंध पर दे दिए। हिमाचल में पंजाब, हरियाणा से काफी पर्यटक सप्ताह अंत में हिमाचल आते हैं। बहुत से अराजक तत्त्व भी पहाड़ों में आते हैं। हिमाचल के बार्डर पर पुलिस की सतर्कता से काफी लोग पकड़े भी जाते हैं और कुछ हिमाचल में प्रवेश करने में सफल हो जाते हैं। कसोल में जितना प्राकृतिक सौंदर्य है, उतना ही भारतीय और विदेशी पर्यटकों का आवागमन भी। कसोल के आसपास कई ट्रैकिंग रूट्स हैं जिन पर अक्सर लोग जाते हैं। और जो लोग नशीले पदार्थों का मनोरंजन के लिए सेवन करते हैं, उनकी संख्या भी कम नहीं है। हिमाचल पुलिस की निगाह अधिकतर ऐसे लोगों पर रहती है जो नशे के व्यापार से जुड़े हुए हैं। मणिकर्ण से भुंतर तक अक्सर पुलिस को अकस्मात वाहनों की चेकिंग करते देखा जा सकता है। पिछले कुछ सालों में बेरोजगारी की समस्या ने भी अपराध को बढ़ाने में मदद की है। अधिकतर युवा जो कुंठित हैं और जल्दी पैसा कमाना चाहते हैं, अपराध से जुड़ जाते हैं। आए दिन हिमाचल में जघन्य अपराध हो रहे हैं।
उनके पीछे रंजिश होती है या मनोविक्षिप्ति अपराध भी किए जा रहे हैं। आभासी दुनिया की बढ़ती लोकप्रियता, अकेलापन, कुंठा, गरीबी, बेरोजगारी भी इसके लिए कहीं न कहीं जिम्मेवार है। आवेश या भावनाओं में बह कर किए जाने वाले अपराधों की संख्या भी निरंतर बढ़ रही है। धोखा और प्रेम संबंधों में पड़ती दरारें भी कुछ लोगों को अपराध करने के लिए उकसाती हैं। अस्सी के दशक में कुल्लू तथा आसपास के इलाकों में स्मैक और चरस का प्रचलन बढ़ गया था। युवा पीढ़ी का बड़ा हिस्सा नशे में डूब गया था। स्थानीय समाजसेवियों और पुलिस विभाग की सांझेदारी से बहुत से लोगों को इससे बाहर निकाला गया था। अब दो दशक के बाद नशाखोरी की समस्या फिर से अपना विकराल रूप धारण कर रही है। नशे की हालत में लोग अपराध अधिक करते हैं। उन्हें उस समय अच्छे या बुरे की समझ नहीं रहती। हिमाचल में अगर अपराध रोकने की पहल न की गई तो एक पीढ़ी पूरी तरह से आपराधिक मानसिकता को अपना लेगी। प्रदेश सरकार को बड़े पैमाने पर ऐसे सेंटर खोलने होंगे जिनमें नशे से ग्रस्त लोगों को पुनर्वास करने की योजना हो।
उन्हें वहां पर शैक्षिक एवं दूसरी सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएं जहां वे जीवन की मुख्य धारा से फिर से जुड़ पाएं। उनकी व्यक्तिगत समस्याओं को सुना जाए, कला कौशल में उनको आजीविका कमाने के नए अवसर बताए जाएं। ऐसे लोगों की किस विषय में रुचि थी और वे जीवन में उस विषय पर आगे क्यों नहीं बढ़ पाए, उसे जानने की कोशिश की जानी चाहिए। अपराघ रोकने के लिए यह कदम ज़रूरी है। प्रदेश में बाहर से आने वाले लोगों की गतिविधियों पर नजऱ रखना ज़रूरी है। इसमें स्थानीय लोग, पुलिस की बहुत मदद कर सकते हैं। गांव, देहात और शहरों में काम करने वाले मज़दूरों की अच्छी तरह से जांच परख कर ही उन्हें काम दिया जाए। उनसे आधार कार्ड या दूसरा कोई सरकारी पहचान पत्र लेकर, उनकी अच्छी तरह से जांच की जाए। हिमाचल में पिछले दो सालों में 'वर्क फ्रॉम होम' को लेकर बहुत से कामक़ाज़ी लोग पहाड़ों में चले गए हैं। कुछ वहीं से सब काम देख रहे हैं। वर्क फ्रॉम होम के बहाने या उसकी आड़ में काफी अराजक तत्त्व भी शांतिप्रिय पहाड़ी इलाकों में आ सकते हैं। इन पर नकेल लगाकर ही अपराध रोके जा सकते हैं।
रमेश पठानिया
स्वतंत्र लेखक

By: divyahimachal

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