सम्पादकीय

अमीरों पर बढ़े टैक्स

Subhi
21 Jan 2022 3:29 AM GMT
अमीरों पर बढ़े टैक्स
x
दुनिया के सौ से ज्यादा अरबपति एक अपील लेकर सामने आए हैं। उनका कहना है कि उन पर जो टैक्स लगाया जा रहा है, वह काफी नहीं है। उनसे और ज्यादा टैक्स लिया जाए और अभी लिया जाए।

दुनिया के सौ से ज्यादा अरबपति एक अपील लेकर सामने आए हैं। उनका कहना है कि उन पर जो टैक्स लगाया जा रहा है, वह काफी नहीं है। उनसे और ज्यादा टैक्स लिया जाए और अभी लिया जाए। पहली नजर में अजीब सी लगती इस अपील के पीछे कुछ ही दिनों पहले आई वह स्टडी रिपोर्ट है, जो बताती है कि दुनिया में अमीर और गरीब के बीच का अंतर तेजी से बढ़ रहा है।

ग्लोबल चैरिटी ऑक्सफैम द्वारा तैयार की गई इस रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के दस सबसे अमीर लोगों ने अपनी संपत्ति महामारी वाले उन दो वर्षों में दोगुना बढ़ाकर 1.5 ट्रिलियन डॉलर कर ली, जब दुनिया के ज्यादातर लोग तरह-तरह की तकलीफों से गुजरते हुए गरीबी में और गहरे धंस गए। ऐसे में इन 102 अरबपतियों ने अपनी इस साझा अपील के जरिए यह बात उठाई है कि मौजूदा टैक्स सिस्टम न्यायपूर्ण नहीं है। इसे जानबूझकर ऐसा रखा गया है, जिससे अमीर और अमीर, गरीबी और गरीब होते जाएं। इसीलिए इस टैक्स सिस्टम में बदलाव लाते हुए अमीरों पर और ज्यादा टैक्स लगाने की पहल की जानी चाहिए।

हालांकि कहां कितना टैक्स लगाना है, यह हर देश की सरकार अपने हिसाब से ही तय कर सकती है, फिर भी इस पत्र में सुझाव के तौर पर 50 लाख डॉलर तक की संपति वालों पर 2 फीसदी, 5 करोड़ डॉलर तक पर तीन फीसदी और सौ करोड़ से ऊपर की संपत्ति वालों पर पांच फीसदी का वेल्थ टैक्स लगाने की बात कही गई है। अगर इतना वेल्थ टैक्स लगाया जाए तो सालाना इतनी रकम इकट्ठा हो जाएगी कि न केवल सबको मुफ्त टीका लगाया जा सकेगा बल्कि सबको स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के साथ ही कम और मध्यम आय वर्ग के देशों के 3.6 अरब लोगों को सामाजिक सुरक्षा भी दी जा सकेगी।

अपने देश में भी हालात कुछ अलग नहीं हैं। ऑक्सफैम की ही रिपोर्ट के मुताबिक मात्र 98 सबसे अमीर भारतीयों के पास इतनी संपत्ति है जितनी कि सबसे गरीब 55 करोड़ लोगों के पास भी नहीं है। और अगर सिर्फ इन 98 भारतीयों की संपत्ति पर चार फीसदी का अतिरिक्त टैक्स लगा दिया जाए तो उससे इतना पैसा आ जाएगा है कि अगले 17 साल तक मिड-डे मील स्कीम बिना किसी बाहरी मदद के चलती रहेगी। देश में सिर्फ एक फीसदी संपत्ति कर से पूरी स्कूली शिक्षा का खर्च निकल सकता है। सचमुच वक्त आ गया है, जब सरकारों को इस दिशा में गंभीरता से सोचना चाहिए।


Next Story