सम्पादकीय

समय रहते

Subhi
5 March 2022 6:01 AM GMT
समय रहते
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रूस और यूक्रेन में चल रहे युद्ध के नौ दिन गुजर चुके हैं। यूक्रेन के लगभग सभी शहरों में तबाही का मंजर दिखाई दे रहा है। पूरा देश युद्ध भूमि में तब्दील हो चुका है।

Written by जनसत्ता: रूस और यूक्रेन में चल रहे युद्ध के नौ दिन गुजर चुके हैं। यूक्रेन के लगभग सभी शहरों में तबाही का मंजर दिखाई दे रहा है। पूरा देश युद्ध भूमि में तब्दील हो चुका है। पूरे देश में आग लगी हुई है, कुछ लोग तो इतने बदनसीब हैं कि अपनी आंखों के सामने ही अपना सब कुछ जलता हुआ देख रहे हैं। लाखों बच्चे और महिलाएं हमले से बचने के लिए अपने घरों को छोड़ कर पड़ोसी देशों में शरण लेने को मजबूर हो गई हैं।

पुरुषों को देश छोड़ कर जाने की इजाजत नहीं है। चारों तरफ बेचैनी और डर का माहौल है। देश में हर तरफ भयंकर गड़गड़ाहट सुनाई दे रही है। पूरा यूक्रेन उजाड़ में बदल गया है। अगर इस युद्ध को जल्द ही नहीं रोका गया, तो तीसरे विश्व युद्ध के हालात बन जाएंगे, पूरी दुनिया पर संकट छा जाएगा। भारत के भी हजारों बच्चे यूक्रेन में पढ़ाई के लिए गए हुए हैं उनमें से एक बदनसीब बच्चा तो इस युद्ध की भेंट भी चढ़ चुका है।

लगभग एक महीना पहले ही रूस के लगभग डेढ़ लाख सैनिक यूक्रेन की सीमा पर पहुंच गए थे, तभी भारत सरकार को चौकन्ना हो जाना चाहिए था, लेकिन देर से ही सही, भारत सरकार ने उन बच्चों को वहां से निकालना शुरू कर दिया है। सभी जानते हैं कि हमारी सरकारें संकट के समय में जरा देर से ही जागती हैं।

यहां पर एक सवाल यह भी उठता है कि जब युद्ध के आसार पिछले कुछ दिनों से लग रहे थे तो उन बच्चों के माता-पिता को संकट का अनुमान क्यों नहीं हुआ? उन्होंने अपने बच्चों को वापस बुलाने में देरी क्यों कर दी? भविष्य में ऐसी लापरवाही न हो इसका ध्यान रखा जाना चाहिए, क्योंकि ताकतवर देश पड़ोसी देशों पर युद्ध तो थोपते ही रहेंगे।


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