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प्रियंका चोपड़ा ने हॉलीवुड के लिए लंदन में ‘मैट्रिक्स 4’ और ‘टेक्स्ट फॉर यू’ की शूटिंग पूरी कर ली है
प्रियंका चोपड़ा ने हॉलीवुड के लिए लंदन में 'मैट्रिक्स 4' और 'टेक्स्ट फॉर यू' की शूटिंग पूरी कर ली है। अब वे 'सिटाडेल' नामक फिल्म के लिए शूटिंग कर रही हैं। ज्ञातव्य है कि एजे क्रोनिन के उपन्यास 'सिटाडेल' से प्रेरित देवआनंद, मुमताज और हेमा मालिनी अभिनीत फिल्म 'तेरे मेरे सपने' प्रशंसित हुई थी। एक सेवानिवृत्त डॉक्टर एक कस्बे में अपना छोटा सा अस्पताल दो युवा डॉक्टर्स को वेतन पर रखकर चलाते हैं।
बूढ़े डॉक्टर की निर्मम पत्नी युवा डॉक्टरों को भरपूर भोजन भी नहीं देती। देव आनंद और विजय आनंद अभिनीत युवा डॉक्टर आदर्श के लिए असुविधाजनक हालत में भी काम कर रहे हैं कि कस्बे के आम आदमी का इलाज कर सकें। कस्बे में देव आनंद अभिनीत डॉक्टर को मुमताज अभिनीत कस्बाई महिला से प्रेम हो जाता है। निर्देशक विजय आनंद ने एक ही गीत... 'राधा ने माला जपी श्याम की' के फिल्मांकन में प्रेम तथा विवाह सभी प्रस्तुत कर दिए थे। गर्भवती मुमताज को एक बिगड़ैल युवा अमीरजादा अपनी कार से घायल कर देता है।
कस्बे के अस्पताल में साधन की कमी के कारण मुमताज का गर्भपात हो जाता है। इसी साधनहीनता के कारण विजय आनंद कस्बा छोड़कर अपनी पत्नी सहित महानगर जाकर एक अस्पताल में नौकरी करता है। हेमा मालिनी का पात्र एक लोकप्रिय सितारा है और अपने ही रिश्तेदारों से घिरी रहते हुए मानसिक रोगी हो जाती है। देवानंद उसे इस हव्वे से मुक्त करा देता है।
सितारा हेमा का पात्र डॉक्टर से मन ही मन प्रेम करने लगती है और डॉक्टर पर इतनी निर्भर हो जाती है कि डॉक्टर की संगत के बिना हुआ अभिनय भी नहीं कर पाती। विजय आनंद अभिनीत पात्र डॉ मुमताज से मिलता है। उसके दु:ख-दर्द को समझता है। वह मुमताज को उसके शयन कक्ष में जाने के लिए कहता है। इसके बाद वह हॉल की लाइट बंद करके शोहरत में गाफिल अपने मित्र का इंतजार करता है।
देर रात देवानंद लाइट ऑन करते हैं। अपने मित्र को देख कर वे खुश होते हैं। डॉक्टर विजय आनंद उसे लाइट ऑफ करने को कहते हैं। उनका संवाद है कि...'अब जो मैं तुमसे कहने जा रहा हूं वह उजाले में नहीं कह पाऊंगा और तुम सुन नहीं पाओगे।' उसके बाद की बातचीत से देव आनंद अपनी भूल को समझ लेते हैं।
पश्चाताप भी करते हैं। क्या हम इस सीन की यह व्याख्या करें कि विजय आनंद अभिनीत पात्र एक आईना है, जिसमें देवानंद स्वयं को निर्वस्त्र देख पाता है और उसे अपनी भूल का अहसास शिद्दत से हो जाता है। 'तेरे मेरे सपने' के इसी सीन का दूसरा रूप फिल्म 'गाइड' में देखने को मिलता है।
बहरहाल बाद सब कुछ ठीक हो जाता है। यहां तक कि सितारा हेमा मालिनी पात्र भी नैराश्य से उबर आती है। यह व्याख्या भी की जा सकती है कि अब पात्रों को जीने की तमन्ना है और मरने का इरादा है। ज्ञातव्य है कि लेखक सोमरसेट भी प्रशिक्षित डॉ रहे हैं। जिनका लिखा उपन्यास 'ऑफ ह्यूमन बॉन्डेज' भी यादगार रचना मानी जाती है। हर डॉक्टर में एक विचारवान लेखक भी छिपा रहता है।
यह वर्ग जानता है कि दर्दे दिल का हाल क्या होता है और आशिक कैसे शायर बन जाता है। सिटाडेल शब्द का अर्थ है 'एक किला'। हर व्यक्ति अपने किले में कैदी भी है और किले की रक्षा भी कर रहा है। अहंकार सबसे मजबूत जेल है। इसमें कैद व्यक्ति दुनिया को बदल देने का दावा करते हुए पूरे विश्व को ही जेल में बदल देता है। यह प्रियंका अभिनीत 'सिटाडेल' डॉ एजे क्रोनिन की रचना से अलग किस्म की बन सकती है।
मूल 'मैट्रिक्स' में प्रस्तुत किया गया है कि भविष्य में कंप्यूटर मानव को अपनी बैटरी की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं। लेखक फ्रांज काफ्का ने भावनाहीन 'आउटसाइडर ज्यूरिसप्रूडेंस' की रचना गुजश्ता सदी में की थी। बंगाली लेखक मनोज बसु की 'विविर' भी भावनाहीन मनुष्य की कथा कहती है। खाकसार की 'पाखी' में प्रकाशित 'एक सेल्समैन की आत्मकथा' भी इसी भयावह भविष्य को रेखांकित करती है।a
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