सम्पादकीय

झाड़ू के शोरूम में

Rani Sahu
8 May 2022 7:11 PM GMT
झाड़ू के शोरूम में
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जब से सरकार ने देश की स्वच्छता, वोकल फॉर लोकल, आत्मनिर्भर भारत तथा राष्ट्रीय स्वाभिमान में झाड़ू की शालीनता को स्वीकार किया है

जब से सरकार ने देश की स्वच्छता, वोकल फॉर लोकल, आत्मनिर्भर भारत तथा राष्ट्रीय स्वाभिमान में झाड़ू की शालीनता को स्वीकार किया है, कई तरह के झाड़ू बाजार में आ गए हैं। झाड़ू के साथ लिया गया चित्र हमें विशुद्ध रूप में भारतीय बना देता है, बल्कि कई बार तो सार्वजनिक समारोहों में बेचारे फोटोग्राफरों को व्यक्तिगत रूप से नेताओं को झाड़ू परोसना पड़ता है। देश को भरोसा हो गया है कि अगले दशक में कुछ चले न चले, झाड़ू जरूर चलेगा। हो न हो, एक दिन हम इसी झाड़ू की वजह से विश्व गुरु बनेंगे। झाड़ू खुद में अर्थतंत्र, सामाजिक गठबंधन, पारिवारिक बंधन और व्यावसायिक तथा राजनीतिक मंथन हो चुका है। घर-घर में झाड़ू के कारण नए रिश्ते विकसित हो रहे हैं। सुबह आने वाली कामवाली जितना तेज झाड़ू घुमाती है, उतना ही पगार पाती है। हमारे द्वारा लाए गए हर झाड़ू को वह बेकार साबित कर चुकी है। उसका निरीक्षण-परीक्षण झाड़ू की नोक पर होता है। उस दिन शुभ सूचना पाकर खुश हुआ कि शहर में झाड़ू के शोरूम का उद्घाटन होने जा रहा है। पार्टी से संबंधित होने के कारण स्थानीय विधायक के साथ शोरूम के उद्घाटन के अतिथि तो थे ही, लिहाजा रिबन काटते ही सजे-धजे झाड़ू के शोरूम के अंदर थे। तरह-तरह के झाड़ू हमारे जैसे सियासी प्राणियों को देखकर मुस्करा रहे थे, कई आपस में ही चोंच लड़ा रहे थे।

शोरूम में झाड़ुओं के सामने हम सभी बौने थे, फिर भी मालिक ने हमारा परिचय एक-एक झाड़ू से कराया। उनका रुतबा समझाया-इतिहास बताया। शोरूम के मालिक ने बताया कि हर झाड़ू की मुद्रा है। इसे गृहिणी पकड़े तो घर संवरे, पति चलाए तो पूरा मोहल्ला संभल जाए। वह बता रहा था कि झाड़ू की कीमत पति की इज्जत से ज्यादा हो, तो धंधा खूब चमकता है और इसकी एक योजना वह शुरू कर रहा है। योजना के तहत जितनी संख्या में पति झाड़ू लगाएंगे, उसी हिसाब से पत्नियों का मुफ्त मेकअप होगा। यानी पत्नी को मेकअप मेें खुश देखने के लिए पतियों को कम से कम आधा दर्जन झाड़ू घिसने पड़ेंगे। शोरूम में गलती से हमारे विधायक ने एक झाड़ू को छू दिया, तो भीतर से आवाज आई कि यह झाड़ू अब निष्क्रिय माना जाएगा। विधायक ने सुशासन की तर्ज पर कसम खाई कि वह अब सरकारी फाइल की तरह झाड़ू को नहीं छूएंगे। एक झाड़ू पर नजरबट्टू के रूप में नींबू व मिर्चें लटकाई हुई थीं, पूछने पर बताया कि यह पिछले चुनाव का झाड़ू है और इसी के कारण हमारी पार्टी चुनाव जीत रही है।
विधायक दंडवत हुए, लेकिन अगले ही क्षण वह चौंक गए क्योंकि वहां एक अन्य झाड़ू पर माल्यार्पण हुआ था। पूछने पर बताया, 'यह आजादी से पूर्व का झाड़ू है। महात्मा गांधी ने इसे चलाकर आजादी के तराने गाए थे, स्वच्छता का संगीत दिया था। यह झाड़ू हर धर्म के लिए था, देश के धर्म समभाव का प्रतीक था, लेकिन अब यह न मांग में और न ही फैशन में है, इसलिए इसे यहां केवल श्रद्धांजलि कक्ष में सजाया गया है।' वहां हर जाति, धर्म और वर्ग के हिसाब से अलग-अलग झाड़ू थे, इसलिए हमें भी तोहफे के रूप में अपने धर्म और जाति के अनुरूप झाड़ू मिल गया, लेकिन तभी किसी के चीखने की आवाज से चौंके। शोरूम के भीतरी भाग में झाड़ू का मंचन हो रहा था। यह तरह-तरह के भूत भगाने का झाड़ू था। विधायक चाहता था कि वह भी इसका इस्तेमाल करके अपने विरोधियों के भूत भगा दे, लेकिन एक साधारण व्यक्ति ने उससे पहले झाड़ू उठाकर उलटे विधायक पर ही बरसा दिया। व्यक्ति चीख रहा था, 'लोकतंत्र पर चस्पां पहला भूत भाग रहा है।' विधायक झाड़ू से डर कर भाग रहा था, लेकिन मतदाता अपने लोकतंत्र की हिफाजत कर रहा था।
निर्मल असो
स्वतंत्र लेखक


Rani Sahu

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