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- आंदोलन के सामने
पिछले करीब सात महीने से दिल्ली की सीमाओं पर जमे किसान अपनी मांगों को लेकर लगातार आंदोलन कर रहे हैं। इक्का-दुक्का घटनाओं को छोड़ दें तो इस आंदोलन की प्रकृति आमतौर पर शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक परंपराओं के अनुरूप रही है। शायद यही वजह है कि इतने लंबे समय से आंदोलनकारी मोर्चे पर हैं और सरकार उनकी मांगों को नहीं मानने के बावजूद उन्हें दिल्ली की सीमाओं पर से हटा पाने में सफल नहीं हो सकी है। लेकिन बुधवार को गाजीपुर बॉर्डर पर आंदोलन स्थल के पास किसानों और भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच जैसी झड़प हुई, वह इसलिए चिंता का विषय है कि यह न केवल एक लोकतांत्रिक आंदोलन की प्रकृति के प्रतिकूल है, बल्कि अगर ऐसे टकराव से बचा नहीं गया तो इसका नुकसान बहुस्तरीय हो सकता है। खबरों के मुताबिक बुधवार को वहां से भाजपा के एक नेता का काफिला गुजर रहा था, जिसमें शामिल लोगों और किसानों के बीच नेता का स्वागत करने के मसले पर टकराव शुरू हो गया।