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- नागरिक अधिकार के पक्ष...
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आज देश का जो हाल है, उसमें व्यक्तिगत अधिकारों के पक्ष में हुई कोई बात बेहद अहम लगती है। वरना, पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने हाल में जो फैसला दिया, उसमें नई बात कुछ नहीं है। सुप्रीम कोर्ट कई वर्ष पहले लिव इन रिलेशनशिप को वैध ठहरा चुका है। बल्कि उसने ऐसे संबंध में रहने वाली महिला के अधिकारों की व्याख्या भी तब की थी। लेकिन वह नागरिक अधिकारों के विस्तार का दौर था।
अब इसके सिकुड़ने का काल है। इसीलिए हाई कोर्ट के इस फैसले ने ध्यान खींचा कि विवाह योग्य उम्र का न होने पर भी बालिग लड़के और लड़की को एक साथ रहने के उनके अधिकारों से वंचित नहीं रखा जा सकता। इसमें अधिकार विस्तार का पहलू सिर्फ यह है कि कोर्ट ने उम्र की सीमा को इस संदर्भ में निरर्थक ठहरा दिया। वैसे हाई कोर्ट के समक्ष इस मामले में अदालत को बताया गया था कि दोनों याचिकाकर्ता बालिग हैं। लड़की की उम्र 19 साल और लड़के की उम्र 20 साल है। दोनों ने पुलिस के संरक्षण की मांग की थी।