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सम्पादकीय
कठिन समय में रामनाम को अपनी भक्ति में और रामकाम को अपने कर्म में उतारें
Gulabi Jagat
5 April 2022 8:44 AM GMT

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तुलसी रामनाम का अर्थ केवल जपना या भजना नहीं मानते
पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम:
कुछ लोगों ने एक वक्त पर कुछ लोगों का खून पानी की तरह बहा दिया, और अब जब वक्त बदला, उन्हें पानी बहाने से रोका गया तो ऐसे लोगों का खून खौल उठा। होना तो यह चाहिए कि सब मिलकर खून-पानी की जगह पसीना बहाएं तो शायद राष्ट्र और आगे बढ़ पाएगा। श्रीराम जब रावण को पराजित कर लौटे तो उनकी चिंता यही थी कि रावण ने धर्म व संस्कृति के नाम पर घोर अत्याचार फैलाया था।
उन्होंने रावण को तो मार डाला, लेकिन इधर-उधर सब दूर बिखरे पड़े उसके दुष्कृत्यों को कब तक बीन-बीनकर खत्म करते? इसीलिए लंका कांड के समापन पर तुलसीदासजी ने लिखा- 'यह कलिकाल मलायतन मन करि देखु बिचार। श्रीरघुनाथ नाम तजि नाहिन आन अधार।।' अरे मन, थोड़ा विचार करके देख, यह कलियुग पापों का घर है, और इसमें रामनाम को छोड़कर पापों से बचने का दूसरा कोई आधार नहीं है।
तुलसी रामनाम का अर्थ केवल जपना या भजना नहीं मानते। रामनाम का उद्देश्य है राम को याद करना, उनके किए हुए अच्छे कार्यों को जीवन में उतारना। कलिकाल की विशेषता है कि वह अच्छे लोगों पर अत्याचार देखकर प्रसन्न होता है, और राम हमेशा अच्छे लोगों के पक्ष में खड़े रहते हैं। ऐसे दृश्य आज भी देखने को मिलते हैं। इसलिए इस कठिन समय में रामनाम को अपनी भक्ति में और रामकाम को अपने कर्म में उतारिए।

Gulabi Jagat
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