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- अपने ही बुने जाल में...
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। ''तुमने बोये थे खेतों में इंसानों के सर, अब जमी लहू उगलती है तो रंज क्यों है?'' यह बात पाकिस्तान के हालात को बयां करने के लिए काफी है। पड़ोसी पाकिस्तान इस समय बहुत बुरे दौर से गुजर रहा है। बड़े-बड़े शहर हिंसा की चपेट में हैं। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान असहाय दिख रहे हैं। उनका असहाय दिखना कोई नई बात नहीं है। हताशा में इमरान लगातार अपने पांव पर कुल्हाड़ी मार रहे हैं और वे अपने ही बुने जाल में फंस चुके हैं। सियासत पर नजर रखने वाले तो इस बात की आशंका जाहिर कर रहे हैं कि पाकिस्तान में कभी भी गृह युद्ध छिड़ सकता है। पिछले कुछ दिनों से पाकिस्तान की सेना और कट्टरपंथी आमने-सामने हैं। पाकिस्तान की सेना के पास अमानवीय तरीके से लोगोें का दमन करने के अलावा दूसरा विकल्प ही नहीं बचा है। पिछले वर्ष अक्तूबर में फ्रांस के नीस शहर में एक शिक्षक ने पैगम्बर मोहम्मद साहब के विवादित कार्टून को दिखाया था, जिसके बाद उसकी हत्या कर दी गई थी। इस घटना की प्रतिक्रिया के फलस्वरूप फ्रांस की इमैनुअल मैक्रो सरकार ने कई कदम उठाए। मैक्रो सरकार ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के पक्ष में जोरदार तर्क पेश किए और इस्लाम के कट्टरपंथी स्वरूप की आलोचना की थी। इस्लामिक कट्टरवाद को रोकने के लिए कानून बनाने का ऐलान किया और सौ से अधिक मस्जिदों को बंद कर दिया गया। इन कदमों की इस्लामिक देशों में तीखी प्रतिक्रिया होती थी और फ्रांस का बहिष्कार करने की मुहिम छेड़ दी गई। इसे फ्रांस का इस्लामोफबिया करार दिया गया। पाकिस्तान में भी ऐसी ही मुहिम शुरू हुई।