सम्पादकीय

इमरान खान की वापसी

Gulabi Jagat
20 July 2022 4:54 AM GMT
इमरान खान की वापसी
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उप चुनावों ने जाहिर किया कि सत्ता से हटने के बाद इमरान खान ने जो नैरेटिव रचा
By NI Editorial
उप चुनावों ने जाहिर किया कि सत्ता से हटने के बाद इमरान खान ने जो नैरेटिव रचा है, उसका पूरे पाकिस्तान में जमीन तक असर हुआ है। इससे राष्ट्रीय स्तर पर उनकी वापसी का रास्ता खुल गया है।
पाकिस्तान के सबसे प्रांत पंजाब में आए उप-चुनाव नतीजों को उचित ही पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की वापसी के रूप में देखा गया है। यह सच है कि इन नतीजों से शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट सरकार की जड़ हिल गई है। 20 सीटों के लिए रविवार को उप-चुनाव हुआ। इस पर सबकी नजर थी। उसी रात आए नतीजों को पाकिस्तान के राजनीतिक बैरोमीटर का पैमाना माना गया है। पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) ने इन 20 में से 15 सीटें जीत लीं। सत्ताधारी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज सिर्फ चार सीटें जीत पाई, जबकि एक सीट एक निर्दलीय उम्मीदवार के पाले में गई। पंजाब पीएमएल-नवाज दशकों से गढ़ रहा है। जबकि पीटीआई कभी यहां मजबूत पार्टी नहीं रही। लेकिन उप चुनावों ने जाहिर किया कि सत्ता से हटने के बाद इमरान खान ने जो नैरेटिव रचा है, उसका पूरे पाकिस्तान में जमीन तक असर हुआ है। ताजा नतीजों का मतलब यह है कि पंजाब की प्रांतीय असेंबली में पीटीआई को बहुमत हासिल हो गया है। अब वहां पीटीआई की सरकार बनेगी। लेकिन बात इतनी ही नहीं है।
इन नतीजों का असर सिर्फ पंजाब तक सीमित नहीं रहेगा। बल्कि इसे उचित ही राष्ट्रीय स्तर पर इमरान खान की वापसी का संकेत माना गया है। इन नतीजों ने दिखाया है कि इमरान खान पाकिस्तान में ऐसे सबसे लोकप्रिय नेता के रूप में उभर चुके हैं, जिसके पास जमीनी जन समर्थन है। इसका दूसरा असर यह होगा कि अब प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के लिए शासन करना अधिक मुश्किल हो जाएगा। उसकी स्थिति एक लेम डक यानी घायल बत्तक जैसी हो जाएगी। वैसे चुनाव नतीजों का मतलब यहीं तक सीमित नहीं है। बल्कि यह पाकिस्तान के 'ऐस्टैबलिशमेंट' के लिए भी तगड़ा झटका है। पाकिस्तान में सेना और खुफिया नेतृत्व को ऐस्टैबलिशमेंट कहा जाता है। इमरान खान आरोप लगाते रहे हैं कि ऐस्टैबलिशमेंट भी बीते मार्च-अप्रैल में उन्हें सत्ता से हटाने की साजिश में शामिल हुआ था। अगर यह सच है तो जाहिर है कि अब देश की जनता मूड एस्टैबलिशमेंट को नजरअंदाज करते हुए इमरान खान को सत्ता में वापस लाने का है।
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