सम्पादकीय

पीएम मोदी की राह पर चलकर क्या पाकिस्तान में अपनी गिरती लोकप्रियता बचाना चाहते हैं इमरान खान

Rani Sahu
22 March 2022 6:08 PM GMT
पीएम मोदी की राह पर चलकर क्या पाकिस्तान में अपनी गिरती लोकप्रियता बचाना चाहते हैं इमरान खान
x
पाकिस्तान (Pakistan) के प्रधानमंत्री इमरान खान (PM Imran Khan) आजकल अपने ‘भारत प्रेम’ के साथ ही ‘मोदी प्रेम’ के लिए चर्चा में हैं

यूसुफ़ अंसारी

पाकिस्तान (Pakistan) के प्रधानमंत्री इमरान खान (PM Imran Khan) आजकल अपने 'भारत प्रेम' के साथ ही 'मोदी प्रेम' के लिए चर्चा में हैं. अपनी कुर्सी पर लगातार मंडरा रहे ख़तरे के बीच इमरान खान बार-बार भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की तारीफ़ करते नज़र आ रहे हैं. दो दिन पहले एक जनसभा में भारतीय विदेश नीति की खुलकर तारीफ़ करने के बाद अब उन्होंने भारतीय सेना की तारीफ़ करते हुए उसे सलाम किया है. अक्सर भारत के खिलाफ़ बोलने वाले इमरान ख़ान के ये बदले हुए सुर हैरान करने वाले हैं. सवाल उठता है कि क्या इमरान पाकिस्तान के 'मोदी' बनने की कोशिश रहे हैं?
दरअसल पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने भारतीय सेना की जमकर तारीफ की है. इमरान खान ने एक जनसभा में पाकिस्तानी सेना का नाम लिए बिना कहा, "मैं भारत को सलाम करता हूं. वे अपने लोगों के लिए काम करते हैं, भारतीय सेना भ्रष्ट नहीं है और वे कभी भी लोगों द्वारा चुनी गई सरकार में हस्तक्षेप नहीं करते हैं." इमराम ख़ान का ये बयान सेना से उनकी नाराज़गी को दिखाता है. पाकिस्तानी पर्यवेक्षक इमरान ख़ान के इस बयान को सीधे तौर पर पाकिस्तानी सेना पर कटाक्ष मान रहे हैं. बता दें कि पाकिस्तान में सना वहां की विदेश नीति और नागरिक सरकार को नियंत्रित करती है. इस समय भी सेना इमरान ख़ान को प्रधानमंत्री पद से हटाने की पुरज़ोर कोशिश कर रही है. पाकिस्तानी सेनाध्य़क्ष जनरल कमर जावेद बाजवा इमरान ख़ान को ओआईसी की बैठक के बाद प्रधानमंत्री पद छोड़ने की "सलाह" दे चुके हैं.
सेना से क्यों नाराज हैं इमरान खान?
दरअसल पाकिस्तान में शुरू से ही सरकार बनाने और उसे गिराने में सेना महत्वपूर्ण भूमिका निभाती रही है. वहां व्यवस्था ही ऐसी है कि किसी भी पार्टी की सरकार हो वो सेना के इशारे पर ही चलती है. जो सरकार सेना से टकराव रखती है उसका देर सबेर पतन हो जाता है. चर्चा है कि इमरान ख़ान को सत्ता में लाने में सेना ने अहम भूमिका निभाई थी. लेकिन वो सेना की उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे. उन्हें हटाने की पूरी तैयारियां हो चुकी हैं. उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आ चुका है. इमरान इस समय में सेना से मदद चाहते थे, लेकिन सेना ने मदद करने से इंकार कर दिया. बताया जा रहा है कि उल्टा सेना प्रमुख बाजवा ने उन्हें इस्तीफा देने के लिए कह दिया. अब जबकि उन्हें कुर्सी बचाने के लिए सेना की मदद की जरूरत है तो सेना पीछे हट गई है. यही सब वजह है कि वह सेना से नाराज चल रहे हैं. इसी नाराज़गी के चलते इमरान ख़ान ने खुले मंच और खुले दिल से भारतीय सेना की तारीफ़ करके बाजवा के मुंह पर तमाचा मारा है.
भारतीय विदेश नीति की भी की थी तारीफ़
बता दें कि इमरान खान इससे पहले भारत की विदेश नीति की भी जमकर तारीफ़ कर चुके हैं. पीएम इमरान खान ने रविवार को कहा था कि, "मैं हिंदुस्तान की तारीफ करता हूं. हिंदुस्तान ने हमेशा आज़ाद विदेश नीति रखी. हिंदुस्तान अमेरिका का सहयोगी है और खुद को न्यूट्रल कहता है. रूस से तेल मंगवा रहा है, जबकि रूस पर प्रतिबंध लगे हुए हैं. क्योंकि उसकी विदेशी नीति लोगों की बेहतरी के लिए है."
इमरान खान ने एक क़दम आगे बढ़कर कहा कि अमेरिका समेत कई पश्चिम देश पाकिस्तान पर रूस के ख़िलाफ़ बयान देने का दबाव डाल रहे थे, जबकि भारत पर दबाव डालने की इनकी हिम्मत नहीं होती, क्योंकि वो अपने लोगों के हित में अपनी आज़ाद विदेश नीति पर चलता है.
इमरान ने जनसभा में य बात क़ुबूल करते हुए कहा, 'पश्चिमी देशों के राजदूतों ने प्रोटोकॉल के खिलाफ पाकिस्तान को कहा कि आप रूस के ख़िलाफ़ बयान दें. मैंने उनसे पूछा कि क्या आप हिंदुस्तान को ये कहेंगे. इनकी जान जाती है हिंदुस्तान को कहते हुए. हम क्या इनका ग़ुलाम हैं कि हमसे कहा जा रहा है कि हम उनके ख़िलाफ़ बयान दें.'
इमरान की कुर्सी जानी तय है?
पाकिस्तान में जारी सियासी उठापटक के बीच प्रधानमंत्री इमरान खान की कुर्सी जाना लगभग तय माना जा रहा है. राजनीतिक अटकलों के पाक के पूर्व नवाज शरीफ की पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज ने नए पीएम उम्मीदवार का नाम जारी कर दिया है. नवाज शरीफ की बेटी और पार्टी की उपाध्यक्ष मरियम नवाज़ ने पार्टी की तरफ से शहबाज शरीफ को पीएम पद का उम्मीदवार बनाए जाने का ऐलान कर दिया है. उन्होंने उम्मीद जताई है कि इमरान ख़ान के ख़िलाफ़ लाया जा रहा अविश्वास प्रस्ताव संसद में पास हो जाएगा और उनकी सरकार गिर जाएगी. इस्लामाबाद हाईकोर्ट के बाहर एक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए मरियम ने कहा कि सभी विपक्षी पार्टियां बैठकर तय करेंगी कि पीएम पद का नया उम्मीदवार किसे बनाया जाए, लेकिन उनकी पार्टी की तरफ़ से शहबाज़ शरीफ़ ही प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार होंगे. विपक्षी दलों की ये घेराबंदी बता रही है कि इमरान सरकार का जाना अब तय हो चुका है.
इमरान को सरकार गिरने की आशंका
तेज़ी से बदलत पाकिस्तान के राजनीतिक घटनाक्रम को देखते हुए लगता है कि इमरान ख़ान को भी इस बात का अहसास हो गया है कि अब उनकी सरकार का बचना मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन है. उनके ख़िलाफ़ लाया गया अविश्वास प्रस्ताव संसद में पास हो जाएगा. शायद यही वजह है कि इमरान ख़ान अब ख़ुद को शहीद दिखा कर दोबारा से जनता के बीच जाने की तैयारी कर रहे हैं. उन्होंने सेना से सीधे टक्कर लेने का मन बना लिया है. वो अब किसी भी कीमत में सेना की सुनने के मूड में नहीं हैं. उन्होंने पद छोड़ने की जगह इस लड़ाई को सड़कों पर ले जाने का फैसला किया है. उन्होंने संसद में उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किए जाने से एक दिन पहले 27 मार्च को अपने समर्थकों को पाकिस्तान नेशनल असेंबली पहुंचने की अपील की है. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा है, "मैं चाहता हूं कि पाकिस्तान की आत्मा के लिए लड़ने के लिए सार्वजनिक उपस्थिति के सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए जाएं."
मोदी की तरह जन नेता बनना चाहते हैं इमरान
इमरान ख़ान ने अपनी कुर्सी पर मंडराते ख़तरे के बीच जिस तरह भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ़ की है उससे साफ़ लगता है कि वो मोदी की कार्यशैली से खासे प्रभावित हैं. भारतीय विदेश नीति की तारीफ़ करते हुए इमरान ने कहा भी था वो पाकिस्तान को भारत जैसी आज़ाद विदेश नीति देना चाहते हैं. पाकिस्तान की राजनीति पर पैनी नज़र रखने वाले इसे इमरान का अगला चुनावी एंजेडा मान रहे हैं. जिस तरह इमरान सेना से सीधे टकरा रहे हैं वो भी उनका अगला चुनावी एजेंडा हो सकता है.
दरअल पाकिस्तान का राजनीतिक इतिहास बताता है कि सेना से टकराने वाला प्रधानमंत्री कभी भी ज़्यादा दिन कुर्सी पर नहीं रहा. पहली बार जनरल अयूब खान ने 7 अक्टूबर 1958 को तात्कालीन राष्ट्रपति मेजर जनरल इस्कंदर मिर्जा की सरकार का तख्तापलट कर दिया. उसके बाद पाकिस्तान में 1969, 1977 और 1999 को भी तख्तापलट किया गया. इस बार इमरान ख़ान को हटाकर सेना कठपुतली पीएम बनाने का प्रयोग करती दिख रही है. पाकिस्तानी जनता का एक बड़ा तबक़ा सरकार बनाने और गिराने में सेना के दखल को अच्छा नहीं मानता. इमरान सेना के खिलाफ आक्रामक रुख दिखाकर इस तबके को अपने साथ करना चाहते हैं ताकि अगले चुनाव में उनकी पार्टी को पहले के मुक़ाबले ज़्यादा सीटें मिल सकें.
मोदी के नक़्शे क़दम पर चल रहे हैं इमरान?
2018 में पाकिस्तान का प्रधानमंत्री बनने के बाद से इमरान खान कई मामलों में मोदी की नक़ल करते दिखे हैं. मोदी की तरह ही इमरान ने भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम छेड़ी. उन्होंने पीएम मोदी की तरह ही पाकिस्तान में सफाई अभियान चलाया. वीआईपी कल्चर ख़त्म करने की दिशा में क़दम उठाया. सरकारी खर्च कम करने के लिए इमरान ने अपने सरकार के मंत्रियों को स्पेशल या चार्टर फ्लाइट की जगह रेगुलर फ्लाइट से सफ़र करने को कहा. इसके अलावा इमरान ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्रियों को विदेशी दौरों पर मिले महंगे तोहफों की नीलामी भी मोदी के स्टाइल में ही की. इतनी तमाम कसरतों के बावजूद इमरान मोदी जैसी लोकप्रियता हासिल नहीं कर पाए. लेकिन अब वो मोदी और उनकी नीतियों की तारीफ़ करके ये जताना चाहते हैं कि ऐसी ही नीतियों से पाकिस्तान दुनिया में अपनी पहचान बना सकता है. मोदी के नाम के सहारे इमरान पाकिस्तान में खुद की नए सिरे से ब्रांडिंग करना चाहते हैं. अब वो मोदी स्टाइल में ही पाकिस्तान की जनता सें संवाद कर रहे हैं.
क्या इमरान को होगा इससे फायदा?
1996 में तहरीक-ए-इंसाफ पाकिस्तान पार्टी बनाने के बाद से ही इमरान ख़ान ने धीरे-धीर पाकिस्तानी आवाम के दिलों में अपनी जगह बनाई है. पाकिस्तानी संसद यानि नेशनल असेंबली में चुनाव दर चुनाव उनकी पार्टी की सीटें बढ़ी हैं. 2018 के चुनाव में उनकी पार्टी 270 में से 116 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी. उनकी पार्टी को पूर्ण बहुमत तो नहीं मिला था. लेकिन बाकी पार्टियां आस पास भी नहीं ठहर पाई थीं. उन्होंने कई पार्टियों के समर्थन से सरकार बनाई थी. खास बात ये है कि इमरान ख़ान ने पांच सीटों से चुनाव लड़ा था और पांचों ही सीटों पर वो जीते थे. ये पाकिस्तान में उनकी लोकप्रियता को दिखाता है. इससे पहले 1970 में जुल्फिकार अली भुट्टो चार सीटों से चुनाव लड़े थे लेकिन वो तीन सीटों पर ही जीत पाए थे. 1997 के चुनाव में इमरान खान दो सीटों पर चुनाव लड़े थे और दोनों पर हार गए थे. अगर मौजूदा राजनीतिक घटनाक्रम में इमरान सरकार गिरती है तो इमरान को सहानुभूति मिल सकती है. इससे उन्हें अगले साल होने वाले चुनाव में फायदा हो सकता है.
ग़ौरतलब है कि प्रधानमंत्री बनने के बाद इमरान खान ने अपने पहले ही भाषण में अवाम को एक नया पाकिस्तान बनाने का ख़्वाब दिखाया था. उन्होंने जन कल्याणकारी पाकिस्तान बनाने का वादा किया था. उनका वादा और नए पाकिस्तान का ख्वाब अभी अधूरा है. इमरान इसे पूरा करने के लिए वहां की जनता से अपने और अपनी पार्टी के लिए पूर्ण बहुमत की सरकार मांग सकते हैं. हाल ही में राष्ट्रीय मुद्दों के साथ जन कल्याणकारी योजनाओं के सहारे बीजेपी ने चार राज्यों में जीत हासिल की है. इसकी चर्चा दुनिया भर के साथ पाकिस्तानी मीडिया में हुई है. पाकिस्तानी मीडिया में पहले भी कई बार मोदी की तारीफ हो चुकी है. लिहाज़ा इमरान मोदी की तारीफ सिर्फ़ दिखावे के लिए किसी मजबूरी में नहीं कर रहे. वो मोदी के नक्शे क़दम चल कर भविष्य की अपनी राजनीति की दिशा भी तय कर रहे हैं.
Rani Sahu

Rani Sahu

    Next Story