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- इमरान फौजी गिरफ्त में

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By: divyahimachal
पाकिस्तान में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ जो सलूक किया गया है, वह पाकिस्तान में ही हो सकता है। यह वाकई शर्मनाक और कानून के राज पर कलंक है। इमरान अदालत में मौजूद थे कि खिड़कियों के शीशे तोड़ कर, पाकिस्तान के ही रेंजर्स, अंदर घुसे और इमरान को दबोच लिया। सुरक्षाकर्मियों और वकीलों को मारपीट कर एकतरफ कर दिया गया। वे जख्मी भी हुए। रेंजर्स मुल्क के पूर्व प्रधानमंत्री को घसीटते हुए, कॉलर से पकड़े, धकियाते हुए बाहर ले गए और अदालत परिसर में ही गिरफ्तार कर लिया। इस्लामाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की टिप्पणी थी-‘अदालत में जो कुछ हुआ है, वह माफी के लायक नहीं है। यह कानून का मजाक है। मैं इसकी तह तक जाऊंगा।’ मुख्य न्यायाधीश ने हुकूमत के गृह सचिव और राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो (एनएबी) के महानिदेशक को अदालत में तलब किया, लेकिन वे पेश नहीं हुए। अब न्यायाधीश क्या कर सकते हैं? पाकिस्तान में ही न्यायपालिका की ऐसी नाफरमानी हो सकती है। बहरहाल इमरान की गैर कानूनी गिरफ्तारी की प्रतिक्रिया में पाकिस्तानी अवाम का एक तबका उबल पड़ा है। सडक़ों पर आगजनी, तोडफ़ोड़ और सेना के प्रतिष्ठानों की घेरेबंदी की जा रही है। एक कोर कमांडर के घर में घुसकर भीड़ ने बहुत कुछ तहस-नहस कर दिया। कराची, लाहौर से क्वेटा तक पाकिस्तान किसी न किसी शक्ल में जल रहा है।
यह अराजकता, अव्यवस्था ‘गृहयुद्ध’ में तबदील न हो जाए, यही आशंका और भय है। अवाम का यह उबलता रोष और विद्रोह इमरान की पार्टी ‘पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ’ (पीटीआई) का ही समर्थन है। बेशक इमरान के खिलाफ 140 आपराधिक केस बताए जा रहे हैं, बेशक वह सेना के कुछ कमांडरों, आईएसआई और शरीफ हुकूमत के घोर, कट्टर आलोचक हैं, उनकी बयानबाजी आपत्तिजनक हो सकती है, बेशक वह भी दूध के धुले हुए नहीं हैं, लेकिन अद्र्धसैन्य बल के रेंजर्स, एक पूर्व प्रधानमंत्री को, अदालत के कक्ष में ही, इस तरह दबोच और गिरफ्तार नहीं कर सकते। यह विशेषाधिकार अदालत का है कि उन्हें क्या सजा दी जाए। उसकी भी एक निश्चित, शालीन प्रक्रिया है। देश के ‘महानायक’ रहे शख्स पर ऐसी गुंडागर्दी पाकिस्तान में ही की जा सकती है। इससे साबित होता है कि पाकिस्तान में संविधान, न्यायपालिका और जम्हूरियत नाममात्र के और दिखावटी हैं। सिर्फ फौज का ही वर्चस्व है और यही पाकिस्तान का कुरूप यथार्थ है। वैसे पाकिस्तान में पूर्व प्रधानमंत्रियों को जेल में डालने या उनकी हत्या करने अथवा निर्वासन के लिए मजबूर कर देने की परंपरा रही है। जुल्फिकार अली भुट्टो को तो फांसी पर लटका दिया गया था।
उनका नाती बिलावल फिलहाल विदेश मंत्री है। पाकिस्तान के मौजूदा प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ लंदन प्रवास पर थे, जब पाकिस्तानी फौज ने यह कांड किया। जाहिर है कि इसकी रणनीति फौज के कमांडरों ने पहले ही तय कर ली होगी कि इमरान को दबोचने के फलितार्थ क्या होंगे? अब पाकिस्तान कितना जलेगा, कितने लोग मारे जाएंगे, कितने भवन-वाहन जला दिए जाएंगे, इसका कोई अनुमान नहीं लगाया जा सकता। अलबत्ता सेना बनाम अवाम के समीकरण बन गए हैं। सेना में भी इमरान समर्थक सैनिक और कमांडर हैं। यदि यह विभाजन सतह पर आया, तो गृहयुद्ध को शांत करना मुश्किल होगा। इमरान को अल कादिर ट्रस्ट के भ्रष्टाचार और दलाली केस में गिरफ्तार दिखाया गया है, लेकिन कानूनी फैसला तो कोई भी इमरान के खिलाफ नहीं है। बहरहाल गंभीर सवाल यह है कि अब इमरान खान का क्या होगा? उनके सामने सीमित विकल्प हैं। पाकिस्तान में अक्तूबर, 2023 तक आम चुनाव कराए जाने हैं।

Rani Sahu
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