सम्पादकीय

बीमार स्वास्थ्य तंत्र की सुधरती सेहत, 'आयुष्मान भारत' ने जगाई नई उम्मीद

Gulabi Jagat
13 April 2022 7:43 AM GMT
बीमार स्वास्थ्य तंत्र की सुधरती सेहत, आयुष्मान भारत ने जगाई नई उम्मीद
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आयुष्मान भारत के मार्गदर्शक सिद्धांतों को स्पष्ट करने वाले प्रमुख बिंदुओं पर दृष्टि डालकर इसकी सफलता को समझा जा सकता है
डा. आरएस शर्मा। अपने नागरिकों को विश्वस्तरीय स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के मकसद से मोदी सरकार ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति यानी एनएचपी को अपनाया। 2017 में इसे स्वीकार करने के पीछे यही उद्देश्य था कि देश किस प्रकार सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज को तीव्रता से प्राप्त करे। स्वास्थ्य सेवाओं में अतीत का हमारा यही अनुभव रहा था कि उस पर भारी खर्च के बोझ से आम आदमी की क्रय शक्ति प्रभावित हो रही थी। इस खर्च को कम करना एनएचपी के प्रमुख उद्देश्यों में से एक था। इसी पृष्ठभूमि में आयुष्मान भारत या प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएम-जय) की परिकल्पना की गई। इसका लक्ष्य आमजन तक किफायती एवं गुणवत्तापरक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाना था। आयुष्मान भारत से पहले भी राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना (आरएसबीवाइ) जैसी पहल की गई थी। उसके अतिरिक्त आंध्र प्रदेश में आरोग्यश्री और महाराष्ट्र में जीवनदायी योजना जैसी कई योजनाएं चल रही थीं, जिन्हें उनका श्रेय दिया जाना चाहिए, लेकिन उनके मुकाबले आयुष्मान भारत बाजी पलटने वाली योजना साबित हुई। इसके विस्तार का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि आयुष्मान भारत ने राज्यों की योजनाओं के साथ मिलकर 14 करोड़ से अधिक परिवारों यानी तकरीबन 70 करोड़ लोगों को कवर किया है। इसके अंतर्गत अभी तक 18 करोड़ लोगों को चिन्हित कर उनका आयुष्मान कार्ड बनाया गया है। वैश्विक महामारी के बीच करीब साढ़े तीन वर्षो में ही इसने लगभग 3.28 करोड़ लोगों को उपचार प्रदान किया, जिस पर 37,600 करोड़ रुपये से अधिक का खर्च आया।
आयुष्मान भारत के मार्गदर्शक सिद्धांतों को स्पष्ट करने वाले प्रमुख बिंदुओं पर दृष्टि डालकर इसकी सफलता को समझा जा सकता है। इसकी सबसे बड़ी उपलब्धि यही है कि इसने एक व्यापक स्वास्थ्य लाभ पैकेज का स्वरूप लिया है। शुरुआत में इसमें 1,393 बीमारियों का उपचार उपलब्ध था, जिनका दायरा बढ़कर अब 1,670 तक पहुंच गया है। इनमें आन्कोलाजी, न्यूरोसर्जरी और कार्डियोवस्कुलर सर्जरी जैसे कई उपचारों के लिए प्रत्येक लाभार्थी परिवार को प्रति वर्ष पांच लाख रुपये तक का कवर प्रदान किया जाता है। अस्पताल में भर्ती होने और बाद के खर्चो का भी ख्याल इन पैकेजों में रखा गया है। इतना ही नहीं, पोर्टेबिलिटी फीचर के माध्यम से दूरदराज वाले क्षेत्रों के लाभार्थी देश के किसी भी कोने में जाकर आयुष्मान सूचीबद्ध अस्पताल में बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ उठा सकते हैं।
हेल्थकेयर इकोसिस्टम के एकीकरण से आयुष्मान भारत के तहत राज्यों को उनके क्रियान्वयन के तरीके, लाभार्थी डेटाबेस चुनने और अस्पतालों का नेटवर्क बनाने में काफी लचीलापन मिला। इसके अलावा एनएचए ने राज्य आधारित योजनाओं के साथ भी एकीकरण किया। संप्रति आयुष्मान भारत को 25 से अधिक राज्य-विशिष्ट स्वास्थ्य योजनाओं के साथ मिलकर लागू किया गया है। इसके अतिरिक्त देश के 600 से अधिक जिलों में जिला क्रियान्वयन इकाइयां स्थापित की गई हैं, ताकि आयुष्मान भारत की प्रशासनिक पहुंच प्रत्येक लाभार्थी तक सुनिश्चित की जा सके।
स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच में समानता सुनिश्चित करने में भी आयुष्मान भारत ने अहम भूमिका निभाई है। इसमें सामाजिक-आर्थिक जनगणना डेटाबेस के तहत कवर किए गए समाज के वंचित वर्गों के लिए योजना के लाभों का विस्तार करने हेतु नए सिरे से प्रोत्साहन दिया गया है। इसमें लैंगिक समानता पर भी पूरा जोर है। पूर्ववर्ती योजनाओं में पारिवारिक सदस्यों को लेकर एक सीमा तय थी, जिसमें कई मामलों में महिलाओं को उपचार नहीं मिल पाता था। यही कारण है कि आयुष्मान भारत में परिवार के सदस्यों की संख्या को कैप नहीं किया गया है। इसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिले हैं। आयुष्मान भारत कार्डधारकों में करीब 50 प्रतिशत और उपचार सुविधा लेने वालों में 47 प्रतिशत महिलाओं का आंकड़ा अपनी कहानी खुद कहता है।
एक मजबूत, विस्तृत और अंतर-संचालित प्रौद्योगिकी प्लेटफार्म से इसने एक बड़ी विसंगति को दूर किया है। आइटी सिस्टम में एकरूपता न होने के कारण स्वास्थ्य सेवा वितरण प्रभावित होता था। इस समस्या को दूर करने के लिए आयुष्मान भारत के तहत लाभार्थी की पहचान, लेनदेन प्रबंधन और अस्पताल के पैनल में सहायता के लिए एक अत्यधिक बहुमुखी प्रौद्योगिकी मंच को विकसित किया गया है। अपनी नवीनता एवं परिवर्तनात्मकता के कारण सम्मानित हो चुका यह आइटी प्लेटफार्म अब 26 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में सक्रिय है। इससे साक्ष्य एवं अनुभव आधारित नीति निर्माण और जरूरी सुधार में सहायता मिली है। साथ ही इस योजना ने सार्वजनिक-निजी भागीदारी यानी पीपीपी को नया आयाम दिया है। निजी अस्पतालों की भागीदारी ने लोगों के लिए विकल्प बढ़ाए हैं। इसने सरकारी अस्पतालों पर बोझ घटाया है। इस योजना में सुनिश्चित किया गया था कि सार्वजनिक अस्पतालों को उनकी सेवाओं के लिए समान रूप से और निजी अस्पतालों की समान दरों पर प्रतिपूर्ति की जाएगी। सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के अस्पतालों की पूरक भूमिका यह सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण रही है कि योजना का क्रियान्वयन निर्बाध रूप से आगे बढ़े।
एनएचए का दायित्व संभालने के बाद मैंने कई प्रमुख गतिविधियों को हरी झंडी दिखाई है। 'आपके द्वार आयुष्मान' उनमें से एक प्रमुख पहल है। इसके अंतर्गत फ्रंटलाइन हेल्थकेयर वर्कर्स, ग्राम पंचायत अधिकारियों और गांव-आधारित डिजिटल उद्यमियों के एक जमीनी नेटवर्क का उपयोग लाभार्थियों तक घर-घर पहुंचकर आयुष्मान कार्ड बनाने के लिए किया गया था। दिहाड़ी मजदूरों के लिए विशेष रात्रि शिविर लगाए गए। इन प्रयासों का ही परिणाम है कि जनवरी 2021 से 4.7 करोड़ से अधिक आयुष्मान कार्ड बनाए गए। एनएचए आइटी सिस्टम द्वारा बनाए गए आयुष्मान कार्डो में 55 प्रतिशत की वृद्धि हुई। एनएचए नए उत्साह के साथ इस अभियान को आगे बढ़ाने जा रहा है। अबकी बार हम उत्तर प्रदेश, बिहार, गुजरात और असम जैसे राज्यों पर विशेष ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। नि:संदेह इस योजना में जो बड़ी सफलता प्राप्त हुई है, उसमें सभी अंशभागियों का महत्वपूर्ण योगदान है। हमारे साझा प्रयास इस योजना को नए शिखर पर ले जाएंगे।
(लेखक राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं)
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