सम्पादकीय

जरूरी दिशा-निर्देश: कोरोना के बढ़ते संक्रमण की चुनौती गंभीर, अंकुश के उपायों पर सख्ती से हो अमल

Neha Dani
26 Nov 2020 2:35 AM GMT
जरूरी दिशा-निर्देश: कोरोना के बढ़ते संक्रमण की चुनौती गंभीर, अंकुश के उपायों पर सख्ती से हो अमल
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कोरोना के बढ़ते संक्रमण की चुनौती किस तरह गंभीर होती जा रही है |

जनता से रिश्ता वेबडेसक| कोरोना के बढ़ते संक्रमण की चुनौती किस तरह गंभीर होती जा रही है, इसका प्रमाण है गृह मंत्रालय की ओर से राज्यों को नए सिरे से इसके लिए दिशा-निर्देश जारी करना कि इस महामारी पर अंकुश के उपायों पर सख्ती से अमल हो। ऐसे दिशा-निर्देश इसलिए आवश्यक थे, क्योंकि कई राज्यों में हालात बिगड़ते ही जा रहे हैं और इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि लोगों के स्तर पर जरूरी सजगता का परिचय नहीं दिया रहा है। जब यह स्पष्ट है कि वैक्सीन आने तक सजगता और सतर्कता के जरिये ही इस महामारी पर अंकुश लगाया जा सकता है तब इसके अलावा और कोई उपाय नहीं कि हर कोई मास्क पहनने और शारीरिक दूरी के नियम-कायदे के पालन के प्रति गंभीर हो।

यह अच्छी बात नहीं कि मास्क पहनने जैसी बुनियादी अपेक्षा के प्रति भी गंभीरता नहीं दिखाई जा रही है। यह वह रवैया है जो इस महामारी से लड़ाई को कमजोर बना रहा है। पता नहीं क्यों लोग यह समझने के लिए तैयार नहीं कि सरकारों के पास ऐसी कोई जादू की छड़ी नहीं है जिससे कोरोना के प्रसार को एक झटके में रोक दिया जाए? कोरोना का संक्रमण तो एक ऐसी चुनौती है जो हर स्तर पर सतत सजगता और सतर्कता की मांग करती है।

गृह मंत्रालय की ओर से राज्यों को दिए गए दिशा-निर्देश के बाद लॉकडाउन जैसे उपायों को लेकर अस्पष्टता भी दूर हो जानी चाहिए। केंद्र ने जिस तरह यह स्पष्ट कर दिया कि कंटेनमेंट जोन से बाहर किसी क्षेत्र में लॉकडाउन के निर्णय के लिए उसकी सहमति आवश्यक है वह उचित ही है। अब जैसे हालात हैं उनमें सामान्य रूप से लॉकडाउन सरीखे उपायों की आवश्यकता भी नहीं है। यह स्थानीय प्रशासन को सुनिश्चित करना होगा कि कोरोना पर अंकुश के लिए न केवल लोग सतर्कता बरतें, बल्कि परिस्थितियों के अनुरूप ऐसे उपाय किए जाएं जिससे सार्वजनिक स्थलों पर भीड़ एकत्र न होने पाए। इसके लिए जो भी प्रशासनिक निर्णय आवश्यक हैं वे बिना किसी देरी के लिए जाने चाहिए। चूंकि यह साफ है कि कोरोना के खिलाफ लड़ाई लंबी चलने वाली है और कभी भी, कहीं भी संक्रमण बढ़ने का खतरा बना हुआ है इसलिए शासन-प्रशासन को सार्वजनिक स्थानों पर गतिविधियों के मामले में सतर्क रहने की आवश्यकता है।

यह ठीक है कि सामान्य जनजीवन को लंबे समय तक ठप नहीं किया जा सकता, लेकिन महामारी से मुकाबले में ढिलाई की भी कोई गुंजाइश नहीं। बेहतर यह होगा कि कोविड-19 से लड़ने के जो भी तौर-तरीके हैं वे लोगों की जीवनशैली में शामिल हों और हर कोई अपने स्तर पर हमेशा इसका ध्यान रखे कि लापरवाही भरा आचरण महंगा पड़ सकता है।

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