सम्पादकीय

जरूरी फैसला

Triveni
14 April 2021 1:57 AM GMT
जरूरी फैसला
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कोरोना की दूसरी लहर जिस तरह रोज नए रिकॉर्ड बना रही है, वह चिंता की बात है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| कोरोना की दूसरी लहर जिस तरह रोज नए रिकॉर्ड बना रही है, वह चिंता की बात है। ऐसे में, देश की औषधि नियामक संस्था डीसीजीआई द्वारा रूस में विकसित स्पूतनिक-वी टीके के इस्तेमाल की इजाजत एक स्वागत योग्य फैसला है। सरकार ने डब्ल्यूएचओ से अनुमोदित अन्य टीकों के आयात का भी फैसला किया है। ये कदम अगर पहले उठाए गए होते, तो ज्यादा बेहतर होता। तब शायद हम कई बहुमूल्य जानें बचा सकते थे। आखिर कई राज्य सरकारें कह रही थीं कि उनके पास चंद दिनों का ही स्टॉक है। बहरहाल, स्पूतनिक-वी एक भरोसेमंद टीका है और दुनिया के लगभग 60 देशों ने इसे अपने यहां मंजूरी दे रखी है। विज्ञान पत्रिका द लैंसेट में प्रकाशित इसके आखिरी चरण के नतीजे इसे 92 प्रतिशत कारगर बताते हैं। फिर यह टीका नौजवानों के लिए भी सुरक्षित माना गया है। ऐसे में, इस समय जो न्यूनतम 45 साल की सीमा रखी गई है, स्पूतनिक व अन्य टीकों की आमद के बाद इस दायरे को और लचीला बनाने में सरकार को आसानी होगी।

हम इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं कर सकते कि कोविड संक्रमण के कुल मामले में भारत अमेरिका के बाद दूसरे नंबर पर पहुंच गया है। वायरस का प्रसार थामने के लिए हमें ज्यादा से ज्यादा जांच और टीकाकरण की जरूरत है। मगर जांच के मामले में भी कई जगहों से शिकायत मिली है कि जांच किट नहीं है या फिर कई-कर्ई दिनों के बाद नतीजे मिल रहे हैं। सरकार ने शुरुआत में एक अच्छा कदम उठाया था, जब उसने कुछ विश्वसनीय लेबोरेटरी और निजी अस्पतालों को जांच करने की इजाजत दी थी। लेकिन तब उन पर कई तरह की सीमाएं भी आयद थीं। इसके कारण वे बडे़ निवेश के लिए प्रेरित नहीं हुए। देश के सरकारी स्वास्थ्य ढांचे की हालत और महामारी की मौजूदा गंभीर स्थिति को देखते हुए यह बहुत जरूरी है कि सरकार निजी-सार्वजनिक साझेदारी यानी पीपीपी मॉडल के जरिए जांच व टीकाकरण की दिशा में आगे बढ़े। इसके अलावा, वेंटिलेटर सुविधा के विस्तार के लिए भी निजी क्षेत्र को प्रोत्साहित करने की जरूरत है। जाहिर है, सरकार को उनका साथ लेना है और जनता को सुविधाएं मुहैया करानी हैं, तो उन्हें कुछ रियायतें देनी होंगी। सरकारी स्वास्थ्य ढांचे पर तभी दबाव कम होगा और इस आपात स्थिति का भी बेहतर मुकाबला हो सकेगा। यह अच्छी बात है कि सरकार ने जीवनरक्षक इंजेक्शन रेमडेसिविर के निर्यात पर फिलहाल रोक लगा दी है। लेकिन उसे टीका बनाने वाली अन्य कंपनियों को भी यह आश्वस्ति देनी होगी कि उन्हें कोई नुकसान नहीं होगा, ताकि वे अधिक से अधिक उत्पादन के लिए अपने जरूरी तंत्र का विस्तार कर सकें। अमेरिका इसी रास्ते पर चलकर 19 करोड़ से भी ज्यादा वैक्सीन लगा चुका है। भारत में जनता के स्तर पर भी निरंतर जन-जागरण की आवश्यकता है। गौर करने वाली बात है, विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुखिया ने फिर आगाह किया है कि महामारी जल्दी नहीं जा रही और इस जंग में वैक्सीन एक शक्तिशाली हथियार तो है, पर यह एकमात्र हथियार नहीं है। मास्क, शारीरिक दूरी और वेंटिलेशन की जरूरत अभी लंबे समय तक बनी रहेगी। विडंबना यह है कि हम इन मोर्चों पर अब भी लापरवाही बरत रहे हैं, और जिन्हें आदर्श पेश करना है, वही सबसे ज्यादा इसके प्रति अगंभीर दिख रहे हैं।


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