सम्पादकीय

वैश्विक परिदृश्य पर भारत का महत्व

Subhi
24 April 2022 3:19 AM GMT
वैश्विक परिदृश्य पर भारत का महत्व
x
भारत काे कूटनीति में एक के बाद एक सफलता मिल रही है उससे भारतीय राजनय का सशक्त पहलु सामने आया है। यूक्रेन-रूस युद्ध को लेकर भारत ने जो स्टैंड लिया है उसे लेकर अमेरिका और अन्य यूरोपीय देशों को भी अपना रुख नरम करना पड़ा है।

आदित्य चोपड़ा; भारत काे कूटनीति में एक के बाद एक सफलता मिल रही है उससे भारतीय राजनय का सशक्त पहलु सामने आया है। यूक्रेन-रूस युद्ध को लेकर भारत ने जो स्टैंड लिया है उसे लेकर अमेरिका और अन्य यूरोपीय देशों को भी अपना रुख नरम करना पड़ा है। अब ब्रिटेन ने भी रूस को लेकर भारत के स्टैंड को स्वीकार करने के संकेत दे दिए हैं। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से बातचीत हुई। सबकी नजरें इस बात पर लगी हुई थीं कि रूस को लेकर ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कोई दबाव बनाएंगे या नहीं? यह भी काफी सुखद रहा है कि बोरिस जॉनसन ने रूस-यूक्रेन के बीच जारी संघर्ष को लेकर कोई दबाव नहीं बनाया बल्कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उन्हें भारत के रुख से अवगत कराया।प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि भारत ने शांति का पक्ष लिया है और हम चाहते हैं कि इस बारे में बातचीत और कूटनीति के जरिये आगे बढ़ा जाना चाहिए और संघर्ष जल्द समाप्त होना चाहिए। नरेन्द्र मोदी और बोरिस जॉनसन के सं​युक्त संवाददाता सम्मेलन में भी दोनों ने कहा कि हम यूक्रेन में तुरन्त युद्ध विराम और समस्या के समाधान के लिए वार्ता और कूटनीति पर बल देते हैं। भारत-ब्रिटेन सभी देशों की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुत्ता का सम्मान करते हैं। कोई समय था जब अमेरिका, ब्रिटेन और कुछ अन्य देश पाकिस्तान के पाले में खड़े दिखाई देते थे। भारत ऊंची आवाज में बार-बार कहता रहा कि आतंकवाद की खेती करने वाले पाकिस्तान को मदद मत करें लेकिन अमेरिका पाकिस्तान पर डालरों की वर्षा करता रहा। पाकिस्तान कश्मीर से लेकर अफगानिस्तान तक के आतंकवाद को सींचता रहा। अंततः दुनिया को पाकिस्तान की असलियत का पता चला और अब वह अलग-थलग पड़ा हुआ है। इसमें कोई संदेह नहीं कि नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में दुनिया भर में भारत की प्रतिष्ठा बढ़ी है। मोदी सरकार से पूर्व की सरकारों की तरह कोई नीतिगत अपंगता नहीं है। भारत आज अपने फैसले लेने में सक्षम है। अमेरिका, ब्रिटेन हो या फिर कोई दूसरा देश कोई भी भारत के रूस से संबंधों पर अंगुली नहीं उठा सकता। संपादकीय :मैडिकल जगत में हमारा आयुष लाजवाबहम सब भारत माता की सन्तानबूस्टर डोज की जरूरतहिन्द की चादर 'गुरु तेगबहादुर'बोरिस जॉनसन की भारत यात्रासमान नागरिक आचार संहिता और मुसलमानभारत आज इन देशों से आंख से आंख मिलाकर बात करता है, आंख झुका कर नहीं। ​ब्रिटेन ने भी रूस से भारत के ईंधन और ऊर्जा खरीदने को लेकर कोई दबाव नहीं बनाया। रूस-यूक्रेन युद्ध मसले से अलग हटकर भारत और ब्रिटेन ने रिश्तों को नया आयाम देने के लिए एक रोडमैप तैयार किया है। दोनों देश रक्षा सुरक्षा क्षेत्र में मजबूत गठजोड़ बनाने पर सहमत हुए हैं। दोनों देश मुक्त व्यापार समझौते की दिशा में तेजी से काम कर रहे हैं और इस वर्ष के अंत तक मुक्त व्यापार समझौते को अंतिम रूप दिए जाने पर भी सहमति हुई है। ब्रिटेन के लिए भारत एक बहुत बड़ा बाजार है और भारत भी रक्षा क्षेत्र की जरूरतों को पूरा करने के लिए ब्रिटेन सहित कई देशों से सामान खरीदता है। वैसे भी यूरोपीय संघ से अलग हो जाने के बाद ब्रिटेन के लिए भारत का महत्व काफी ज्यादा बढ़ गया है। एक लाख से ज्यादा भारतीय छात्र वहां विभिन्न शिक्षा संस्थानों में पढ़ रहे हैं। भारतीय मूल के लोग वहां वित्त मंत्री और गृहमंत्री जैसे पदों पर हैं। ​ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने भारतीय पेशेवरों खासतौर पर आईटी पेशेवरों के लिए वीजा देने की नीति को और उदार बनाने के संकेत दिए हैं। इससे भारतीयों को काफी फायदा होगा। ब्रिटेन भी भारत से कई तरह का सामान आयात करता है। दोनों देशों ने जहां व्यापार को बढ़ाने के लिए अनेक कदम उठाए हैं वहीं भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि पारम्परिक आर्थिक और कारोबारी हित ही दोनों देशों के रिश्तों को नई ऊंचाई तक पहुंचाएंगे। दूसरी तरफ भारत की सुरक्षा चुनौतियां भी कुछ कम नहीं हैं। ऐसे में ब्रिटेन का हिन्द प्रशांत महासागरीय पहल से जुड़ने का फैसला भारत के हित में ही है। दोनों देश बदली हुई दुनिया में अपने द्विपक्षीय रिश्ते आगे बढ़ाना चाहते हैं। एक महत्वपूर्ण बात यह भी है कि बोरिस जॉनसन इन दिनों घरेलू मोर्चे पर काफी घिरे हुए हैं। ब्रिटेन के राजनीतिज्ञ महसूस करते हैं कि पिछले दशकों में भारत की ताकत कम आंक कर ब्रिटेन की सरकारों ने काफी गलती की है। जॉनसन चाहते हैं कि भारत के साथ सहयोग का कोई बड़ा फैसला हो जाए जिसे वह घरेलू मोर्चे पर एक बड़ी उपलब्धि के तौर पर दिखा सकें। उनके लिए प्राथमिकता रूस-यूक्रेन युद्ध नहीं है बल्कि उनके लिए प्राथमिकता इस समय द्विपक्षीय रिश्ते हैं। इसीलिए ब्रिटेन ने सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग, आर्टीफिशल इंटैलीजैंस और स्वास्थ्य क्षेत्र में निवेश बढ़ाने की बात भी की है। कूटनीतिज्ञ भी इस बात काे स्वीकार करते हैं कि विश्व की राजनीति में भारत का महत्व काफी बढ़ गया है और शीत युद्ध के दौर वाली बातें अब अर्थहीन हो चुकी हैं। भारत के बढ़े हुए महत्व को अब कोई भी नजरंदाज नहीं कर सकता। रूस-यूक्रेन युद्ध पर दोनों देशों में मतभेद होते हुए भी जॉनसन रूस से भारतीय संबंधों को अच्छी तरह से समझते हैं इसलिए उन्होंने भारत के शांति के पक्ष को समर्थन किया है।

Next Story