सम्पादकीय

अदालत की अहमियत: सुप्रीम कोर्ट के फैसले का महत्व

Neha Dani
11 April 2022 2:04 AM GMT
अदालत की अहमियत: सुप्रीम कोर्ट के फैसले का महत्व
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सुप्रीम कोर्ट का फैसला पाकिस्तान में बड़े बदलाव की उम्मीद तो जगाता ही है। -पाकिस्तानी अखबार द न्यूज इंटरनेशनल से।

शनिवार, नौ अप्रैल पाकिस्तान के लिए कोई साधारण दिन नहीं था। यह नेशनल असेंबली के लिए भी सामान्य नहीं था, जहां इमरान खान और उनकी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान के लिए विशेष सत्र बुलाया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने बृहस्पतिवार रात दिए गए अपने ऐतिहासिक फैसले में यही निर्धारित किया था। यह स्थिति उस नेता के कारण आई, जिसने सत्ता में आने पर बदलाव के बड़े-बड़े वादे किए थे, लेकिन बदहाली और बर्बादी के बाद जो अब अपनी विदाई को विदेशी साजिश बता रहा था। इमरान खान और उनके साथियों ने हारी हुई लड़ाई को जिस तरह जीतने की कवायद की, वह देखने लायक थी। इस प्रक्रिया में पीटीआई के ज्यादातर नेता धमकी देने और डराने से लेकर गाली-गलौज की भाषा तक में उतर गए।

इमरान खान ने शुक्रवार को राष्ट्र के नाम संबोधन में इस्तीफे पर अनिच्छा जताई। जाहिर है, वह सहज नहीं थे, क्योंकि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को अनिच्छा से स्वीकार किया था। इसके पहले भी हम सत्ता छोड़ने के मामले में उनकी अनिच्छा भरी चालाकी देख चुके थे। स्पीकर असद कैसर ने भी शनिवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्देशित नेशनल असेंबली सत्र शुरू होने पर संविधान के पालन का आश्वासन दिया। लेकिन अनावश्यक समय की बर्बादी की परंपरा नहीं छोड़ी और सुबह साढ़े दस बजे शुरू हुआ सत्र तुरंत बाद साढ़े बारह बजे स्थगित कर दिया गया, जो लगभग ढाई बजे फिर से शुरू हुआ। लेकिन हमें थोड़ा पीछे मुड़कर देखने की जरूरत है। पिछले एक हफ्ते में हम कई बार भावनात्मक उतार-चढ़ाव से गुजरे और एक ऐसा भी वक्त आया, जिसने हमें आकाशीय बिजली की तरह हैरान कर दिया। हममें से जिन लोगों ने इस मुल्क में वस्तुतः लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए प्रयास किया है, वे खुशी और राहत की एक अपरिचित भावना के साथ हैरान रह गए। सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुनाया गया वह ऐतिहासिक फैसला एक तोहफा था, जिसका इंतजार पाकिस्तान दशकों से कर रहा था। अंततः देश के सर्वोच्च न्यायालय ने देश के संविधान को निर्विवाद रूप से अक्षरशः उसी भावना में बरकरार रखा।
दरअसल पिछले रविवार को नेशनल असेंबली में दिन की शुरुआत में जब डिप्टी स्पीकर कासिम सूरी ने अनुच्छेद पांच के तहत अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान को जल्दबाजी में रोक दिया, तो वह स्पष्ट रूप से संविधान की अपमानजनक अवज्ञा थी। प्रधानमंत्री इमरान खान की सरकार को तत्काल हटाने के लिए विपक्ष ने आवश्यक संख्या बल जुटाकर सभी तैयारियां पूरी कर ली थीं। लेकिन उसके बाद जो हुआ, वह तूफान खड़ा करने के लिए पर्याप्त था। यह इतना चिंताजनक था कि प्रधान न्यायाधीश ने परामर्श के लिए रविवार को अपने आवास पर कुछ साथी न्यायाधीशों से मुलाकात की और संसद में हो रहे घटनाक्रम का स्वत: संज्ञान लिया और अंततः बाद में उसी दिन सुनवाई शुरू हुई।
पांच न्यायाधीशों की बड़ी बेंच को अपना फैसला सुनाने तक काफी बेचैनी महसूस हुई। एक सर्वसम्मत संक्षिप्त आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला सुनाया कि विगत तीन अप्रैल को अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करने का डिप्टी स्पीकर का तरीका 'असांविधानिक' था। सुप्रीम कोर्ट ने प्रधानमंत्री इमरान खान को शनिवार को अविश्वास प्रस्ताव का सामना करने का आदेश दिया। यह उल्लेखनीय न्यायिक विजय थी। इसलिए बृहस्पतिवार की रात को जगह-जगह जश्न का माहौल देखा गया। यह एक नई शुरुआत की तरह लग रहा था, मानो हाल के हफ्ते का राजनीतिक 'तमाशा' आखिरकार खत्म हो गया हो।
उस फैसले ने प्रधानमंत्री इमरान खान की निश्चित और अपमानजनक निकासी का संकेत दे दिया। इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने सचमुच शासन में बदलाव के लिए मंच तैयार कर दिया। इसके समानांतर अन्य मोर्चों पर भी इस हफ्ते पीटीआई को कुछ और झटके लगे हैं। लाहौर में हुई घटनाएं फैंटेसी जैसी थीं, जिसमें पंजाब प्रांत पीटीआई के हाथ से फिसल गया। वास्तव में ऐसा होने की उम्मीद नहीं थी, कम से कम इस तरीके से तो नहीं ही। कुल मिलाकर, सुप्रीम कोर्ट का फैसला पाकिस्तान में बड़े बदलाव की उम्मीद तो जगाता ही है। -पाकिस्तानी अखबार द न्यूज इंटरनेशनल से।

सोर्स: अमर उजाला

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