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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। कोरोना से निपटने के लिए दो स्वदेशी टीकों का निर्माण कर भारत उन चुनिंदा देशों के समूह में शामिल हो गया, जिन्होंने टीके का निर्माण किया है। इससे भारतीय वैज्ञानिकों ने आत्मनिर्भरता के उस लक्ष्य को भी हासिल किया जिस पर हरेक भारतीय को गर्व होना चाहिए। भारत न केवल टीका बनाने के मामले में आत्मनिर्भर बना, बल्कि इस मामले में दूसरे देशों का भी मददगार बनेगा। जनसंख्या के लिहाज से दुनिया की 18 फीसद आबादी वाले भारत ने बाकी देशों की तुलना में अपनी परंपरागत या मूल चिकित्सा पद्धति यानी आयुर्वेद के बल पर न केवल महामारी के संकट से लंबे काल तक निपटा, बल्कि इसकी बदौलत बाकी देशों की तुलना में औसत मृत्यु दर डेढ़ प्रतिशत से भी कम रखने में सफल रहा। भारत ने यह भी साबित किया कि प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होने पर हर तरह के वायरस से बखूबी निपटा जा सकता है। कोरोना से निपटने में भारतीय चिकित्सा पद्धति के सफल प्रयासों की सराहना विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी की है।