सम्पादकीय

शहादत की अमर ज्योति

Gulabi
22 Jan 2022 4:43 PM GMT
शहादत की अमर ज्योति
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नेताजी सुभाषचंद्र बोस की भव्य प्रतिमा इंडिया गेट पर स्थापित करने की भी घोषणा सरकार ने की है
पिछले 50 वर्षों से राष्ट्रीय राजधानी में इंडिया गेट पर जो अमर जवान ज्योति अहर्निश जल रही थी, उसे अब पास ही बनाए गए नैशनल वॉर मेमोरियल में जल रही लौ में मिला दिया गया है। कांग्रेस और अन्य विरोधी दलों के नेताओं ने इसका यह कहते हुए विरोध किया कि शाश्वत कही जाने वाली इस ज्योति को बुझाना नहीं चाहिए था। सरकार की तरफ से यह बात जोर देकर स्थापित की गई कि यह ज्योति का ज्योति से मिलना है, बुझना नहीं।
नेताजी सुभाषचंद्र बोस की भव्य प्रतिमा इंडिया गेट पर स्थापित करने की भी घोषणा सरकार ने की है। ऐसे में जाने-अनजाने देशभक्ति के अलग-अलग प्रतीकों की अहमियत को लेकर टकराव जैसी एक स्थिति बनती दिख रही है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है। अमर जवान ज्योति बांग्लादेश युद्ध में शहीद हुए सैनिकों की याद में 1972 में प्रज्ज्वलित की गई थी।
गुजरी आधी सदी में इंडिया गेट के साथ लगा अमर जवान ज्योति का यह स्मारक समस्त देशवासियों के दिलो-दिमाग में देशभक्ति का जज्बा जगाने वाले एक स्तंभ की तरह दर्ज होता रहा है। इस बीच 2019 में केंद्र सरकार ने नैशनल वॉर मेमोरियल बनवाया, जहां आजादी के बाद विभिन्न युद्धों में शहीद हुए तमाम सैनिकों के नाम भी दर्ज हैं।
इंडिया गेट पर आजादी से पहले प्रथम विश्वयुद्ध और अन्य युद्धों में शहीद हुए सैनिकों के नाम जरूर अंकित हैं, लेकिन 1962, 65, 71 के युद्धों के शहीद सैनिकों के नाम नहीं हैं। इसलिए कहा जा रहा है कि इस ज्योति की सही जगह नैशनल वॉर मेमोरियल ही है। इस प्रस्थापना का एक निहितार्थ यह भी है, जो सोशल मीडिया पर इस फैसले के पक्ष और विरोध में जारी बहस में खुलकर प्रकट हो रहा है कि इंडिया गेट अंग्रेजी राज में स्थापित स्मारक है, जो एक तरह से गुलामी की निशानी भी है। इसलिए इसे अपने गौरव से जोड़ते रहने के बजाय हमें अपने देश की स्वतंत्र गौरव परंपरा विकसित करने की प्रक्रिया को मजबूत बनाना चाहिए।
मगर इतिहास को खंडों में देखने की यह दृष्टि हमें गुलामी से मुक्ति के बाद उसके कथित निशानों से लड़ने वाली सोच की ओर ले जाती है, जो हर तरह से हानिकारक है। उससे बचने के लिए यह याद रखना जरूरी है कि न तो अमर जवान ज्योति को नैशनल वॉर मेमोरियल में शिफ्ट करने और नेताजी की प्रतिमा लगाने के फैसले का मकसद इंडिया गेट की अहमियत कम करना है और न इससे ऐसा होगा।
चाहे किसी भी युद्ध में शहीद हुए हों, वे हमारे ही वीर जवान थे जिनकी शहादत का स्मारक है इंडिया गेट। अगर अमर जवान ज्योति की और मोटी हुई लौ नैशनल वॉर मेमोरियल की चमक बढ़ाती है तो उससे इंडिया गेट की ऊंचाई और नेताजी की प्रतिमा दोनों निखरेगी।
क्रेडिट बाय NBT
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