सम्पादकीय

भरोसे का भ्रम

Subhi
9 July 2022 5:52 AM GMT
भरोसे का भ्रम
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भारत और चीन के विदेश मंत्रियों की इंडोनेशिया के बाली में हुई बैठक में वक्तव्य जारी किया गया कि भारत चीन के सभी लंबित मुद्दों का जल्द समाधान होगा। इस पर भरोसा नहीं किया जा सकता।

Written by जनसत्ता: भारत और चीन के विदेश मंत्रियों की इंडोनेशिया के बाली में हुई बैठक में वक्तव्य जारी किया गया कि भारत चीन के सभी लंबित मुद्दों का जल्द समाधान होगा। इस पर भरोसा नहीं किया जा सकता। भारतीय विदेश मंत्री जयशंकर ने अपने समकक्ष वांग को पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर समाधान के लिए अवगत कराया, जिसके जवाब में चीनी विदेश मंत्री ने कहा, बहुत जल्दी दोनों देशों के उच्च सैनिक अधिकारियों में मुलाकात होगी और दोनों देशों के बीच में सभी लंबित समस्याएं हल कर ली जाएंगी।

चीन के विदेश मंत्री का यह टालमटोल तथा दुनिया को भ्रमित करने वाला बयान है कि चीन भारत के साथ संबंध सुधारना चाहता है। जबकि असलियत कुछ और है। यह रिकार्ड की बात है कि चीन ने आज तक भारत के साथ किसी भी विवाद को हल नहीं किया।

1962 में इसने भारत के नब्बे हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर कब्जा कर लिया था, जो कि आज तक वापस नहीं किया। चीन अनधिकृत तौर पर भारतीय सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़कें बना रहा है, लद्दाख में पैंगोंग झील पर पुल बना रहा है, सीमा का अतिक्रमण कर रहा है और गांव बसा रहा है, जब कभी भारत के प्रधानमंत्री या और कोई मंत्री वहां का दौरा करते हैं, तो चीन के पेट में दर्द होना शुरू हो जाता है, क्योंकि वह इसे अपना क्षेत्र मानता है।

चीन नेपाल, पाकिस्तान, म्यांमार, श्रीलंका आदि कई देशों को आर्थिक सहायता देने के नाम पर भारत के खिलाफ भड़काता रहता है, जम्मू कश्मीर को विवादित क्षेत्र मान कर वहां के लोगों के चीन आने पर अलग वीजा की बात करता है।

समय-समय पर चीन भारत को अपनी आर्थिक तथा सैनिक शक्ति की धौंस दिखाता रहता है। उससे तो यह भी सहन नहीं होता कि भारत के प्रधानमंत्री तिब्बत के मेहमान धर्मगुरु दलाई लामा को उनके जन्मदिन पर बधाई देने जाएं। जब इतनी सारी बातें हैं तो चीन के भारत के साथ सभी समस्याओं को हल करने की बात को कैसे स्वीकार किया जा सकता है!


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