- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- बिना प्यार और लगाव के...

x
पोस्ट कोविड दुनिया में रिलेशनशिप और डेटिंग को लेकर हुई
मनीषा पांडेय पोस्ट कोविड दुनिया में रिलेशनशिप और डेटिंग को लेकर हुई तीन से ज्यादा स्टडी ये कह रही हैं कि पिछले दो सालों में पूरी दुनिया में डेटिंग पैटर्न को लेकर एक बड़ा बदलाव दिखाई दे रहा है. अब युवा सिर्फ कैजुअल डेट और सेक्स की बजाय ज्यादा गंभीर और स्थाई रिश्तों की तलाश कर रहे हैं. पिछले साल टिंडर की एक वर्ल्ड वाइड सर्वे रिपोर्ट का सार ये था कि कोविड के बाद से टिंडर ऐप पर चैट का टाइमिंग 23 गुना बढ़ गया. पहले लोग इस लाइनों में एक-दूसरे का परिचय लेने और देने के बाद सीधे मिलना चाहते थे. लेकिन अब सीधे मिलने के मुकाबले वो लंबी बातें करना चाहते हैं. एक-दूसरे के बारे में और जानना चाहते हैं.
ओके क्यूपिड की इस साल की शुुरुआत में आई एक स्टडी कह रही थी कि लोग अब नो स्ट्रिंग्स अटैच्ड कैजुअल सेक्स के मुकाबले किसी ऐसे साथी की तलाश में हैं, जिससे उनका मानसिक और भावनात्मक मेल बैठ सके. जिससे बातें की जा सकें.
इस सारी स्टडी के बरअक्स हाल ही में एक अमेरिकी हेल्थ जनरल में छपी लंबी रिपोर्ट को देखें तो समझ आएगा कि सेक्स और रिलेशनशिप के मामले में कोविड के बाद बदली दुनिया और उसका रूझान हमें बेहतर शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की ओर लेकर जाएगा क्योंकि यह रिपोर्ट कह रही है कि कैजुअल सेक्स यानि बिना किसी भावनात्मक और मानसिक लगाव के सिर्फ शारीरिक संबंधों का इंसान के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है.
कैजुअल सेक्स ह्यूमन इम्यून सिस्टम को सप्रेस करता है, कोशिकाओं को श्रिंक करता है और हाइपोथैलेमस की नर्व पर नकारात्मक असर डालता है. ब्रिटिश कोलंबिया, कनाडा के डॉक्टर और साइकॉलजिस्ट डॉ. गाबोर माते कहते हैं कि लंबे समय तक वेस्टर्न मेडिसिन मानव स्वास्थ्य को समझने में जो सबसे बड़ी भूल करता रहा, वो ये कि वो इंसान के शरीर, मन और दिमाग को अलग-अलग करके देखता रहा.
मेडिसिन ने होलिस्टिक अप्रोच नहीं अपनाई, जबकि सच तो ये है कि हमारा शरीर और इस शरीर को चलाने वाली सारी प्रक्रिया हमारे मस्तिष्क, ह्दय से बहुत करीब से जुड़ी हुई हैं. हम कैसे सोचते हैं, क्या महसूस करते हैं, हम खुश हैं या दुखी हैं, इन सारी बातों का हमारे स्वास्थ्य और बीमारियों से एकदम सीधा रिश्ता है.
कैजुअल सेक्स के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्परिणामों पर यह रिपोर्ट मेडिसिन की भाषा में डीटेल में इस तथ्य पर रौशनी डालती है कि जिस व्यक्ति के साथ हम शारीरिक संबंध बना रहे हैं, यदि उसके साथ हमारा कोई वास्तविक जुड़ाव नहीं है, तो इससे इंसान के भीतर असुरक्षा और अकेलेपन की भावना प्रबल होती है.
कैजुअल सेक्स से भले हम थोड़े देर के लिए सेक्स से मिलने वाली खुशी को महसूस करें, लेकिन वह खुशी स्थाई नहीं है. डोपामाइन की बढ़ा हुआ स्तर सिर्फ तात्कालिक होता है और उसका स्तर नीचे गिरते ही वह व्यक्ति को ज्यादा निगेटिव फेज में लेकर जाता है.
जब विज्ञान ये कहता है कि ऑर्गज्म मनुष्य की बहुत सहज और प्राकृतिक जरूरत है तो साथ ही विज्ञान यह भी कहता है कि प्यार, लगाव, जुड़ाव और कनेक्शन भी इंसान की उतनी ही प्राकृतिक जरूरत है. क्षणिक शारीरिक जुड़ाव और उससे मिलने वाला हॉर्मोनल किक अगर वास्तविक लगाव में न बदले तो वो लंबे समय में हमारे इम्यून सिस्टम को कमजोर करने लगता है.
यहां एक तथ्य और गौर करने लायक है कि सेक्स और कार्नल एक्टिविटी से जुड़े वैज्ञानिक अध्ययन को समाजशास्त्रीय अध्ययन के बगैर नहीं समझा जा सकता. एक ऐसा समाज, जहां सेक्स हमेशा एक टैबू का विषय रहा है, जिसे लेकर स्वीकार्यता और खुलापन नहीं रहा, जो समाज व्यापक स्तर पर सेक्सुअल सप्रेशन का शिकार रहा हो, वहां सेक्स को लेकर खुलापन और सेक्स की उपलब्धता समाज, शरीर और मनोविज्ञान सबको अलग-अलग ढंग से प्रभावित करेगी.
पश्चिमी समाज में सेक्स को लेकर टैबू और प्रतिबंधों का टूटना 90 के दशक के बाद ही शुरू हो गया था. जो कैजुअल डेटिंग वेबसाइट और ऐप हिंदुस्तान में अब आ रहे हैं, वो पश्चिम में डेढ़ दशक पहले ही काफी पॉपुलर हो चुके थे.
अगर पिछले पिछले डेढ़ दशक में अमेरिका में हुए कैजुअल सेक्स से जुड़े अलग-अलग अध्ययनों को गौर से देखें तो बहुत अलग परिणाम दिखाई देते हैं. जैसे वर्ष 2009 में एक अमेरिकी हेल्थ जनरल पर्सपेक्टिव ऑन सेक्सुअल एंड रिप्रोडक्टिव हेल्थ में एक स्टडी प्रकाशित हुई. इस स्टडी में शामिल औसत 20 वर्ष आयु के 29 फीसदी पुरुषों और 14 फीसदी महिलाओं ने कहा कि उनका हाल का सेक्सुअल इनकाउंटर कैजुअल था. इस अध्ययन में ये पाया गया कि कैजुअल सेक्स को लेकर युवाओं की सोच और उनका व्यवहार काफी पॉजिटिव था. वो इस बात से खुश थे कि अब सेक्स पहले की तरह टैबू नहीं है और आसानी से उपलब्ध भी है. साथ ही शोधकर्ताओं ने पाया कि कैजुअल सेक्स का युवाओं के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर कोई निगेटिव असर नहीं दिखाई पड़ रहा था. उनके हार्ट, माइंड और इम्यून सिस्टम की फंक्शनिंग सामान्य थी.
वहीं महज 5 साल बाद 2014 में जरनल ऑफ सेक्स रिसर्च में एक दूसरी स्टडी प्रकाशित हुई, जिसके नतीजे पिछले अध्ययन की तरह सकारात्मक नहीं थे. हालांकि इस बार पिछली स्टडी के मुकाबले कैजुअल सेक्स में इन्वॉल्व युवाओं की संख्या में इजाफा हुआ था, लेकिन इसका उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर पड़ रहा था. युवाओं में एंग्जायटी, हायपरटेंशन, डिप्रेशन बढ़ा हुआ पाया गया. उनका इम्यून सिस्टम पहले की तरह रिस्पांड नहीं कर रहा था. इस अध्ययन के शोधकर्ता इस नतीजे पर पहुंचे युवाओं में बढ़ रही कैजुअल सेक्स की अप्रोच लंबे समय में उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकती है.
डिजिटल डेटिंग और कैजुअल सेक्स पर रिसर्च कर चुके डॉ. रॉबर्ट वीस इसे समाज के लिए एक खतरनाक सिगनल के रूप में देखते हैं. सेक्सुअल रिप्रेशन का शिकार रही पिछली पीढि़यां भले ही युवाओं से इस बात को लेकर खार खाएं कि आज के युवा जीवन में वो सब कर पा रहे हैं, जिसकी वो कल्पना भी नहीं कर सकते थे, लेकिन सच तो ये है कि अगर ये सब करने का मकसद खुशी है तो इसका अंतिम परिणाम खुशी अब भी नहीं है. कैजुअल सेक्स में इन्वॉल्व युवाओं का अटेंशन स्पैन, एंग्जायटी और मेंटल हेल्थ उन युवाओं के मुकाबले बुरी स्थिति में है, जो ऐसे संबंधों से दूर हैं.
रॉबर्ट कहते हैं कि सांस लेने और भोजन के बाद सेक्स मनुष्य की तीसरी सबसे बड़ी प्राकृतिक जरूरत है, लेकिन अगर वह जरूरत बिना लगाव और भावनात्मक जुड़ाव के पूरी हो रही है तो वो लंबे समय तक खुशी नहीं देगी. उसका अंतिम परिणाम ज्यादा लंबे और गहरे अवसाद में होगा, जो आज हम अपने चारों ओर देख रहे हैं.

Rani Sahu
Next Story