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सोमालिया के मोगादिशु में जन्मी इल्हान उमर (Ilhan Omar) गृह युद्ध से बचने के लिए अपने परिवार के साथ 1995 में अमेरिका चली गई थीं
जहांगीर अली
सोमालिया के मोगादिशु में जन्मी इल्हान उमर (Ilhan Omar) गृह युद्ध से बचने के लिए अपने परिवार के साथ 1995 में अमेरिका चली गई थीं. इल्हान, रशीदा तालीब के अलावा अमेरिकी प्रतिनिधि सभा में चुनी गईं दो मुस्लिम महिला सांसदों में से एक हैं. वर्षों तक आर्थिक परेशानियों और नस्लीय दुर्व्यवहार ( Racial Abuse ) का सामना करने के बाद, इल्हान साल 2018 में उस वक्त राजनीतिक रूप से बड़े पैमाने पर उभर कर सामने आईं, जब मिनेसोटा से अमेरिकी प्रतिनिधि के रूप में चुनीं जाने वाली वह पहली अश्वेत महिला बनीं. चुनाव में उनकी जीत के बाद यूएस हाउस में सिर ढकने पर प्रतिबंध के नियम को भी संशोधित किया गया और इसी के बाद वह सदन में हिजाब पहनने वाली पहली महिला बनीं.
एक प्रगतिशील नेता के रूप में उन्होंने मेडिकेयर फॉर ऑल (Medicare For All) जैसी एक सार्वभौमिक स्वास्थ्य योजना और ग्रीन न्यू डील सहित अमेरिका में महत्वपूर्ण नीतियों का समर्थन किया है. इसके साथ ही वह जलवायु परिवर्तन के साथ-साथ रोजगार सृजन और असमानता को कम करने वाले सार्वजनिक नीतियों की भी मांग करती हैं.
बर्नी सैंडर्स की प्रशंसक और समर्थक इल्हान
बर्नी सैंडर्स की प्रशंसक और समर्थक इल्हान कुछ प्रेशर ग्रुप्स के दबाव में काम कर रही हैं, ताकि वह अमेरिकी प्रशासन को छात्रों के कंप्लीट लोन के कार्यक्रम के लिए तैयार कर सकें. ऐसा करने से होगा यह कि अमेरिका के कॉलेज में पढ़ने वाले कमजोर पृष्ठभूमि वाले छात्रों को काफी मदद मिल जाएगी. इल्हान अक्सर मानवाधिकारों को बनाए रखने की बात करती हैं. इसके लिए उन्होंने सऊदी अरब, इजराइल जैसे अमेरिकी सहयोगियों को भी आड़े हाथों लिया है. इसके साथ ही वीगर मुस्लिमों पर हो रहे अत्याचारों के लिए चीन को भी निशाने पर लिया. सीरिया, तुर्की और दुनिया भर के अन्य देशों में हो रहे लोगों पर अत्याचारों को लेकर भी वह खुलकर बोलती हैं. इन वजहों से वह अक्सर अमेरिका में श्वेत वर्चस्ववादियों और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भी निशाने पर रही हैं.
अमेरिका में कश्मीर लॉबी
भारत सरकार ने जब अनुच्छेद 370 को कश्मीर से हटाया था, उसके 2 महीने बाद इल्हान 'दक्षिण एशिया मानवाधिकार' के द्वारा आयोजित 'हाउस फॉरेन अफेयर्स कमिटी' का हिस्सा रही थीं, जिसमें कई अमेरिकी सांसदों ने सुरक्षा प्रतिबंधों के बीच जम्मू और कश्मीर की स्थिति के बारे में चिंता व्यक्त की थी. कई रिपोर्टों से संकेत मिलता है कि अमेरिकी कांग्रेस में दो मुस्लिम सांसद इल्हान और रशीदा तलीब अमेरिका में रहने वाले कश्मीरी प्रवासियों के संपर्क में रहे हैं, जो 5 अगस्त 2019 को नई दिल्ली द्वारा किए गए परिवर्तनों को लेकर उन पर दबाव डाल रहे थे कि वे वाशिंगटन के सत्ता गलियारों में उनकी तरफ से पैरवी करें. इसलिए इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि इल्हान ने पाकिस्तान आने पर कश्मीर के मुद्दे को स्वीकार किया है. पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू कश्मीर के राष्ट्रपति सुल्तान महमूद चौधरी के साथ एक बैठक में उमर ने आर्टिकल 370 का जिक्र करते हुए कहा, 'हम भारत की 5 अगस्त 2019 की कार्रवाई के बारे में बहुत चिंतित हैं.' संभावना है कि उमर पीओके की स्थिति के बारे में जो बाइडेन प्रशासन को जानकारी देंगे, जो कश्मीर पर अमेरिकी नीति को प्रभावित कर सकती है.
Rani Sahu
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