सम्पादकीय

सड़क धंसने की घटनाओं को नजरअंदाज करना किसी हादसे को न्‍योता देना

Subhi
14 July 2023 6:24 AM GMT
सड़क धंसने की घटनाओं को नजरअंदाज करना किसी हादसे को न्‍योता देना
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Written by जनसत्ता: दिल्ली में हर साल कुछ देर की बरसात के बाद सड़कों पर जलजमाव और उससे यातायात का पूरी तरह ठहर जाना एक ऐसी आम समस्या बन चुकी है, जो तमाम सवालों के बावजूद लंबे समय से कायम है। लेकिन इससे इतर सामान्य से ज्यादा बारिश के बाद दिल्ली के कई इलाकों में इस साल फिर जिस तरह सड़कों के धंसने के मामले सामने आए हैं, वह ज्यादा चिंताजनक है।

पिछले कुछ दिनों में रोहिणी, ग्रेटर कैलाश और जनकपुरी इलाके में अचानक सड़क पर एक बड़ा हिस्सा धंस कर गहरा गड्ढा बन गया। ये गड्ढे इतने खतरनाक शक्ल में हो जा रहे हैं कि कोई वाहन गिर जाए तो उसमें सवार लोगों का जिंदा बचना भी मुश्किल हो। दिल्ली के केंद्र में संवेदनशील माने जाने वाले इलाके इंडिया गेट के पास भी मंगलवार को बारिश की वजह से सड़क पर एकाएक बड़ा गड्ढा बन गया।

हाल ही में जनकपुरी में सड़क धंसने से बना गड्ढा इतना बड़ा था कि अगर कोई भारी वाहन भी उस समय वहां से गुजर रहा होता तो उसमें पूरा समा जाता। द्वारका इलाके में एक ऐसी घटना सामने आ चुकी है कि जिसमें सड़क धंसने से एक कार उसके अंदर समा गई थी।

ऐसी घटनाओं के बाद आनन-फानन में मरम्मत करवा कर यातायात तो फिर सामान्य बना दिया जाता है, लेकिन सड़क के इस तरह धंसने के कारणों पर शायद विचार करने की जरूरत नहीं समझी जाती। सवाल है कि राष्ट्रीय राजधानी में भी निर्माण कार्यों की गुणवत्ता भी अगर इस स्तर की है कि जहां-तहां सड़कों का धंसना बड़े हादसे का कारण बन सकता है तो देश के दूरदराज के इलाकों में स्थिति क्या होगी! लगभग सभी सरकारें सड़क निर्माण के मामले में बढ़-चढ़ कर दावे करती रहती हैं।

लेकिन बरसात की वजह से अच्छी मानी जाने वाली सड़कें भी जानलेवा स्तर तक खतरनाक होने लगें तो उसके लिए किसकी जिम्मेदारी तय की जाएगी? दरअसल, दिल्ली में जितनी जगहों पर भी सड़क धंसने के मामले सामने आए हैं, उन्हें पानी जमा होने की वजह से कोलतार या अन्य सामग्रियों के बिखरने से होने वाला सामान्य गड्ढा नहीं माना जा सकता। यह न केवल सड़क निर्माण में भ्रष्टाचार की वजह से सामग्रियों में कटौती या घटिया सामान के उपयोग का मामला है, बल्कि यह सड़क के नीचे के जमीन के ठोस होने का आकलन करने में चूक या इसका ध्यान रखने में नाकामी का भी उदाहरण है।

ऐसा लगता है कि सड़क बनाने के क्रम में सतह के नीचे की स्थिति के सर्वेक्षण में इस पहलू को नजरअंदाज कर दिया जाता है कि पानी या किसी अन्य वजह से क्या कोई जोखिम पैदा हो सकता है! ऐसे मामले भी हैं जिनमें सड़क के किनारे से पानी का पाइप कहीं से फट जाता है और उससे पानी निकलता रहता है। या फिर सीवर लाइन में गड़बड़ी की वजह से रिसते पानी से जमीन धीरे-धीरे खोखली होती रहती है।

ऐसे में जब बारिश होती है तब पहले से खोखली हो चुकी जमीन ऊपर बनी सड़क या उस पर भारी वाहनों के आने-जाने का भार सहन नहीं कर पाती है और अचानक ही धंस जाती है। मगर पानी के पाइप या सीवर लाइन के दुरुस्त होने पर नजर रखना एक गैरजरूरी काम माना जाता है। जबकि इस अनदेखी के घातक नतीजे सामने आते हैं। फिर आधुनिक तकनीकों के उपयोग से जमीन की स्थिति का अंदाजा लगा कर समय पर उसमें सुधार या मरम्मत करके सुरक्षित बनाया जा सकता है। यह ध्यान रखने की जरूरत है कि सड़क धंसने की घटनाओं को नजरअंदाज करना किसी बड़े हादसे का सबब बन सकता है।

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