सम्पादकीय

फिल्मों में पहने तो हाईफाई… रेस्टोरेंट ने हंसी उड़ाई… साड़ी के साथ भेदभाव क्यों?

Rani Sahu
22 Sep 2021 2:56 PM GMT
फिल्मों में पहने तो हाईफाई… रेस्टोरेंट ने हंसी उड़ाई… साड़ी के साथ भेदभाव क्यों?
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भारत चाहे जितना भी मॉडर्न बन जाए, नई पीढ़ी चाहे कितनी भी तरक्की क्यों न कर ले

विवेक त्रिपाठी भारत चाहे जितना भी मॉडर्न बन जाए, नई पीढ़ी चाहे कितनी भी तरक्की क्यों न कर ले, जमाना चाहे जितना भी एडवांस क्यों न हो जाए, लेकिन यहां की माटी की पहचान वही रहेगी जो असलियत में है. इस माटी का लोहा दुनिया ने भी माना है. क्योंकि हमारी संस्कृति, परंपरा और सहज सभ्यता धरती पर सबसे पुरानी मानी जाती है. दिल्ली की हाई सोसायटी का एक रेस्टोरेंट अगर एक महिला को अंदर आने से रोक दे तो बात थोड़ी हल्की जरूर होगी, लेकिन साड़ी पहनकर आने वाली महिला को रोके तो बवाल होना तय है. क्योंकि साड़ी तो पूरी दुनिया में पहनी जाती है. साड़ी के महत्व को बड़े-बड़े देशों ने माना है. साड़ी भारत का असली परिधान है. फिर दिल्ली में इस तरह की घटना का होना क्या भारतीय संस्कृति और उसके पहनावे-ओढ़ावे पर आघात नहीं है?

इस तरह की मानसिकता रखने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई तो बनती ही है. नहीं तो आने वाली पीढ़ी हमारी सभ्यता को कैसे मानेगी. कौन कहता है कि साड़ी एक कैजुअल वियर नहीं है. आजकल तो फिल्मों में भी साड़ी का चलन तेजी से बढ़ रहा है. जब भी आप कोई मैगजीन उठाएं तो साड़ी पहनकर बोल्ड अंदाज में दिखने वाली फोटो के साथ हेडलाइन आपको जरूर दिखेंगी, टीवी खोलें तो बड़ी-बड़ी सुपर स्टार हिरोइन साड़ी में आपको दिखेंगी. हालांकि साड़ी एक सम्मानित परिधान है, लेकिन फिल्मों ने इसे गलत रूप में ले लिया है. खैर फिल्म वालों से क्या शिकायत. महत्वपूर्ण ये है कि साड़ी स्मार्ट वियर नहीं तो फिर फिल्मों में क्यों पहनी जाती है, और जब फिल्म वाले इसे अपना सकते हैं तो भारत के रेस्टोरेंट या कोई और क्यों नहीं.
इंदिरा गांधी, सुषमा स्वराज बड़ा उदाहरण
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, सुषमा स्वराज जैसी भारत की कई महिला नेताओं और राजनयिकों ने विदेशों में साड़ी पहनकर बड़े-बड़े मंचों पर भारतीय संस्कृति का मान बढ़ाया. चाहे वो अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, रूस, जापान ही क्यों न हो. हमारी बहुत सी महिला नेताओं ने विदेशों में भी साड़ी पहनी है, तो भला दिल्ली का ही रेस्टोरेंट साड़ी को स्मार्ट वियर क्यों नहीं मान सकता?
जबकि उस रेस्टोरेंट की रेटिंग इंटरनेट पर चेक करने पर 5 में से 2.5 तक की ही मिली. गजब हाल है, इतनी कम रेटिंग के बाद भी रेस्टोरेंट के भाव बहुत हैं. खास बात ये है किसी भी मुस्लिम या ईसाई देश में भी साड़ी पर बैन नहीं है.
साड़ी का क्या महत्व, क्यों पहनी जाती है
साड़ी मतलब भारतीय नारी का पूरा व्यक्तित्व नजरों के सामने होना. भारत में स्त्री का मुख्य परिधान साड़ी ही है. भारतीय स्त्री की साड़ी ने भारत आने वाली हर विदेशी महिलाओं को अपनी ओर आकर्षित किया है, अब तो आलम ये है कि विदेशी महिलाओं को साड़ी पहनता देख भारतीयता का असली अहसास होने लगता है. डिजिटल दुनिया में तो विदेशों में साड़ी की डिमांड और बढ़ गई है. साड़ी दुनिया का सबसे लंबा और सबसे पुराना परिधान है.
वेदों और ग्रंथों में भी साड़ी का उल्लेख
साड़ी के इतिहास पर गौर करें तो इसकी चर्चा वेदों में मिलती है. सबसे पहले यजुर्वेद में साड़ी शब्द का उल्लेख है, वहीं ऋग्वेद के मुताबिक हवन-पूजन के दौरान पत्नी के लिए साड़ी पहनने का विधान है. महाभारत में द्रौपदी के चीर हरण का प्रसंग देखें तो जब दुर्योधन ने द्रौपदी को जीतकर उसकी अस्मिता को सबके सामने चुनौती दी थी, तब भगवान श्रीकृष्ण ने साड़ी की लंबाई बढ़ाकर द्रौपदी की रक्षा की थी. इस प्रसंग से ये भी साबित होता है कि साड़ी केवल पहनावा नहीं महिलाओं के लिए आत्मकवच भी है, और यही वजह है कि भारतवर्ष में साड़ी पहनने वाली हर स्त्री का मान बढ़ता है.


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