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विवेक त्रिपाठी भारत चाहे जितना भी मॉडर्न बन जाए, नई पीढ़ी चाहे कितनी भी तरक्की क्यों न कर ले, जमाना चाहे जितना भी एडवांस क्यों न हो जाए, लेकिन यहां की माटी की पहचान वही रहेगी जो असलियत में है. इस माटी का लोहा दुनिया ने भी माना है. क्योंकि हमारी संस्कृति, परंपरा और सहज सभ्यता धरती पर सबसे पुरानी मानी जाती है. दिल्ली की हाई सोसायटी का एक रेस्टोरेंट अगर एक महिला को अंदर आने से रोक दे तो बात थोड़ी हल्की जरूर होगी, लेकिन साड़ी पहनकर आने वाली महिला को रोके तो बवाल होना तय है. क्योंकि साड़ी तो पूरी दुनिया में पहनी जाती है. साड़ी के महत्व को बड़े-बड़े देशों ने माना है. साड़ी भारत का असली परिधान है. फिर दिल्ली में इस तरह की घटना का होना क्या भारतीय संस्कृति और उसके पहनावे-ओढ़ावे पर आघात नहीं है?
Who decides sari is not 'smart wear'? I have worn sarees at the best restaurants in the US, UAE as well in UK. No one stopped me. And some Aquila Restaurant dictates a dress code in India and decides saree is not 'smart enough'? Bizarre. pic.twitter.com/8c6Sj1RNha
— Shefali Vaidya. 🇮🇳 (@ShefVaidya) September 22, 2021