सम्पादकीय

नए वेरिएंट से बचना है तो चलो ''पुराने मंत्र'' पर

Subhi
5 Dec 2021 1:45 AM GMT
नए वेरिएंट से बचना है तो चलो पुराने मंत्र पर
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कोरोना की मार से संतप्त देश और दुनिया थोड़ा राहत की पटरी पर चल निकली थी ऐसा लगने लगा था कि वैक्सीनेशन ने अपना असर दिखाया है।

कोरोना की मार से संतप्त देश और दुनिया थोड़ा राहत की पटरी पर चल निकली थी ऐसा लगने लगा था कि वैक्सीनेशन ने अपना असर दिखाया है। कोरोना के खिलाफ जंग में जिस तरह से भारत ने सैनिटाइजेशन, मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग के हथियार से विजय पानी शुरू की तो सब कुछ सामान्य होने लगा था। जहां शादियां और अंत्येष्टि तक बिना परिजनों और रिश्तेदारों के होने लगी थी वहां सब कुछ सामान्य होकर कामकाज होने लगे तो यही कहा जायेगा कि कोरोना अब जा रहा है। लेकिन जैसा कि कहा गया है कि बीमारी, मुसीबत और दुश्मन को कभी कमजोर नहीं समझना चाहिए। अब न जाने दक्षिण अफ्रीका से आया खतरनाक एक और नया वैरिएंट 'ओमीक्रान' जिस तरह से अब तक पैंतीस देशों में फैला है और भारत में भी यह आहट दे चुका है तो एक बार फिर से हम सबको एकजुट होकर कोरोना के खिलाफ लड़ना होगा।डब्ल्यूएचओ की चेतावनी के बाद प्रधानमंत्री मोदी जी ने पूरे देश को खबरदार कर दिया है कि अलर्ट रहना जरूरी है। एक्सपर्ट्स ठीक कह रहे हैं कि अगर सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क और सैनेटाइजेशन का पालन नहीं किया तो यह ओमीक्रान किसी को भी अपनी चपेट में ले सकता है। कोरोना के असर के बारे में हर कोई जानता है। नए वैरिएंट के खतरे के बारे में हर कोई जानता है। मैं सबसे ज्यादा चिन्तित इस बात को लेकर हूं कि हमारा एजुकेशन सिस्टम बड़ी मुश्किल से पटरी पर आने लगा था वह एक बार फिर लड़खड़ा गया है।सवाल पैदा होता है कि हम क्या करें? हालांकि दिल्ली और देश में स्कूल-कॉलेज खुलने लगे थे। अच्छा सिस्टम था कि छोटी कक्षाएं भी अब शुरू हो रही थीं। आखिरकार कब तक घर में पड़े रहा जा सकता है और हमने वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब की सारी शाखाएं खोल दी थी लेकिन यहां भी न जाने किसकी नजर लग गयी कि नये वैरिएंट ने खतरा बढ़ा दिया है। स्कूल प्रबंधन, छोटे बच्चे और सीनियर स्टूडेंट्स के साथ-साथ पैरेंट्स और शिक्षकों के मनोविज्ञान को मैं जान सकती हूं क्योंकि अनेक लोग नए वैरिएंट को लेकर चिन्तित हैं और वह मुझसे भी दु:खी मन से अपनी बात शेयर करते हुए चिंता व्यक्त करते हैं। उनकी चिंता जायज है लेकिन हमारा मानना है कि मुसीबत और युद्ध में आप तभी जीत सकते हैं जब संकल्प और लड़ने की इच्छाशक्ति हो। एक बार फिर हमें सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क और सैनिटाइजेशन का पालन करना होगा तो हम इस कोरोना को जिसकी पूंछ बाकि रह गयी है को चलता करके ही दम लेंगे। हम अगर आंकड़ों पर नजर डालें तो भारत की अर्थव्यवस्था पटरी पर आ रही थी। देश में लॉकडाउन के दौरान कई उद्योग-धंधे बैठे लेकिन लोगों में उद्योगों में मजबूत हिम्मत के दम पर लड़ने का माद्दा है और हम संभल गए। एक बार फिर एकजुट होना है मजबूत संकल्प दिखाना है तो हम इसी के दम पर कोरोना को मारेंगे।संपादकीय :भारत का परागलोकलेखा समिति की शताब्दीदिल्ली सरकार का सस्ता पेट्रोलबूस्टर डोज की जरूरत?370 अब कल की बात हुईकोरोना की मार से निकलती अर्थव्यवस्थाचाहे केंद्र में मोदी सरकार हो, दिल्ली में केजरीवाल, हरियाणा में मनोहर सरकार हो, पंजाब में चन्नी की सरकार हो या राजस्थान में गहलोत की सरकार हो या कहीं भी किसी की भी सरकार हो हमें राजनीति से ऊपर उठकर लड़ना है और हम लड़ रहे हैं। जहरीले प्रदूषण ने परेशान कर रखा है कि कोरोना का नया वैरिएंट आ गया। ऐसे में सबको मिलजुल कर लड़ना है और सतर्क रहना है। हम अपने सीनियर सिटीजन का ऐसे ध्यान रखें मानो वह किसी क्लब में बैठे हों। वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब के सदस्यों को हमने मनोरंजन पूर्ण एक्टीविटी में व्यस्त कर रखा है। पूरे देश को यूं ही चलना है। हमें एजुकेशन सिस्टम को लेकर सतर्क रहना है। स्कूल- कालेज फिर बंद हो चुके हैं लेकिन हौंसला रखना है। कहा भी गया है-रात भर का है मेहमां अंधेराकिसके रोके रुका है सवेरा॥हमें कोरोना से बचाव के सोशल डिस्टैंसिंग, मास्क और सेनेटाइजेशन के पुराने मंत्र का पालन करना ही होगा।

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