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बीते एक सप्ताह में भारत ने चीन को जो तीन बेहद कड़े संदेश दिए हैं, उनकी अहमियत कूटनीतिक जगत में छुपी नहीं रह सकती। इस महीने की एक तारीख को जब चीन की कम्युनिस्ट पार्टी अपनी स्थापना के सौ साल पूरे करने के मौके को धूमधाम से सेलिब्रेट कर रही थी, पड़ोसी देश भारत ने उसे पूरी तरह अनदेखा कर दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तो दूर किसी भी केंद्रीय मंत्री, बड़े नेता या प्रमुख राजनीतिक दल ने चीन को बधाई देने की जरूरत महसूस नहीं की। इस सांकेतिक चुप्पी को जो लोग संयोग मानकर चल रहे थे, उनके लिए दूसरा गहरा संदेश इसके तीन दिन बाद आया जब 4 जुलाई को अमेरिकी स्वाधीनता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति जो बाइडन को बाकायदा ट्वीट करते हुए बधाई दी। इसके भी तीन दिन बाद 7 जुलाई को तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा के 86वें जन्मदिन के मौके पर न केवल प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें सार्वजनिक तौर पर बधाई दी, बल्कि अरुणाचल प्रदेश और सिक्कम जैसे चीनी सीमा से सटे राज्यों समेत सात राज्यों के मुख्यमंत्रियों और कई केंद्रीय मंत्रियों ने बधाई संदेशों के जरिए उनका अभिनंदन किया। यह पहला मौका है जब मोदी ने दलाई लामा को सार्वजनिक तौर पर जन्मदिन की बधाई दी है।