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ये खबर अहम है कि भारत सरकार ने ई-कॉमर्स कंपनियों अमेजन और फ्लिपकार्ट के खिलाफ कार्रवाई की शुरुआत ही है।
ये खबर अहम है कि भारत सरकार ने ई-कॉमर्स कंपनियों अमेजन और फ्लिपकार्ट के खिलाफ कार्रवाई की शुरुआत ही है। पिछले हफ्ते एक विदेशी समाचार एजेंसी ने ये खबर ब्रेक की। उसने सरकारी सूत्रों के हवाले से कहा कि वॉलमार्ट की फ्लिपकार्ट और इसके संस्थापकों को नोटिस भेजकर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पूछा है कि क्यों ना कंपनी पर सौ अरब रुपये का जुर्माना लगाया जाए। यह मामला विदेशी निवेश संबंधित कानूनों के उल्लंघन का है। ईडी कई साल से फ्लिपकार्ट और एमेजॉन द्वारा विदेशी निवेश के नियमों के उल्लंघन के मामले की जांच कर रहा है। खबर के मुताबिक ईडी इस निष्कर्ष पर है कि फ्लिपकार्ट और संबधित पक्ष डबलूएस रीटेल ने विदेशी निवेश हासिल किया। फिर उसने अपनी वेबसाइट पर उत्पाद बेचे, जिसकी भारतीय कानून इजाजत नहीं देता। तोइस बारे में ईडी ने एक बताओ नोटिस जुलाई में भेजा।
कंपनियों की प्रतिक्रिया औपचारिक रही है। मसलन, फ्लिपकार्ट के एक प्रवक्ता ने कहा कि उनकी कंपनी भारत के सारे नियम-कानूनों का पालन कर रही है और वह सरकार के साथ पूरा सहयोग करेगी। गौरतलब है कि ईडी अपनी जांच के दौरान इस तरह के नोटिस सार्वजनिक नहीं करता है। बहरहाल, समाचार एजेंसी ने कहा है कि फ्लिपकार्ट और अन्य के पास भेजे गए इस नोटिस का जवाब देने के लिए उन्हें 90 दिन का समय दिया गया है। डब्लूएस रीटेल 2015 में ही भारत से अपना कामकाज समेट चुकी है। फिर भी इसमें कोई शक नहीं है कि अगर उसने कानून तोड़े हैं, तो कार्रवाई होनी चाहिए। मगर किसी कार्रवाई में सबसे बड़ी बात होती है कि उसमें पारदर्शिता झलके। कार्रवाई बिना राग-द्वेष की भावना के की गई है, यह सबके सामने रहे। इसके बजाय अगर ये धारणा बने कि कार्रवाई के पीछे मंशा सियासी संदेश देना है, तो फिर उससे बाजार और कारोबार का माहौल खराब होता है। जिस समय भारत गहरी आर्थिक मुसीबत में है, उस वक्त ऐसा जोखिम लेना शायद ही किसी नजरिए से मुफीद होगा। ये ध्यान में रखने की बात है कि 2018 में वॉलमार्ट ने 16 अरब डॉलर में फ्लिपकार्ट में मुख्य हिस्सेदारी खरीदी थी, जो अमेरिकी कंपनी का अब तक का सबसे बड़ा सौदा था। इस कंपनी के खिलाफ भारत के छोटे विक्रेताओं ने भी बड़ी संख्या में शिकायतें की हुई हैं। ये विक्रेता आज की सत्ताधारी पार्टी का जनाधार माने जाते हैँ। इसलिए सरकार को यह अवश्य भरोसा बनाना चाहिए कि उसकी कार्रवाई कानून की ईमानदार भावना के अनुरूप है।
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