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पिछले हफ्ते खत्म हुई यूएन क्लाइमेट चेंज वार्ता में मेजबान ब्रिटेन ने घोषणा की कि इस सम्मेलन में उसका मुख्य उद्देश्य कोयले को इतिहास बनाना था
एन. रघुरामन का कॉलम: पिछले हफ्ते खत्म हुई यूएन क्लाइमेट चेंज वार्ता में मेजबान ब्रिटेन ने घोषणा की कि इस सम्मेलन में उसका मुख्य उद्देश्य कोयले को इतिहास बनाना था। यह कहना आसान है, करना मुश्किल। कागज पर दो शब्द लिखना भी चुनौतीपूर्ण था। कोयले का इस्तेमाल कम करने के लिए वार्ताकारों ने एक ही पैराग्राफ, कई बार लिखा।
अंतत: भारत ने जोर दिया कि 'इस्तेमाल खत्म करना' की जगह 'इस्तेमाल कम करना' लिखें। पिछले शनिवार इस बदलाव से कई देश भारत के रुख और जलवायु परिवर्तन के लिए उसकी प्रतिबद्धता से नाराज हैं। भारतीय युवाओं को जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा व्यवस्था में कोयले की भूमिका समझनी चाहिए। यह रही चरणबद्ध चर्चा:
कोयले पर ध्यान क्यों? तीन जीवाश्म ईंधनों, कोयला, तेल और गैस में कोयला जलवायु का सबसे बड़ा दुश्मन है, जो 20% ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार है। हालांकि इस ईंधन की जगह दूसरे का इस्तेमाल आसान है। कोयले से बनने वाली बिजली के नवीकरणीय विकल्प दशकों से उपलब्ध हैं। चूंकि कोयला जलने से वायु प्रदूषण, स्मॉग, एसिड रेन जैसे पर्यावरणीय दुष्परिणामों और श्वास संबंधी बीमारियां का खतरा है, दुनिया कोयले पर ध्यान दे रही है। याद कीजिए दिल्ली और मुंबई कि हवा इन दिनों चौंकाने वाली है।
दुनिया नाराज क्यों है? द्वीप राष्ट्रों समेत कई असुरक्षित देशों को डर है कि समुद्र स्तर बढ़ने से वे डूब न जाएं। वे नाराज हैं क्योंकि भारत के विरोध के बाद शब्दों को कमजोर कर दिया गया।
कोयले का इस्तेमाल बंद करना मुश्किल क्यों? क्योंकि भारत 1342 ट्रिलियन यूनिट बिजली उत्पादन करता है, जिसमें 948 ट्रिलियन यूनिट कोयले से बनती है। भारत में कोयला खदानों से लेकर अंतिम खपत तक 40 लाख लोग नौकरी करते हैं। इसलिए भारत अभी 'इस्तेमाल बंद' नहीं कर सकता, जैसा विश्व नेता चाहते थे। कोयला सबसे सस्ता ईंधन है जो अर्थव्यवस्था रोशन कर लाखों लोगों को गरीबी के अंधेरे से निकालने के लिए घरेलू रूप से उपलब्ध है।
सबसे ज्यादा कोयला कौन जला रहा है? चीन 4876 ट्रिलियन यूनिट बिजली कोयले से बनाता है, लेकिन विश्व नेता भारत को जलवायु के खिलाफ कार्यों को रोकने वाला बता रहे हैं। जबकि भारत ने 2019 में 999 ट्रिलियन यूनिट उत्पादन किया और 2020 में उसे घटाकर 948 ट्रिलियन पर ले आया।
चीन, भारत और अमेरिका मिलकर उतना कोयला इस्तेमाल करते हैं, जितना पूरी दुनिया कुलमिलाकर करती है। अगर आबादी के अनुपात में देखें तो 20 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में ऑस्ट्रेलिया में प्रति व्यक्ति कोयला उत्सर्जन सबसे अधिक है। इसके बाद दक्षिण कोरिया, दक्षिण अफ्रीका, अमेरिका और चीन हैं।
देश अब भी कोयला क्यों जला रहे हैं? संक्षेप जवाब है, कोयला सस्ता और प्रचुर है। सभी नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत कोयले से महंगे हैं। आर्थिक विकास के कारण बिजली की मांग बढ़ी हैं।
भारतीय युवा क्या कर सकते हैं? उजला पक्ष यह है कि पिछले पांच दशक में बिजली क्षेत्र में कोयले की भूमिका स्थिर रही है। दुनिया के बिजली उत्पादन में 1973 में कोयले की हिस्सेदारी 38% थी और 2019 में 37% रही। हाल ही में मैंने विनिषा उमाशंकर (15) के बारे में लिखा था, जिसने इस्त्रीवालों के लिए सौर इस्त्री ठेला ईजाद किया था। उसके जैसा कुछ कर धरती से कोयले का इस्तेमाल खत्म कर सकते हैं।
फंडा यह है कि अगर एक स्थिर कॅरिअर तलाश रहे हैं तो इंसानी जीवन चलाने के लिए बिजली उत्पादन के अलग-अलग तरीके तलाशें। मुझे यकीन है, यह आपकी जिंदगी 'रोशन' करेगा।
Gulabi
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