सम्पादकीय

अगर नहीं चाहते कि बुढ़ापा खराब बीते तो समझदारी इसी में है कि हम 'फिटिजन' का लक्ष्य बनाएं

Gulabi Jagat
12 May 2022 10:05 AM GMT
अगर नहीं चाहते कि बुढ़ापा खराब बीते तो समझदारी इसी में है कि हम फिटिजन का लक्ष्य बनाएं
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ओपिनियन
एन. रघुरामन का कॉलम:
जब मैं मुंबई में होता हूं तो रोज एक लोकल पार्क में जाता हूं, वहां एक महिला नियमित रूप से पार्क के आसपास दौड़ती दिखती हैं। आत्मविश्वास से बंधी उनकी पोनीटेल के बाल लहराते रहते हैं। वह कई कारणों से विशिष्ट दिखती हैं। शाम को धूप कम होने और सूर्योदय से पहले वह हमेशा पार्क में होती हैं और ईयर प्लग नहीं लगातीं। सबसे हाय-हैलो करती हैं।
दौड़ते हुए हाथ हमेशा बॉक्सिंग की मुद्रा में होते हैं, और मुट्ठी खोलकर हाथ लहरा देती हैं। वह गोरी महिला ब्रांडेड ट्रैक पेंट्स व स्टाइलिश शब्दों वाली टी-शर्ट पहनती हैं और अक्सर मुस्कुराती दिखती हैं, जो दूसरों का ध्यान खींचता है। इस तमाम ब्यौरे में कुछ भी अनोखा नहीं है, सिवाय इसके कि वो 76 साल की हैं। आप सोच रहे होंगे कि मुझे कैसे पता? उनकी टी-शर्ट पर लिखा होता है।
जहां आमतौर पर महिलाएं उम्र बताने से कतराती हैं, वह उलट हैं। वो इसलिए क्योंकि उनका नया टाइटल है- 'फिटिजन' यानी फिट सिटीजन, जो उन्होंने खुद को दिया है। 65 साल से ऊपर के लोगों का कसरत करना इन दिनों विचित्र नहीं है। जब मैं पेट्स को सुबह वॉक पर ले जाता हूं, तो कॉलोनी के बगीचे में घूमने वाले 100% लोग वरिष्ठ नागरिक होते हैं, सॉरी फिटिजन्स! दुनियाभर में कई फिटनेस ब्रांड्स को पता चल चुका है कि सबसे ज्यादा 57 से 70 साल की उम्र के बीच के लोग व्यायाम कर रहे हैं और अपने उत्पाद बेचने के लिए इस उम्र समूह पर ध्यान दे रहे हैं।
जिम कंपनियों में 60 साल से ऊपर वालों की सदस्यता में 14% की वृद्धि हुई है। यहां तक कि लांसेट की 2021 की रिपोर्ट- 'फिजिकल एक्टिविटी गाइडलाइन फॉर ओल्डर पीपुल' कहती है कि 75 साल की उम्र से ऊपर के अस्पताल में भर्ती लोगों को निगरानी में रखकर कसरत कराना सुरक्षित है और यह उनकी कामकाजी और संज्ञानात्मक क्षमताओं में क्षरण से रोकने या कम करने में असरकारक साबित हुई है। पर दुर्भाग्य से, अधिकांश कमजोर वृद्धों को डॉक्टर दवाएं लिख देते हैं।
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में ऑप्टिमल एजिंग प्रोग्राम के निदेशक और पब्लिक हेल्थ डॉक्टर मुइर ग्रे कहते हैं, 'सबसे ज्यादा दी गई दवाओं में 10% फिजूल होती हैं। अगर इसके बजाय किसी गतिविधि की सलाह दी जाए तो हममें से ज्यादातर लोग स्वस्थ होंगे क्योंकि ज्यादा ताकत, स्टेमिना, स्किल और लचीले शरीर के साथ इंसान बीमारियों और चोट के प्रति लचीला हो जाता है।' पर सभी बुजुर्ग कसरत नहीं कर रहे हैं। मुइर कहते हैं कि महामारी के बाद बुजुर्गों ने कसरत का आत्मविश्वास खो दिया है।
इंग्लैंड में 'लिव लॉन्गर बैटर' अभियान चल रहा है। इसके सदस्यों का दावा है कि उन्हें जीवन अमृत मिल चुका है। वे इसे एजिंग का ज्ञान कहते हैं। मुइर कहते हैं कि सबको, खासकर बुजुर्गों को पता होना चाहिए कि जीवन की गुणवत्ता के लिए क्या अच्छा है। ज्यादातर परेशानियों का कारण बुढ़ापा नहीं, गतिविधियों की कमी है। यहां तक कि जब किसी को पहली नौकरी बैठकर काम करने वाली मिलती है तो सेहत में गिरावट शुरू हो सकती है।
दुनिया में तीन 'सी' समस्याएं पैदा कर रहे हैं- कम्प्यूटर्स, कार, कैलोरी! नियमित कसरत व फिटिजन लक्ष्य हृदय रोग, डायबिटीज़, डिमेंशिया का खतरा कम करता है, इम्यून सिस्टम, मेंटल हेल्थ, नींद, सोशल स्किल बेहतर करता है, गिरने का खतरा कम करता है। एक 80 वर्षीय ब्रिस्क वॉकर ने कहा, 'मुझे अभी भी लगता है कि मेरे कदमों में स्प्रिंग लगी है और मेरे अंदर बहुत सारा जीवन शेष है।'
फंडा यह है कि इस उम्र में नियमित कसरत का नियम आसान नहीं है, खासकर पहले। पर अगर नहीं चाहते कि बुढ़ापा ऐसा हो जाए जिसमें अपने जूते के बंद खुद नहीं बांधने वालों की श्रेणी में आ जाएं, तो समझदारी इसी में है कि हम 'फिटिजन' का लक्ष्य बनाएं।
Gulabi Jagat

Gulabi Jagat

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