सम्पादकीय

यदि यूक्रेन संकट और गहराया तो देश की अर्थव्यवस्था के समक्ष चीन के दुस्साहस को बल मिलेगा

Gulabi
25 Feb 2022 6:10 AM GMT
यदि यूक्रेन संकट और गहराया तो देश की अर्थव्यवस्था के समक्ष चीन के दुस्साहस को बल मिलेगा
x
रूस ने यूक्रेन की राजधानी कीव समेत उसके अन्य शहरों पर हमला करके न केवल अपनी हद पार करने का काम किया
रूस ने यूक्रेन की राजधानी कीव समेत उसके अन्य शहरों पर हमला करके न केवल अपनी हद पार करने का काम किया, बल्कि अपने तानाशाही भरे रवैये का भी परिचय दिया। जब यह माना जा रहा था कि उसकी कार्रवाई पूर्वी यूक्रेन के उन क्षेत्रों तक ही सीमित रहेगी, जहां रूस समर्थित अलगाववादियों की सक्रियता है, तब उसने उनसे आगे जाकर यह स्पष्ट कर दिया कि उसका इरादा यूक्रेन को तबाह करके उस पर कब्जा करना है।
विश्व समुदाय और विशेष रूप से अमेरिका एवं उसके नेतृत्व वाले सैन्य संगठन नाटो के सदस्य देशों को रूस के इन इरादों के खिलाफ खड़ा होना होगा, क्योंकि आज के युग में किसी भी राष्ट्र को इसकी इजाजत नहीं दी जा सकती कि वह इतिहास की मनमानी व्याख्या करके दूसरे देशों पर कब्जा कर ले। इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि अड़ियल-अहंकारी चीन भी एक अर्से से ऐतिहासिक तथ्यों और समझौतों को तोड़-मरोड़ कर पड़ोसी देशों को तंग करने में लगा हुआ है। अब तो इसका भी अंदेशा बढ़ गया है कि वह ताइवान में वैसी ही हरकत कर सकता है, जैसी रूस ने यूक्रेन में की।
अमेरिका एवं नाटो देशों को यूक्रेन संकट के हल के लिए इसलिए और अधिक सक्रिय होना होगा, क्योंकि रूस उनकी ही उस पहल से बौखलाया, जिसके तहत वे यूक्रेन को इस सैन्य संगठन का सदस्य बनाने की तैयारी कर रहे थे। इसमें दोराय नहीं कि अमेरिका और यूरोपीय देशों को रूस की चिंता को समझना चाहिए था, लेकिन इसका यह मतलब भी नहीं कि रूसी राष्ट्रपति कूटनीति के जरिये मसले का हल निकालने की गुंजाइश खत्म करके यूक्रेन पर चढ़ाई कर देते। उन्होंने यही किया और स्वतंत्र देश यूक्रेन की संप्रभुता का उल्लंघन करने के साथ ही पूरी दुनिया को एक ऐसे समय गहन संकट में डाल दिया, जब वह कोरोना के घातक असर से उबर भी नहीं पाई थी।
चूंकि इसके आसार कम हैं कि बेलगाम दिख रहा रूस अमेरिका और उसके सहयोगी देशों के आर्थिक प्रतिबंधों के डर से पीछे हट जाएगा, इसलिए ऐसी कोई पहल की जानी चाहिए, जिससे वह बातचीत के जरिये मसले का हल निकालने को तैयार हो। ऐसी किसी पहल में भारत को भी भागीदार बनना होगा, क्योंकि यदि यूक्रेन संकट और गहराया तो देश की अर्थव्यवस्था के समक्ष मुश्किलें पैदा होने के साथ ही चीन के दुस्साहस को भी बल मिलेगा, जो पहले से ही हमारी सीमाओं पर आक्रामक रुख अपनाए खड़ा है।
दैनिक जागरण के सौजन्य से सम्पादकीय
Next Story