- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- यदि हिमालय के मूल...
भारत का भूखंड एक भीमकाय पत्थर की चट्टान पर टिका हुआ है, जिसे 'इंडियन प्लेट' कहते हैं। यह प्लेट धीरे-धीरे उत्तर की ओर खिसक रही है, जहां वह तिब्बत की प्लेट से टकरा रही है। इन दोनों प्लेटों के टकराने से हिमालय, विशेषकर उत्तराखंड का क्षेत्र भूकंप से पीड़ित रहा है। पिछले 20 वर्षों को छोड़ दें तो लगभग हर दस वर्षों के दौरान उत्तराखंड में एक भूकंप आता रहा है। पिछले 20 वर्षों में कोई बड़ा भूकंप न आने का कारण यह हो सकता है कि टिहरी बांध में पानी के भारी भंडारण से इन दोनों प्लेटों के टकराव के बीच एक दबाव बन गया हो, जो उन्हें टकराने से रोक रहा हो। हालांकि भारतीय प्लेट उत्तर की ओर खिसक तो रही ही है। इसका दबाव भी बन रहा है और इससे आने वाले समय में भूकंप की आशंका बनी हुई है। गत रविवार को ऋषिगंगा में ग्लेशियर का स्खलन ऐसे टकराव से उत्पन्न कंपन के कारण हुआ हो सकता है। इसमें ऋषिगंगा के नीचे तपोवन-विष्णुगाड परियोजना की सुरंग बनाने के लिए किए गए विस्फोटों से उत्पन्न कंपन की भूमिका भी हो सकती है। यद्यपि वैज्ञानिकों की राय है कि विस्फोट की तरंगें दूर तक नहीं जातीं। फिर भी सूक्ष्म तरंगों का ग्लेशियर पर प्रभाव हमें ज्ञात नहीं है।