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हम मनुष्यों के जीवन को शास्त्रों ने बहुत ही खूबसूरत ढंग से चार भागों में बांटा है
पं. विजयशंकर मेहता। हम मनुष्यों के जीवन को शास्त्रों ने बहुत ही खूबसूरत ढंग से चार भागों में बांटा है। इसमें सबसे पहला भाग है ब्रह्मचर्य। इसमें उम्र के पहले लगभग पच्चीस वर्ष अपनी ऊर्जा को नियमानुसार बचाते हुए विद्या अध्ययन (आज की भाषा में कॅरिअर निर्माण) में लगाना है ताकि अगला भाग जो गृहस्थी का है उसमें पूरी परिपक्वता के साथ उतर सकें। इन शुरुआती पच्चीस वर्षों की विशेषता यह है कि इसमें इंसान को ढलना ही होता है।
अंग्रेजी में जिसे कहते हैं मोल्ड होना। इसलिए माता-पिता खास तौर पर ध्यान दें कि इस उम्र में बच्चे मोल्ड होंगे ही। यदि आप उन्हें नहीं ढालेंगे तो दूसरे यानी बाहरी लोग बेठे ही हैं। ध्यान रखिएगा, बच्चों के सामने दो तरह के वातावरण होते हैं- परिवार और बाजार। यदि परिवार बच्चों को संस्कारों से नहीं ढालेगा तो बाजार तो पूरी तरह तैयार है उन्हें ढालने के लिए।
प्रबंधक लोग कहते हैं एक वक्त था जब बाजार यानी उसकी वस्तुओं, उसके व्यापार पर नब्बे प्रतिशत अधिकार स्त्रियों का था। धीरे-धीरे वह घटता गया और अब पचास प्रतिशत कब्जा बच्चों का है। देखते ही देखते स्त्रियां प्रदर्शन की वस्तु और बच्चे खिलौने बना दिए गए। यदि माता-पिता या घर के बड़े-बूढ़े संस्कार नहीं देंगे तो बाजार इन बच्चों को वह सब देने को तैयार है जिसे सुधारने में हमारी उम्र का अगला भाग और बिगड़ जाएगा। इसलिए समय रहते बच्चों के प्रति सावधान हो जाइए।
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